रोम/पॅरिस – फ्रान्स के राष्ट्राध्यक्ष इमॅन्युअल मॅक्रॉन हेकड राष्ट्राध्यक्ष है| उनकी वजह से शरणार्थियों के संकट के मसले पर फ्रान्स यह इटली का पहिले नंबर का दुश्मन बनने का धोखा है, ऐसी चेतावनी इटली के प्रमुख नेताओं ने दी है| मॅक्रॉन ने बयान दिया है कि, यूरोप में अब सन २०१५ की तरह शरणार्थियों की समस्या नही रही और अबकी स्थिती राजनीतिक संकट का हिस्सा है| इटली के उप प्रधानमंत्री ‘लुईगी डि मेओ’ और अंतर्गत रक्षामंत्री ‘मॅटिओ सॅल्व्हिनी’ इन दोनो नेताओं ने इस बयान पर कडे शब्दों में जवाब दिया|
रविवार को ब्रुसेल्स में शरणार्थियों के मसले पर ‘मिनी समिट’ का आयोजन किया गया है| इस बैठक के पृष्ठभूमी पर फ्रेंच राष्ट्राध्यक्ष इमॅन्युअल मॅक्रॉन ने शरणार्थियों की समस्या के बारे में अपनी भूमिका स्पष्ट करते हुए इटली को निशाना बनाया| ‘यूरोप में अब सन २०१५ को हुए शरणार्थियों की समस्या जैसी स्थिती नही| इटली जैसे देशों में पिछले साल शरणार्थियों के झुण्ड जिस तरह धडक रहे थे, वह अब कम हो चुका है| अब शरणार्थियों के मसले पर पैदा हुआ संकट राजनीतिक है और वह शरणार्थियों के यूरोप में हो रहें यातायात से जुडा हुआ है|’ ऐसा दावा मॅक्रॉन ने किया है|
फ्रेंच राष्ट्राध्यक्ष की इस बयान पर इटली से तीव्र प्रतिक्रिया आयी| इटली के उप प्रधानमंत्री ‘लुईगी डि मेओ’ ने मॅक्रॉन को निशाना करते हुए, उनका बयान वास्तव से दूर जानेवाला दिखाई पडता है, ऐसे शब्दों में फ्रेंच राष्ट्राध्यक्ष को फटकार दी| ‘इटली पर आज भी शरणार्थियों के झुण्ड का काफी दबाव है| इसके लिए फ्रान्स जिम्मेदार है| यह देश उनकी सरहद से शरणार्थियों को वापिस भेज रहा है| मॅक्रॉन की कृती से शरणार्थियों के मसले पर फ्रान्स इटली का सबसे बडा दुश्मन बनने का धोखा पैदा हुआ है|’ ऐसे शब्दों में ‘लुईगी डि मेओ’ ने आलोचना की है|
इटली के अंतर्गत रक्षामंत्री ‘मॅटिओ सॅल्व्हिनी’ ने भी फ्रेंच राष्ट्राध्यक्ष के बयानों की कडे शब्दों में हाजिरी ली| ‘फ्रान्स के हेकड राष्ट्राध्यक्ष मॅक्रॉन के लिए शरणार्थियों के झुण्ड शायद समस्या नही लग रही| ऐसा है तो वह इटली का अपमान करता छोड दे और इटली और फ्रान्स के सरहद पर स्थित व्हेंटिमिग्लिआ से शरणार्थियों को फ्रान्स में आने दे| साथ ही फ्रान्स के बंदरगाह शरणार्थियों के लिए खुले करने का औदार्य दिखा दे’, ऐसी कडी चेतावनी ‘मॅटिओ सॅल्व्हिनी’ ने दी|
‘मॅटिओ सॅल्व्हिनी’ ने कहा की पिछले चार साल में इटली में छह लाख से अधिक शरणार्थि दाखल हुए है| उनकी वजह से देश की अर्थव्यवस्था पर करीब पॉंच अरब यूरो का बोझ पडा है, ऐसा दावा भी उन्होंने किया|
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