लास व्हेगा – सायबर हमलों से अंतरीक्ष के सॅटेलाईट सुरक्षित नही हैं। वे हॅक किए जा सकते है और पृथ्वी पर उनकी ‘अँटीना’ का इस्तेमाल ‘मायक्रोव्हव’ की तरह करते हुए बडे हमले किए जा सकते है, ऐसी गंभीर चेतावनी सूचना प्रोद्योगिकी क्षेत्र के तज्ज्ञों ने दी है। अमेरीका के लास व्हेगास शहर में सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र पर जागतिक परिषद शुरू है, जहॉं सॅटेलाईट समेत ‘सेल्फ ड्रायव्हिंग कार्स’ तथा अन्य ‘स्मार्ट’ सिस्टम सायबर हमलों का सीधा निशाना बन सकते है, ऐसा धमकाया है।
सूचना प्रोद्योगिकी और सायबर सुरक्षा क्षेत्र से जुड़े १७ हजारों से अधिक तज्ज्ञ और अधिकारी उपस्थिती में लास व्हेगास शहर में ‘ब्लॅकहॅट इन्फोर्मेशन सिक्युरिटी कॉन्फरन्स’ शुरू है। इस परिषद में संभाव्य सायबर हमले तथा उन्हे रोकने के उपाय योजनाओं पर महत्वपूर्ण चर्चा हुई। इस समय कुछ तज्ज्ञों ने अंतरीक्ष के सॅटेलाईट तथा उन पर नियंत्रण रखने वाले पृथ्वी के सिस्टम के सायबर सुरक्षा का मुद्दा उपस्थित किया।
सॅटेलाईट जो दुनिया भर में जहाज, प्लेन तथा सेना द्वारा इस्तेमाल किया जाता है, वे आसानी से निशाना किया जा सकते है। इन सॅटेलाईट पर नियंत्रण रखने वाले पृथ्वी की सिस्टम पर भी हॅकर्स हमले कर सकते है। सॅटेलाईट द्वारा आने वाली जानकारी हासिल करने के लिए खड़ी की गई ‘अँटिना’ इन हॅकर्स का मुख्य निशाना बन सकी है, ऐसी चेतावनी तज्ज्ञों ने दी।
सॅटेलाईन और उनप नियंत्रण के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले ‘अँटिना’ से रेडिओ लहरों का इस्तेमाल होता है। इन्हीं रेडिओ लहरों का इस्तेमाल सायबर हमला तथा वास्तविकता में बड़ा हमला करने के लिए हो सकता है, ऐसा डर तज्ज्ञों ने जताया। अपने मुद्दे का समर्थन करते हुए तज्ज्ञों ने ‘मायक्रोव्हेव’ का उदाहरण दिया। जिस तरह ‘मायक्रोव्हेव’ में लहरों का इस्तेमाल कर खाने की चीजें गरम की जाती है, उसी आधार पर सॅटेलाईट की अँटिना का इस्तेमाल कर प्रचंड उर्जा निर्माण कर हमले किए जाएंगे, ऐसा दावा तज्ज्ञों ने किया है।
अमेरीका की परिषद के दौरान चेतावनी दी गई कि, सॅटेलाईट की सिस्टम हॅक कर उससे बड़ी संख्या में जानकारी की चोरी हो सकती है या गुम की जा सकती है।
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