कॅनबेरा/बीजिंग – विएतनाम को ‘सद्भावना भेंट’ देने जा रहे ऑस्ट्रेलियाई नौसेना के विध्वंसक युद्धपोतों को चीन की नौसेना ने चुनौती दी है। १५ अप्रैल को हुए इस वारदात की जानकारी मीडिया के सामने आयी है। इस से ‘साऊथ चायना सी’ क्षेत्र का तनाव और भी बढ गया है। इस सागरी क्षेत्र में चीन की दादागिरी हर दिन बढती जा रही है और इस घटना के बाद यह बात फिर एक बार उजागर हुई है। इस से पहले भी ‘साऊथ चायना सी’ क्षेत्र से सफर करनेवाले जहाज और युद्धपोतों को रोकते हुए चीन द्वारा इस क्षेत्र पर स्वामित्व का दावा मजबूत करने का प्रयास हुआ था।
ऑस्ट्रेलियाई नौसेना के युद्धपोत तीन महीने के दक्षिण-पूर्व एशिया के मुहीम पर रवाना हो चुके है। पिछले हफ्ते ऑस्ट्रेलिया के ‘एचएमएएस ऍन्झॅक’, ‘एचएमएएस सक्सेस’ व ‘एचएमएएस तुवुम्बा’ यह तीन युद्धपोत विएतनाम दौरे पर दाखिल होने के लिए निकल गये थे। इतवार १५ अप्रैल को यह युद्धपोत ‘साऊथ चायना सी’ में आने के बाद चिनी नौसेना द्वारा उन्हे ‘वॉर्निंग’ का संदेशा दिया गया। ऑस्ट्रेलियाई युद्धपोतों द्वारा चिनी नौसेना को सही जवाब देने के बाद उन्हें आगे जाने के लिए निर्देश दिये गये, ऐसी जानकारी ऑस्ट्रेलियाई मीडिया ने सूत्रों के हवाले से दी।
चीन के रक्षा विभाग ने ऑस्ट्रेलियाई मीडिया के दावों को नकारते हुए वह वास्तविकता पर आधारित नही है ऐसा आरोप लगाया। चिनी नौसेना द्वारा व्यावसायिक स्तर पर ऑस्ट्रेलियाई नौसेना से संपर्क किया और उन्होंने उसी तरह से जवाब दिया, ऐसा खुलासा चीन के रक्षा मंत्रालय ने किया है। चीन के विदेश मंत्रालय ने भी अपनी नौसेना के कृती का समर्थन किया है।
चीन के प्रतिरोध के बावजूद ‘साऊथ चायना सी’ में ऑस्ट्रेलिया अभ्यास करेगा
ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री की फटकार
कॅनबेरा/बीजिंग – अंतरर्राष्ट्रीय कानून के अनुसार ऑस्ट्रेलियाई नौसेना को दुनिया के सारे सागरी क्षेत्र में परिवहन का पुरा अधिकार है और उस में ‘साऊथ चायना सी’ भी शामिल है, ऐसे कडे शब्दों में ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री माल्कम टर्नबूल ने चीन को फटकार लगायी। कुछ दिन पहले चीन की नौसेना ने ‘साऊथ चायना सी’ में से विएतनाम को भेंट देनेवाले ऑस्ट्रेलियाई युद्धपोतों को ललकारने की बात सामने आयी थी। इसर प्रकरण पर कठोर भूमिका लेनेवाले प्रधानमंत्री टर्नबूले ने अपने वक्तव्य द्वारा ऑस्ट्रेलिया चीन के दबाव के आगे न झुकते हुए स्वतंत्र और आक्रामक नीती कायम रखेगा ऐसे स्पष्ट संकेत दिये है।
‘‘ऑस्ट्रेलियाई नौसेना को दुनिया में सभी प्रकार के परिवहन करने की स्वतंत्रता है और उसके आधार पर हम चलते है। चीन के मामले में ऑस्ट्रेलियाई नौसेना को दुनिया के सागरी क्षेत्र में, परिवहन की स्वतंत्रता का मसला खडा होता है। अंतरर्राष्ट्रीय कानून के अनुसार ऑस्ट्रेलियाई युद्धपोतों को दुनिया के सारे सागरी क्षेत्र में सफर करने की स्वतंत्रता है और उस में ‘साऊथ चायना सी’ भी शामिल है’’, ऐसे शब्दों में प्रधान मंत्री टर्नबूल ने ‘साऊथ चायना सी’ के मामले पर ऑस्ट्रेलिया की भूमिका दृढ रखने का जिक्र किया।
पिछले कई सालों में ऑस्ट्रेलिया और चीन के दरमियान नजदिकीयॉं बढने की तसवीर सामने आ रही थी। ऑस्ट्रेलिया के पूर्व प्रधानमंत्री केविन रुड द्वारा चीन के साथ सहयोग बढाने पर जोर दिया गया था। पर टर्नबूल के कार्यकाल में ऑस्ट्रेलिया द्वारा चीन के मामले में आक्रामक भूमिका अपनाना शुरु हुआ। पिछले एक साल में ऑस्ट्रेलिया में चीन के बढते प्रभाव के बारे में कई विवादास्पद मसले आगे आये थे तथा ऑस्ट्रेलिया के एक प्रभावशाली सांसद को इस्तीफा भी देना पडा था।
पिछले साल ऑस्ट्रेलिया के विदेश विभाग द्वारा देश की विदेश निती और भूमिका के संदर्भ में ‘श्वेतपत्रिका’ प्रकाशित हुई थी। उस में चीन अमेरिका के वर्चस्व को चुनौती दे रहा है और ‘साऊथ चायना सी’ में उसका सैनिकी विस्तार एशिया में नये संघर्ष के लिए जिम्मेदार होगा, ऐसी खुली चेतावनी दी गयी थी। ऑस्ट्रेलिया और नजदिकी क्षेत्र का उल्लेख ‘इंडो-पॅसिफिक’ ऐसा करते हुए इस क्षेत्र के भवितव्य के लिए महत्त्वपूर्ण भूमिका का अवलंब करना यह ऑस्ट्रेलिया की महत्वाकांक्षा है, ऐसे बताया गया था।
ऑस्ट्रेलिया के नौसेना का विध्वंसक युद्धपोतों का दक्षिण-पूर्व एशिया का दौरा उसी का हिस्सा है तथा यह चीन के बढते प्रभुत्व को रोकने के लिए
हो रहे प्रयासों का भाग है, ऐसे दिखाई पड रहा है।
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