वॉशिंगटन – राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प इन्होंने अफगानिस्तान से सेना की वापसी करने का विचार नही किया है, यह ऐलान व्हाईट हाऊस ने किया है। अफगानिस्तान में लंबं समय से शुरू आतंकविरोधी युद्ध पर सवाल करके ट्रम्प इन्होंने अफगानिस्तान से सेना की वापसी करने का आदेश जारी किया है, ऐसे समचार कुछ दिनों पहले अमरिका में शीर्ष माध्यमों ने प्रसिद्ध किए थे। लेकिन व्हाईट हाऊस ने ऐसा कुछ नही है, यह कहकर माध्यमों ने गलत खबरें दी है, ऐसी आलोचना की।
अमरिकी राष्ट्राध्यक्ष ने सोशल मीडिया के माध्यम से सीरिया से सेना की वापसी करने का ऐलान किया था। उसके बाद अमरिका में ‘ब्लुमबर्ग’ इस वृत्तसंस्था ने राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प इन्होंने अफगानिस्तान में तैनात सेना की तुरंत वापसी करने की सूचना रक्षा मुख्यालय ‘पेंटॅगॉन’ को दी है, यह खबर प्रसिद्ध की थी। फिल हाल अफगानिस्तान में तैना १४ हजार सैनिकों में से ७ हजार सैनिकों की वापसी करने के आदेश ट्रम्प इन्होंने जारी किए है, यह दाव इस वृत्तसंस्था ने किया था।
अन्य वृत्तसंस्थाओं ने भी ट्रम्प अफगानिस्तान से सेना की वापसी कर रहे है, यह समाचार प्रसिद्ध किए थे। इस वृत्त के समर्थन के लिए ट्रम्प प्रशासन और पेंटॅगॉन के कुछ अधिकारियों का हवाला भी इन माध्यमों ने दिया था। रक्षा मंत्री जेम्स मैटिस इनके इस्तिफे के लिए अफगानिस्तान से सेना वापसी करने का निर्णय कारण बना, यह दावा भी इन माध्यमों ने किया था। उसके बाद अमरिकी कॉंग्रेस मेंे ट्रम्प पर आलोचना भी हुई थी। लेकिन व्हाईट हाऊस ने शनिवार के दिन ‘ब्लुमबर्ग’ इस वृत्तसंस्था को भेजे ‘ई-मेल’ में अफगानिस्तान से सेना की वापसी करने के संबंध में झुठी खबर प्रसिद्ध करने पर आपत्ति जताई थी।
अफगानिस्तान में तैनात अमरिकी सेना में कटौती करने के संबंधी ट्रम्प इन्होंने कोई भी निर्णय किया है। साथ ही उन्होंने रक्षा मंत्रालय को भी अफगानिस्तान से सेना की वापसी करने के निर्देश भी नही दिए है, इन शब्दों में अमरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा समिती के प्रवक्ता गैरेट माक्वीज इन्होंने इस वृत्तसंस्था को फटकार लगाई है। इसके पहले अफगानिस्तान में अमरिकी और नाटो सेना के प्रमुख जनरल स्कॉट मिलर इन्होंने भी अफगानिस्तान से सेना की वापसी करने के संबंधी कोई सूचना हमें प्राप्त नही हुई है, यह कहा था।
अफगानिस्तान में शुरू आतंकविरोधी मुहीम आधे में छोडकर सेना की वापसी की तो फिर से ९/११ होगा, यह चेतावनी अमरिकी रक्षा दल प्रमुख जोसेफ डनफोर्ड इन्होंने इसके पहले ही दी थी। साथ ही ट्रम्प इन्होंने अफगानिस्ता में तालिबान विरोधी कार्रवाई आक्रामक करके ड्रोन्स और लडाकू विमानों के हमले भी तेज किए थे। लेकिन यह कार्रवाई करने के साथ ही अमरिकाने अफगानिस्तान सरकार की तालिबान के बागी गुटों के साथ शांतिचर्चा शुरू करने की कोशिशों को समर्थन भी दिया था। अमरिका के अफगानिस्तान में नियुक्त विशेषदूत झाल्मे खलिलझाद इन्होंने इसके लिए तालिबान के वरिष्ठ कमांडर के साथ चर्चा भी की थी।
अमरिका सेना की वापसी करने की खबर फैलाएगी और खुद को अपेक्षित परिणाम प्राप्त करेगी। लेकिन वास्तव में अमरिका अफगानिस्तान से सेना वापसी करने का निर्णय कभीभी नही करेगी, यह विश्लेषकों का कहना है। अफगानिस्तान जैसे देश पर नियंत्रण रखकर अमरिका एक ही समय पर कई परिणाम प्राप्त कर रही है। रशिया, ईरान, चीन और पाकिस्तान इन देशों के साथ सरहद बॉंट रहे अफगानिस्तान में सेना तैनात रखना यह अमरिका के हितसंबंधों का हिस्सा बनता है, इस ओर भी विश्लेषक ध्यान आकर्षिथ कर रहे है।
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