परमाणु अस्त्रों के परीक्षण के लिए चीन ने भूमिगत यंत्रणाओं का निर्माणकार्य गतिमान किया – अमरिकी विशेषज्ञों का दावा

परमाणु अस्त्रों के परीक्षण के लिए चीन ने भूमिगत यंत्रणाओं का निर्माणकार्य गतिमान किया – अमरिकी विशेषज्ञों का दावा

बीजिंग/वॉशिंग्टन – अमरीका और रशिया ने परमाणु अस्त्रों की संख्या सीमित रखने से संबंधित समझौते का कार्यकाल बढ़ाने का निर्णय किया है और इसी बीच चीन अपने ‘न्युक्लिअर फोर्स’ का दायरा बढ़ाने के लिए तेज़ गतिविधियाँ कर रहा है। चीन ने अपने ‘इनर मंगोलिया’ प्रांत में परमाणु अस्त्रों के परीक्षण के लिए १६ भूमिगत यंत्रणाओं का निर्माण कार्य शुरू किया है। अमरिकी अभ्यासगुट ‘फेडरेशन ऑफ अमरिकन सायंटिस्टस्‌’ के विशेषज्ञ हैन्स क्रिस्टनसन ने यह जानकारी साझा की।

परमाणु

चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत ने बीते दशक से, अमरीका के साथ बराबरी करके जागतिक महासत्ता होने की अपनी महत्वाकांक्षा पूरी करने के लिए तेज़ गतिविधियाँ शुरू की हैं। इसके लिए आर्थिक, तकनिकी एवं लष्करी स्तर की क्षमता बढ़ाने की कोशिश हो रही है और परमाणु अस्त्रों की संख्या बढ़ाना भी इसी का हिस्सा समझा जा रहा है। कोरोना की महामारी की पृष्ठभूमि पर, अन्य देश इस महामारी से मुकाबला करने में व्यस्त हैं, ऐसे में चीन अपने रक्षा सामर्थ्य में बढ़ोतरी करने में जुटा होने की बात सामने आ रही है। चीन ने परमाणु स्तर पर शुरू की हुईं गतिविधियाँ और इससे संबंधित दावे भी इसी की पुष्टि करनेवाले साबित होते हैं।

‘फेडरेशन ऑफ अमेरिकन सायंटिस्टस्‌’ का हिस्सा होनेवाले ‘न्युक्लिअर इन्फॉर्मेशन प्रोजेक्ट’ के संचालक हैन्स क्रिस्टनसन ने अपने लेख में, चीन के परमाणु सज्जित होने की ओर ध्यान आकर्षित किया है। ‘इनर मंगोलिया’ प्रांत के जिलान्ताई शहर के करीब चीन ने परमाणु अस्त्रों का परीक्षण करने के लिए १६ भूमिगत यंत्रणाओं का (सिलोज्‌) निर्माण कार्य शुरू किया है। यह निर्माण कार्य युद्धस्तर पर पूरा किया जा रहा है, यह बात सैटेलाईटस्‌ से प्राप्त हुए फोटो से दिखाई दे रही है, ऐसा क्रिस्टनसन ने कहा है।

चीन ने नए से विकसित किए ‘डीएफ-४१’ नामक परमाणु अस्त्रों के लिए इन यंत्रणाओं का निर्माण किया होगा, ऐसा दावा भी क्रिस्टनसन ने किया। वर्ष २०१९ में हुई लष्करी परेड़ के दौरान, चीन ने पहली बार इन परमाणु अस्त्रों को विश्‍व के सामने पेश किया था। चीन के इन अंतरमहाद्विपीय बैलेस्टिक मिसाइलों की मारक क्षमता १४ से १५ हज़ार किलोमीटर है और ये मिसाइल ध्वनी के २५ गुना तेज़ यानी ‘मैक-२५’ गति प्राप्त कर सकते हैं, ऐसा कहा जा रहा है। इनर मंगोलिया में निर्माणकार्य हो रहें नए ‘सिलोज’ यही संकेत देनेवाले हैं कि चीन अपने परमाणु अस्त्रों की संख्या बढ़ाने की तैयारी में है, ऐसा अमरिकी विशेषज्ञों ने कहा है।

चीन के बेड़े में फिलहाल २०० से ३०० परमाणु अस्त्र मौजूद होने की बात कही जा रही है। लेकिन, चीन ने अधिकृत स्तर पर अपने परमाणु अस्त्रों की पुख्ता संख्या कभी भी सार्वजनिक नहीं की। साथ ही, चीन अपनी लष्करी क्षमता से संबंधित बातों के लिए पारदर्शिता ना रखनेवाले देश के रूप में जाना जाता है। इसी कारण, इस देश के परमाणु अस्त्रों की संख्या, जितनी बताई जा रही है, उससे कई अधिक होने की संभावना विश्‍लेषक जता रहा हैं। चीन के सरकारी मुखपत्र ‘ग्लोबल टाईम्स’ के बीते वर्ष प्रसिद्ध हुए लेख में, अमरीका की सामरिक महत्वाकांक्षा को रोकने के लिए चीन को कम से कम १ हज़ार परमाणु अस्त्रों से सज्जित होना होगा, यह माँग की गई थी।

इसके बाद अमरिकी रक्षा विभाग ने जारी की रिपोर्ट में, अमरीका और रशिया की तरह ‘न्युक्लिअर ट्रायड’ की क्षमता प्राप्त करने की दिशा में चीन जोरदार गतिविधियाँ कर रहा है और अगले दशक तक चीन के परमाणु अस्त्रों की संख्या दोगुनी से भी अधिक होगी, यह चेतावनी भी दी गई थी। नवंबर २०२० में चीन ने अपने तीन प्रकल्पों में, परमाणु अस्त्रों के लिए आवश्‍यक युरेनियम और प्युटोनियम का उत्पादन ख़ुफ़िया तरीके से शुरू किया है, यह चेतावनी अमरिकी यंत्रणाओं ने दी होने का वृत्त भी जारी हुआ था।

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