ईरान की ईंधन निर्यात ‘झिरो’ करने के लिए अमरिका सख्त

ईरान की ईंधन निर्यात ‘झिरो’ करने के लिए अमरिका सख्त

वॉशिंगटन – ईरान की ईंधन निर्यात ‘झिरो’ करने के लिए अमरिका ने तेजी से कदम उठाना शुरू किया है। ईरान पर लगाए प्रतिबंधों का फंदा कसने के साथ अमरिका ने इस देश से ईंधन आयात कर रहे कुछ गिने चुने देशों को दी सहुलियत हटाने का ऐलान व्हाईट हाउस ने किया है। मई २ तारीख से अमरिका ने ईरान पर लगाए इन प्रतिबंधों का अमल शुरू होगा। अमरिका के इस निर्णय पर तुर्की ने आपत्ति जताई है और क्षेत्रीय शांति एवं स्थिरता के लिए यह निर्णय लाभदायक साबित नही होगा, यह आलोचना भी की है। अमरिका के इस निर्णय की वजह से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ईंधन के दामों में काफी बढोतरी होने का डर जताया जा रहा है।

पिछले वर्ष अमरिकी राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प इन्होंने वर्ष २०१५ में ईरान के साथ किए परमाणु समझौते से पीछे हटने का निर्णय किया था। इसके साथ ही ईरान को प्रतिबंधों से दी सहुलियत भी रद्द करके परमाणु कार्यक्रम जारी रखनेवाले इस देश पर लगाए प्रतिबंधों का फंदा कसने का इशारा भी राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प इन्होंने दिया था। उसके बाद अमरिका ने ईरान पर तीन स्तर पर प्रतिबंध लगाए थे। इसमें से तिसरे स्तर के प्रतिबंधों के तहेत कोई भी ईरान से ईंधन की आयात ना करे, यह ट्रम्प प्रशासन ने स्पष्ट किया था। अंतरराष्ट्रीय बाजार में ईरान से हो रही ईंधन की निर्यात ‘झिरो’ करके ईरान को घुटनें टेकने पर विवश किया जाएगा, यह चेतावनी अमरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने दी थी।

लेकिन, इसके पहले प्रतिबंधों का ऐलान करते समय ट्रम्प प्रशासन ने काफी पहले से ईरान के साथ ईंधन के व्यवहार कर रहे भारत, चीन जैसे ईंधन की बडी तादाद में खरीद कर रहे देशों के साथ जापान, दक्षिण कोरिया, इटली, ग्रीस, तुर्की और तैवान इन आठ देशों को खास सहुलियत दी थी। मई महीने तक इन देशों को ईरान के साथ शुरू ईंधन व्यापार से पीछे हटने की सूचना अमरिका ने की थी। अमरिका की इस चेतावनी का असर ईरान की ईंधन निर्यात पर होने की बात महीने पहले प्राप्त अहवाल से स्पष्ट हुई थी। कुछ महीने पहले तक ईरान से बडी तादाद में ईंधन की आयात कर रहे देशों की ईंधन आयात में बडी गिरावट होने की बात अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने दर्ज की थी।

अमरिका की इस चौथे स्तर के प्रतिबंधों का अमल २ मई से शुरू हो रहा है। इसके पहले सोमवार के दिन व्हाईट हाउस ने एक पत्रक जारी करके ईरान के साथ ईंधन सहयोग करने के लिए दी ‘सिग्निफिकंट रिडक्शन एक्सेप्शन्स’ (एसआरईज्) यानी खास सहुलियत हटाने का ऐलान किया। ईरान की ईंधन निर्यात ‘झिरो’ करने के लिए यह निर्णय सहाय्यकारी साबित होगा, ऐसा व्हाइट हाउस ने कहा है।

वही, अमरिका के इस निर्णय का असर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दिखाई देने लगा है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में ईंधन के दामों में सोमवार के दिन बढोतरी हुई। पिछले छह महीनों में इंधन के दामों ने पहली बार इतनी भारी उछाल लेने का दावा किया जा रहा है। साथ ही मई महीने में इस निर्णय का अमल शुरू होते ही ईंधन के दामों में और भी उछाल दिखाई देगा, यह चिंता भी अंतरराष्ट्रीय विश्‍लेषक व्यक्त कर रहे है। वही, ईरान पर लगाए इस प्रतिबंधों के बाद अंतरराष्ट्रीय बाजार में ईंधन की आपुर्ति पर असर ना हो इस लिए सौदी अरब और इराक ने पहल की है। ईंधन का बाजार स्थिर रहे इसके लिए ईंधन उत्पादन में बढोतरी करने की बात सौदी और इराक ने स्वीकार की है।

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