वॉशिंगटन/तैपेई/बीजिंग – अमरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन और तैवान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार डेव्हीड ली की अहम बैठक हुई है। लेकिन, तैवान की सुरक्षा के मुद्दे पर यह बैठक होने से चीन ने कडी आपत्ति जताई है। तैवान के साथ सहयोग बढाकर अमरिका ‘वन चाइना’ नीति को झटका दे रही है। चीन यह कभी भी बर्दाश्त नही करेगा, यह धमकी चीन के विदेश मंत्रालय ने दी है।
तैवान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार डेव्हीड ली यह अमरिका की यात्रा करेंगे, ऐसे समाचार भी प्रसिद्ध हुए थे। मई १३ से ३१ के दौरान डेव्हीड ली अमरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन इनसे भेंट करेंग, यह कहा जा रहा था। दोनों देशों के सुरक्षा सलाहकारों की बैठक के लिए दिन और जगह का ऐलान किया गया नही था। अमरिका और तैवान ने इस विषय में अधिकृत प्रतिक्रिया दर्ज नही की थी। चीन भी पहले इस बैठक के बारे में प्रतिक्रिया देने से दूर रहा था।
लेकिन, दो दिन पहले तैवान के मुखपत्र ने यह समाचार प्रसिद्ध किया है की, ‘ली की अमरिका यात्रा सफल रही है और इस दौरान उन्होंने बोल्टन से बातचीत की है।’ वही अमरिका और तैवान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की यह पहली बडी बैठक हुई है, ऐसा अमरिकी माध्यमों का कहना है। डेव्हीड ली और जॉन बोल्टन की बैठक का ब्यौरा दोनों देशों ने प्रसिद्ध नही किया है। लेकिन, डेव्हीड ली ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बोल्टन के समेत अमरिकी लष्करी अधिकारी और अभ्यास गुटों के विश्लेषकों से भी भेंट करने का तैवान के मुखपत्र ने घोषित किया है।
इस भेंट पर चीन के विदेश मंत्रालय ने कडी आपत्ति जताई है। इस भेंट की कडे शब्दों में निंदा करके चीन ने अमरिका को तैवान के साथ अधिकृत स्तर पर बना सभी प्रकार का सहयोग पूरी तरह से बंद करने का निवेदन किया है। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लू कँग इन्होंने यह निवेदन किया है और चीन-अमरिका सियासी संबंध ‘वन चाइना’ नीति पर निर्भर है। यह नीति ठुकराकर अमरिका तैवान के साथ किसी भी प्रकार का सहयोग स्थापित करती है तो चीन इस सहयोग का बडी तीव्रता के साथ विरोध करेगा, यह इशारा भी कँग ने दिया।
साथ ही टू चाइना या वन चाइना, वन तैवान के निर्माण के लिए हो रही कोशिशों के विरोध में चीन डटकर खडा रहेगा। तैवान को लेकर चीन की यह स्पष्ट भूमिका है और इस पर किसी भी प्रकार का समझौता मुमकिन नही है, यह इशारा चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने दिया है। अमरिका और चीन में फिल हाल व्यापारयुद्ध और साउथ चाइना सी के मुद्दे पर काफी तनाव है। ऐसी स्थिति में तैवान के साथ सुरक्षा विषयक बातचीत करके अमरिका ने चीन के सामने नई चुनौती खडी की दिख रही है।
तैवान, यह हमारा ही सार्वभूम हिस्सा होने का दावा चीन कर रहा है। इसी लिए अन्य कोई भी देश या संगठन तैवान के साथ स्वतंत्र सहयोग स्थापित ना करें, यह चीन की भूमिका है। तैवान यह चीन का ही हिस्सा होने की बात स्वीकार कर रहे यानी वन चाइना पॉलिसी मंजूर होनेवाले देशों के साथ चीन सियासी एवं अन्य स्तरों पर सहयोग करता रहा है। आजतक अमरिका ने भी चीन की वन चाइना नीति को चुनौती नही दी थी। लेकिन, राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प सत्तापर आने के बाद उन्होंने तैवान के साथ सियासी, लष्करी और व्यापारी सहयोग में बढोतरी करने के लिए आक्रामक नीति पर अमल किया है। पैसिफिक क्षेत्र के देश भी चीन का दबाव ठुकराकर तैवान के साथ सहयोग स्थापित करें, यह निवेदन भी अमरिका ने हाल ही में किया था। इसके लिए अमरिका के विदेश मंत्रालय ने तेजीसे कदम उठाया दिख रहा है।
इस दौरान, बोल्टन और ली की बैठक को पैसिफिक क्षेत्र के ‘पलाउ’ और ‘मार्शल आयलैंड’ इन देशों के प्रतिनिधी भी उपस्थित थे, यह दावा माध्यमों ने किया है।
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