हॉंगकॉंग की जनता का चीन के विरोध में ‘आखरी संघर्ष’

हॉंगकॉंग की जनता का चीन के विरोध में ‘आखरी संघर्ष’

हॉंगकॉंग – अमरिका के विरोध में शुरू व्यापारयुद्ध की वजह से अर्थव्यवस्था को लग रहे झटकों की पृष्ठभूमि पर चीन की हुकूमत के विरोध में काफी असंतोष है। हॉंगकॉंग की चीन समर्थक प्रशासन ने स्थानिय गुनाहगारों को चीन के हाथ सौपने का प्रावधान करने के लिए नया विधेयक पेश किया है। यह विधेयक यानी हॉंगकॉंग का प्रशासन चीन की हुकूमत के हाथों की कठपुतली होने के संकेत है, यह आलोचना आम जनता कर रही है।

इस विधेयक के विरोध में हॉंगकॉंग में व्यापक आंदोलन खडा हुआ है और रविवार के दिन हुए प्रदर्शनों में लाखों लोग शामिल हुए थे। चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत को विरोध कर रहे गुटों ने यह आंदोलन यानी ‘चीन के विरोध में शुरू हुआ आखरी संघर्ष’ होने का निवेदन किया है।

इसके पहले वर्ष २०१४ में चीन के हस्तक्षेप के विरोध में ‘अम्ब्रेला मुव्हमेंट’ नाम का बडा आंदोलन शुरू हुआ था। यह आंदोलन हॉंगकॉंग पर चीन ने बनाए वर्चस्व को झटका देनेवाला अहम स्तर समझा गया।

फिलहाल हॉंगकॉंग यह चीन का ही हिस्सा है, फिर भी हॉंगकॉंग का नियंत्रण प्राप्त करते समय चीन ने ‘वन कंट्री, टू सिस्टिम्म’ यह तत्व स्वीकारा था। इसी कारण हॉंगकॉंग की सियासी व्यवस्था चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत की तरह नही है। यहां की व्यवस्था जनतंत्र से काफी निकट है। इस कारण चीन फिलहाल ‘वन कंट्री, वन सिस्टिम’ नीति के लिए पहल करके हॉंगकॉंग पर पुरा नियंत्रण पाने की कोशिश कर रहा है।

इसे हॉंगकॉंग की जनता बडी तीव्रता के साथ विरोध कर रही है और यह विरोध रविवार के दिन हुए प्रदर्शनों के कारण फिर से दुनिया के सामने उजगार हुआ। कुछ दिन पहले ही चीन में हुए ‘तिआनमेन हत्याकांड’ को तीस वर्ष पूरे हुए है औड़ चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत ने किए इस निघृण हत्याकांड का पुरे विश्‍व से निषेध और निंदा हुई थी। इस पृष्ठभूमि पर हॉंगकॉंग में हुए चीन के विरोधी प्रदर्शनों की सियासी अहमियत और भी बढती दिख रही है।

आजतक अमरिकी प्रशासन ने चीन संबंधी अपनाई उदार नीति राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प ने पूरी तरह से बदल दी है और तैवान को राष्ट्र के तौर पर मंजुरी देने के दिशा में कदम उठाए है। ऐसी स्थिति में हॉंगकॉंग में शुरू हुए प्रदर्शन चीन के सामने नई चुनौती खडी करनेवाले साबित हो रहे है। इसीलिए फिलहाल हॉंगकॉंग में शुरू इन प्रदर्शनों के विरोध में आक्रामक कार्रवाई करना चीन के लिए महंगा साबित हो सकता है। इसी दौरान यह प्रदर्शन शुरू रहना भी चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत के लिए खतरनाक साबित होता दिख रहा है।

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