कॅनबेरा – ऑस्ट्रेलिया के वरिष्ठ नेता तथा अभ्यासकों द्वारा देश में चीन के बढते प्रभाव पर चिंता जताई जा रही है। इसी समय ऑस्ट्रेलिया के संसद ने विदेशी हस्तक्षेप रोकनेवाले ‘फॉरेन इंटरफिअरन्स लॉज्’ को मंजूरी दे दी है। चीन के साथ अन्य देश सरकार, मीडिया और शिक्षा संस्थाओं में कर रही दखलअंदाजी को रोक लगाने के लिए यह कानून आवश्यक है, इन शब्दों में ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री माल्कम टर्नबूल ने उसका समर्थन किया। ऑस्ट्रेलियन संसद द्वारा किये नये कानून की वजह से चीन और ऑस्ट्रेलिया के बीच राजनीतीक संबंध बिगडने की संभावना जताई जा रही है।
गुरुवार रात को ऑस्ट्रेलिया के संसद ने ३९ के खिलाफ १२ मतों से ‘फॉरेन इंटरफिअरन्स लॉज्’ को मंजूरी दी। नये कानूनों में राजनीति में दखलअंदाजी की कोशिश करनेवाले विदेशी संस्थाओं पर बंदी डाल दी है। ऑस्ट्रेलिया में गोपनीय तथा संवेदशनील जानकारी की चोरी करनेवालों के खिलाफ दंड और भी कठोर कर दिया गया है। ऑस्ट्रेलिया के अन्य देशों के साथ रहे आर्थिक संबंधो को क्षति पहुँचानेवाले कृत्य को गुनाह माना जायेगा। ऑस्ट्रेलिया के ऍटर्नी जनरल क्रिस्तिअन पोर्टर ने इसका स्वागत किया और कहा की १९७० के दशक बाद पहली बार इस तरह के कानूनों को मान्यता मिली है।
नये कानूनों में ३८ नये गुनाहों का समावेश किया गया है। इस में विदेशी शासन के लिए संवेदनशील कारोबारी जानकारी की चोरी करना और परकी शासन के साथ हाथ मिलाकर ऑस्ट्रेलिया के राजनीति पर असर करनेवाली कार्रवाई करना शामिल है। विदेशी शासन के लिए काम करनेवाले व्यक्ती तथा संस्थाओं को स्वतंत्र रुप से रजिस्टर करवाना होगा। यही बात ऑस्ट्रेलिया के संसद सदस्यों के लिए भी बंधनकारक की गयी है। ऑस्ट्रेलिया में काम कर रहें विदेशी जासूसों पर भी कार्रवाई होनेवाली है।
इन कानून को मंजूरी देते हुए प्रधानमंत्री माल्कम टर्नबूल ने कहा की यह किसि भी देश को निशाना बनाने के लिए नही बनाया गया है। पर इससे पहले प्रधानमंत्री टर्नबूल ने संसद और संसद के बाहर चीन द्वारा ऑस्ट्रेलिया में हो रही दखलअंदाजी की बार बार आलोचना की है। चीन इस तरह की कोशिश करना छोड दे ऐसी चेतावनी भी ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री ने दी थी। इसलिए नये कडे कानून यह चीन को ‘सही संदेश’ देने का प्रयास माना जा रहा है।
ऑस्ट्रेलिया के संसद में मंजूर कानून पर चीन ने अभी तक किसी भी तरह की प्रतिक्रिया नही दी है। पर यह विधेयक संसद में आने के बाद चीन ने उस पर अपनी नाराजगी जताई थी। कुछ दिन पहले चीन के विदेश मंत्रालय ने दुनिया के सभी देश शीतयुद्धकालिन मनोभूमिका से बाहर निकले और सहयोग तथा आदानप्रदान पर जोर दे, ऐसी फटकार लगायी थी। पिछले महीने चीन के ऑस्ट्रेलिया स्थित राजदूत ‘चेंग जिंग ये’ ने ऑस्ट्रेलिया में होनेवाले दखलअंदाजी का इल्जाम खारिज किया था।
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