अपनी ही जनता की निगरानी कर रही चीन की हुकूमत को प्रगत तकनीक प्रदान करके मजबूत ना करें

अपनी ही जनता की निगरानी कर रही चीन की हुकूमत को प्रगत तकनीक प्रदान करके मजबूत ना करें

वॉशिंग्टन/बीजिंग – अमरिकी तकनीकी क्षेत्र की कंपनियां चीन जैसे ‘ऑर्वेलियन सर्व्हिलन्स स्टेट’ को मजबूती प्रदान करनेवाली तकनीक प्रदान ना करें और अमरिकी मुल्यों को बलि भी ना चढाएं, इन कडे शब्दों में विदेशमंत्री माईक पोम्पिओ ने चेतावनी दी है| अमरिका और चीन इन दो देशों में जारी व्यापारयुद्ध रोकने के समझौते पर हस्ताक्षर हो रहे थे, तभी पोम्पिओ ने दिया यह इशारा ध्यान आकर्षित करनेवाला साबित हुआ है|

विदेशमंत्री पोम्पिओ ने कुछ महीनें पहले चीन की शासक कम्युनिस्ट पार्टी को लक्ष्य करनेवाली कडी आलोचना की थी| यह आलोचना करते समय अमरिकी विदेशमंत्री ने अगले कुछ महीनों में कम्युनिस्ट पार्टी की नीति और इस दल से चीन में शासकिय यंत्रणाओं का हो रहे इस्तेमाल की जानकारी सार्वजनिक करने के संकेत दिए थे| इसी के हिस्से के तौर पर पोम्पिओ ने अमरिकी तकनीकी क्षेत्र के ‘हब’ के तौर पर जाने जा रहे ‘सिलिकॉन वैली’ की कंपनियों के सामने अपनी भूमिका रखी|

तकनीकी क्षेत्र की कंपनियों के सामने चीन की हुकूमत की पोलखोल करते समय विदेशमंत्री पोम्पिओ ने ‘ऑवेलियन सर्व्हिलन्स स्टेट’ का जिक्र करना?अहमियत रखता है| यह जिक्र जॉर्ज ऑर्वेल ने लिखे ‘१९८४’ इस उपन्यास से संबंधित है| जानेमाने ब्रिटीश साहित्यकार जॉर्ज ऑर्वेल का यह उपन्यास ‘१९८४’ वर्ष १९४९ में प्रकाशित हुआ था| इस उपन्यास में वर्ष १९८४ में होनेवाला एक कथानक पेश किया गया था|

दुनिया में बहुसंख्यांक जनता को लगातार युद्ध का सामना करना पड रहा है और एकतंत्री तानाशाही हूकुमत ने छुठी जानकारी का प्रचार और सामुहिनक निगरानी के जरिए जनता को नियंत्रण में रखा है, यही इस उपन्यास की कथा का सूत्र रहा है| अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ‘क्लासिक’ के तौर पर जानी गई ‘१९८४’ इस उपन्यास में दर्ज ‘बिग ब्रदर’, ‘२+२=५’ इस तरह की संकल्पना दुनिया भर में प्रसिद्ध हुई थी|

अमरिकी कंपनियां चीन से बाहर निकलें, ऐसी ट्रम्प प्रशासन की इच्छा नही है, यह बात पोम्पिओ ने स्पष्ट की| बल्कि अमरिकी कंपनियों ने समान स्तर पर स्पर्धा करके चीन में अपना कारोबार और भी बढाएं और अमरिका में रोजगार निर्माण करें, यही राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प की नीति होने की ओर उन्होंनें ध्यान आकर्षित किया| पर, यह करते समय अमरिका का प्रतिद्वंद्वि बना चीन और भी मजबूत नही होगा, यह ध्यान रखना ही होगा, यह इशारा भी विदेशमंत्री पोम्पिओ ने दिया|

‘अमरिकी कंपनियों ने प्रतिद्वंद्वि देश की सेना या वहां की हुकूमत की देश पर एकतरफा नियंत्रण में रखनेवाली दबावनीति मजबूत होगी, इस तरह के समझौते ना करें| लाभ के लिए अमरिकी मुल्यों की बलि ना चढें, इसका ध्यान रखना होगा’, इन शब्दों में पोम्पिओ ने अमरिकी कंपनियों के कान खिंचे| चीन में मौजूद कानून की याद दिलाकर अमरिकी कंपनियों ने चीन में कारोबार करते समय अमरिका की सुरक्षा के लिए झटका नही लगेगा, यह एहसास रखना होगा, यह बात भी पोम्पिओ ने स्पष्ट शब्दों में कही है|

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