इस क्षेत्र में भारत की अहमियत बढने के संकेत
वॉशिंग्टन – अमरिकी नौसेना के ‘पॅसिफिक कमांड’ का नाम बदलते हुए अब ‘इंडो पॅसिफिक कमांड’ होनेवाला है| नाम में हो रहा इस बदलाव इस ‘कमांड’ की जिम्मेदारी और कार्यक्षेत्र की जानकारी देता है, ऐसे पेंटॅगॉन के प्रवक्ता कर्नल रॉब मॅनिंग ने कहा है| हिंद महासागर क्षेत्र से पॅसिफिक महासागर क्षेत्र तक के हिस्से की जिम्मेदारी इस ‘कमांड’ पर रहेगी, ऐसा संदेश इस अवसर पर अमरिका की तरफ से दिया जा रहा है| इस क्षेत्र में चीन की बढती आक्रामक कार्रवाईयों को देखते हुए अमरिका द्वारा लिया गया यह सबसे बडा रचनात्मक फैसला माना जा रहा है| इस वजह से इस क्षेत्र में भारत की भूमिका और भारत के गतिविधियों की अहमियत अनेक गुना बढेगी ऐसा दिखाई दे रहा है|
अमरिकी कॉंग्रेसद्वारा २०१९ साल के लिए रक्षाव्यय की तरतूद में ‘इंडो-पॅसिफिक’ क्षेत्र का खास उल्लेख करते हुए, चीन प्रभुता बढा रहे इस भाग में अमरिका को ध्यान केंद्रीत करना चाहिए, ऐसी मॉंग की गयी थी| इसलिए इस क्षेत्र में जरुरी तैनाती, सैनिक संरचनात्मक सुविधा और तेज गती से रक्षासामुग्री की यातायात करने के लिए प्रावधान होने चाहिए, ऐसा सुझाव अमरिकी संसद के ‘आर्म्ड सर्व्हिसेस कमिटी’ ने दिया था| कमिटी के १५ पन्ने के रिपोर्ट में चीन के आक्रामक गतिविधियों के चलते इस बारे में फैसला लेना जरुरी हो गया है, ऐसा दावा किया गया था| इसके कुछ हफ्ते बाद ही अमरिका द्वारा ‘इंडो-पॅसिफिक’ कमांड के घोषणा की तैय्यारी हो चुकी है| इस वजह से अमरिका आनेवाले समय में इस क्षेत्र में अपनी गतिविधियां बढाएगी, ऐसा दिखाई दे रहा है|
‘साऊथ चायना सी’, ‘ईस्ट चायना सी’ तथा ऑस्ट्रेलिया के नजदीक का सागरी क्षेत्र और हिंद महासागर क्षेत्र में चीन की नौसेना का संचार बढ रहा है| इसी लिए इस सारे क्षेज्ञ का एक विचार करके चीन के चुनौती का मुकाबला करने के लिए सारे देश एकजूट हो जाए, ऐसी मॉंग अमरिका से की जा रही है| खास करके भारत द्वारा अग्नेय एशियाई क्षेत्र के साथ पॅसिफिक महासागर में प्रभुता बढायी जाए और इस क्षेत्र की सुरक्षा के लिए योगदान दिया जाये, ऐसी मॉंग अमरिका हमेशा से कर रही है| अमरिका के साथ जापान और ऑस्ट्रेलिया ने भी यह मॉंग उठा ली थी| आसियान के सदस्य देशों ने भी भारत के साथ रक्षाविषयक सहयोग बढाते हुए चीन से बने खतरे का सामना करने की तैय्यारी शुरू की है|
इसके चलते, ‘इंडो-पॅसिफिक’ के बारे में अमरिका की नयी नीति भारत के लिए अनुकूल बात दिखाई दे रही है| इस वजह से भारत के साथ मिलकर अमरिका, चीन द्वारा इस सागरी क्षेत्र में हो रहें आक्रामक गतिविधियों को रोक सकता है| साथ ही चीन के बढते सैनिकी सामर्थ्य की वजह से इस क्षेत्र में तैय्यार हुआ असंतुलन दूर करते हुए संतुलन स्थापित करना संभव होगा| भारत के एक सामरिक विश्लषेक द्वारा पहली बार ‘इंडो-पॅसिफिक’ क्षेत्र की कल्पना सामने आयी थी| जापान के प्रधानमंत्री शिंजो ऍबे ने इस कल्पना को उठाते हुए इस सागरी क्षेत्र में भारत महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाये, ऐसा आग्रह भी किया था| उसके बाद ऑस्ट्रेलिया ने भी इसके लिए योजनाबद्ध कोशिश शुरु की थी| ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री टर्नबुल और फ्रान्स के राष्ट्राध्यक्ष मॅक्रॉन ने हाल ही में एक संयुक्त बयान में इस क्षेत्र का उल्लेख इंडो-पॅसिफिक ऐसाही किया था| इस वजह से दुनिया के सारे देस भारत द्वारा इस क्षेत्र में दिये जानेवाले योगदान पर उम्मीद से देख रहे है| अब अमरिका ने इस बात पर सक्रिय भूमिका लेते हुए अपने पॅसिफिक कमांड का परिवर्तन ‘इंडो-पॅसिफिक कमांड’ में करने की तैय्यारी शुरू की है|
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