वॉशिंगटन – ‘अमरिका के दुश्मन माहिती एवं दूरसंचार तकनीक क्षेत्र के कमजोरी का लाभ उठाकर सायबर हमलें एवं आर्थिक एवं औद्योगिक क्षेत्र की संवेदनशील जानकारी प्राप्त कर रही है, यह बात उजागर हुई है| इसी बीच अमरिकी माहिती एवं तकनीक क्षेत्र की कंपनीयों पर कब्जा करके इसका इस्तेमाल अमरिका की सुरक्षा के विरोध में करने की क्षमता दुश्मनों से संबंधित व्यक्ती एवं गुटों ने प्राप्त की है| इससे अमरिकी अर्थव्यवस्था के समेत राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बना खतरा ध्यान में रखकर माहिती एवं दूरसंचार तकनीक क्षेत्र में आपात्काल का ऐलान किया जा रहा है’, इन शब्दों में राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प इन्होंने विदेशी दूरसंचार कंपनीयों के विरोध में आपात्काल का ऐलान किया|
ट्रम्प ने जारी किए अध्यादेश में किसी देश या कंपनीका जिक्र नही है, फिर भी यह घोषणा चीन एवं चीन की कंपनीयों के विरोध में शुरू कार्रवाई का अगला स्तर समझा जा रहा है| आपात्काल का ऐलान करने के बाद अमरिका के व्यापार विभाग ने व्यापार से संबंधित ‘ब्लैक लिस्ट’ प्रसिद्ध की है और इसमें चीन की ‘हुवेई’ समेत अन्य कंपनीयों का समावेश है| ट्रम्प इन्होंने की आपात्काल की घोषणा और उसके साथ जारी की गई ‘ब्लैक लिस्ट’ की वजह से अमरिका और चीन के बीच शुरू व्यापार युद्ध का नया विस्फोट होने की संभावना जताई जा रही है|
राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प इन्होंने जाहीर की हुई आपात्काल का अमरिका की ‘फेडरल कम्युनिकेशन्स कमिशन’ ने स्वागत किया है| ‘फेडरल कम्युमिकेशन’ के प्रमुख ‘अजित पै’ इन्होंने यह ऐलान अमरिका में सायबर एवं दूरसंचार क्षेत्र की ‘नेटवर्क्स’ की सुरक्षा के लिए काफी अहम कदम है, यह प्रतिक्रिया दर्ज की है| लेकिन, चीन ने इस मुद्दे पर तीव्र प्रतिक्रिया व्यक्त की है और राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प अमरिका और चीन के बीच शुरू द्विपक्षीय व्यापारी संबंधों के लिए खतरा बना रहे है, यह दावा चीन के व्यापार विभाग से किया गया है| वही, ‘ब्लैक लिस्ट’ में दर्ज नामों में शामिल ‘हुवेई’ कंपनी ने अपने काम से अमरिका की सुरक्षा के लिए खतरा नही है और चीन सरकार के साथ अपना कुछ भी संबंध ना होने का दावा दोहराया है|
लेकिन, ‘राष्ट्रीय आपात्काल’ का अध्यादेश और ब्लैक लिस्ट जारी करके ट्रम्प ने चीन के विरोध में अपनाया अपना पवित्रा और भी आक्रामक किया है, यह स्पष्ट रूप से दिखाया है| कुछ दिन पहले ही ट्रम्प ने चीन पर खुले तौर पर व्यापारी समझौते में अडंगा लगाने का आरोप करके आयात करों में बढोतरी करने का ऐलान किया था| इसके साथ ही अमरिका में निर्यात हो रहे चीन के सभी उत्पादों पर कर लगाने का इशारा भी दिया था| अब आपात्काल के अध्यादेश के जरिए ट्रम्प ने चीन को उजागर तौर पर लक्ष्य किया है|
पिछले वर्ष से ट्रम्प प्रशासन एवं अमरिका ने चीन की ‘हुवेई’ कंपनी के विरोध में काफी कठोर भूमिका अपनाई है| अमरिका के सरकारी विभागों में ‘हुवेई’ के इस्तेमाल पर पहले ही पाबंदी जारी की गई है| दिसंबर महीने में अमरिका के निर्देश से कनाडा ने ‘हुवेई’ की कार्यकारी संचालिका वँगझाऊ मेंग इन्हें गिरफ्त में लिया था| उसके बाद जनवरी महीने में अमरिका ने ‘हुवेई’ कंपनी के विरोध में आरोप पत्र दाखिल किया था| इसमें तकनीक की चोरी, बैंक व्यवहारों में गबन, कानून के अमल में अडंगा लाना इन आरोपों के साथ ईरान पर लगाए प्रतिबंधों का भंग करने के गंभीर आरोप दर्ज किए थे|
अमरिका ने अपने मित्रदेशों पर भी ‘हुवेई’ के विरोध में कार्रवाई करने के लिए दबाव बनाने की शुरूआत की थी| ‘हुवेई’ यह चीन सरकार की कंपनी है और इस कंपनी के चीन की गुप्तचर यंत्रणा के साथ काफी कडे संबंध है| इस वजह से यह कंपनी अन्य देशों की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा बनती है, यह कडा इशारा अमरिका के विदेशमंत्री माईक पोम्पिओ इन्होंने दिया था| अमरिका के दबाव के बाद ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड इन दो देशों ने ‘हुवेई’ के इस्तेमाल पर प्रतिबंध?घोषित किए थे|
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