लंडन – १९९८ से २००५ तक के कालखंड में महिलाओं पर रेप, लैंगिक छल और जबरन बंदी बनाके रखने के भयावह गुनाहों में शामिल रहे सात लोगों को ब्रिटन के ‘शेफिल्ड क्राऊन’ अदालत ने दोषी ठहराया है। यह सारे आशियाई होने की जानकारी मीडिया ने दी है। पर ऐसे रुप के गुनाहों की संख्या ब्रिटन में बडी मात्रा में बढ रही है और इसके पिछे षडयंत्र होने के दावे सामने आ रहे है। ब्रिटीश जनप्रतिनिधी सारा चॅम्पियन ने महिलाओं पर होनेवाले लैंगिक गुनाहों के पिछे पाकिस्तानी वंश के नागरिकों का गैंग होने का इल्जाम लगाया था। इन इल्जामों के बाद ब्रिटन में खलबली मच गयी थी। कुछ लोगों ने चॅम्पियन पर वंशद्वेष के इल्जाम लगाये थे। पर पिछले हफ्ते ‘शेफिल्ड क्राऊन’ अदालत ने दिए फैसले के बाद ब्रिटीश मीडिया को सारा चॅम्पियन ने दिए चेतावनी की याद आयी है।
मोहम्मद इम्रान अली अख्तर, नबील खुर्शिद, इकलाख युसूफ, तन्वीर अली, सलाह अहमद अल हकम, असीफ अली के साथ और एक को सामूहिक लैंगिक अत्याचार और अन्य गंभीर गुनाहों के लिए ‘शेफिल्ड क्राऊन’ अदालत ने दोषी ठहराया है। तकनीकी वजह से इस में से एक का नाम खुला नही किया गया है। साथ ही यह कौनसे वंश के है, इसकी भी जानकारी नही दी गयी है। पर इसके चलते ब्रिटन में चल रहे भयावह लैंगिक अत्याचार के प्रकरण उजागर हो रहे है। षडयंत्र के माध्यम से ब्रिटन के गौरवर्णिय महिलाओं के लैंगिक शोषण के सैंकडो मामलों की जॉंच शुरु हो चुकी है और उस में से खलबली मचानेवाली जानकारी सामने आ रही है।
ब्रिटन के रॉदरहॅम में सामूहिक अत्याचार और लैंगिक शोषण हुए लडकियों की तादात देढ हजार से अधिक होने की बाब जॉंच से सामने आयी है। सन २०१० से ऐसे रुप की घटनांए सामने आना शुरु हो गया था। सन २०१५ में ब्रिटन के ‘नॅशनल क्राईम एजन्सी’ ने इस संदर्भ में स्वतंत्र अभियान हाथ लिया था। उसको ‘ऑपरेशन स्टोव्हवूड’ ऐसा नाम दिया गया था। इस के अंतर्गत अब तक ४२० संदिग्ध लोगों की जॉंच शुरु हो गयी है। सन १९९७ से लेके २०१३ तक घटे ऐसे सारे घटनाओं की जॉंच की जायेगी, ऐसा कहा जा रहा है। अभी तक की जॉंच में बाहर आयी जानकारी भयानक होने का दावा मीडिया कर रहा है। सन २०१७ को ब्रिटीश संसद की सदस्या सारा चॅम्पियन ने एक अखबार में इस संदर्भ में चेतावनी दी थी।
पाकिस्तानी वंश के ब्रिटीश नागरिकों द्वारा गौरवर्णिय महिलाओं पर अत्याचार किये जा रहे है। इन गुनाहों की संख्या भयावह तरिके से बढ रही है, ऐसा चॅम्पियन ने अपने लेख में बताया था। इतनाही नही, बल्कि जनप्रतिनिधी के रुप में रहते हुए भी मुझे असुरक्षित लग रहा था, ऐसे भी चॅम्पियन ने कहा था।
ईस लेख के बाद चॅम्पियन पर वंशद्वेष का इल्जाम लगा था और उस के राजकीय परिणाम भी उन्हें भुगतने पडे थे। पर अब पाकिस्तानी वंश के गुनहगारों की गैंग्ज् षडयंत्र बनाकर गौरवर्णिय महिलओं को निशाना बनाने की बात सामने आ रही है। इस वजह से मीडिया द्वारा सन २०१७ में चॅम्पियन द्वारा लिखा गया वह लेख और उस में किए गये दावों पर जनता का ध्यान खींचा गया है। सन २०१७ में किलियम नाम के एक गुट ने अपने रिपोर्ट में, ब्रिटन में ‘ग्रुमिंग गँग’ अर्थात महिला और अल्पवयीन लडकियों पर अत्याचार करनेवाले गैंग्ज् में ८४ प्रतिशत दक्षिण आशिया से ब्रिटन में स्थित हुए लोग है, ऐसा कहा गया था। इस में से अधिकतम गुनहगार पाकिस्तानी वंश के इस्लामधर्मी है, ऐसा इस गुट ने बताया था। पर इस रिपोर्ट पर ब्रिटन की यंत्रणा ने गंभीर रुप से देखा नही, ऐसी आलोचना शुरु हो गयी है। ब्रिटन के कुछ राजनीतिक दलों ने यह मसला उठा लेने की बात सामने आयी है।
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