हॉंगकॉंग के चीन समर्थक प्रशासन ने विवादित कानून पीछे लेने से किया इन्कार – प्रदर्शन तीव्र होने के संकेत

हॉंगकॉंग के चीन समर्थक प्रशासन ने विवादित कानून पीछे लेने से किया इन्कार – प्रदर्शन तीव्र होने के संकेत

हॉंगकॉंग/बीजिंग – ‘गुनाहगारों को दुसरे देश के हवाले करने संबंधी विधेयक चीन की हुकूमत की पहल से रखा गया नही है। मुझे किसी से भी इस विधेयक को लेकर सूचना प्राप्त नही हुई है। इस बारे में विपक्षी दलों की गलतफहमी हुई है’, इन शब्दों में हॉंगकॉंग के चीन समर्थक प्रशासन के प्रमुख कैरी लैम इन्होंने विवादित विधेयक के मुद्दे पर पीछे हटने से स्पष्ट इन्कार किया। लैम के इन्कार करने से हॉंगकॉंग की जनता में बना असंतोष और भी तीव्र्र हुआ है और इससे चीन के विरोध शुरू हुए प्रदर्शन और भी तीव्र होने के संकेत प्राप्त हो रहे है।

हॉंगकॉंग की सरकार ने कुछ महीने पहले कानून और व्यवस्था में सुधार करने के नाम से नया विधेयक तैयार किया था। यह विधेयक बहुमत के बल पर चुपचाप से मंजूर करके इसपर अमल करने की प्रशासन की कोशिश थी। लेकिन, इस विधेयक के अहम और विवादित प्रावधान सार्वजनिक हुए। इसमें हॉंगकॉंग के गुनाहगारों को कानूनी कार्रवाई के लिए चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत के हवाले करने के प्रावधान का भी समावेश है। इस प्रावधान का इस्तेमाल करके चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत उनके विरोध में आवाज उठा रहे जनतंत्रवादी कार्यकर्ता एवं लेखकों को कब्जे में लेकर उनके विरोध में कार्रवाई करेगी, यह डर हॉंगकॉंग के स्थानिय व्यक्त कर रहे है।

इससे पहले वर्ष २०१४ में हॉंगकॉंग के युवकों ने चीन के बढते दबाव को विरोध करने के लिए व्यापक आंदोलन?शुरू किया था। ‘अम्ब्रेला मुव्हमेंट’ के तौर पर पहचाने जा रहे इन प्रदर्शनों से कुछ युवकों ने हॉंगकॉंग की राजनीती में भी प्रवेश किया था। हॉंगकॉंग की विधिमंडल में लगातार चीन के विरोध में भूमिका अपना रहे इन सदस्यों के विरोध में प्रशासन ने कानूनी कार्रवाई करके उन्हें कारागृह में बंद किया था। उसके बाद यह प्रदर्शन शांत होते दिखाई दिए थे, फिर भी हॉंगकॉंग की जनता में चीन के विरोध में तैयार हुई भावना अभी भी तेज होने की बात रविवार के दिन हुए व्यापक प्रदर्शनों से सिद्ध हुई।

वर्ष १९९७ में ब्रिटेन ने हॉंगकॉंग का कब्जा चीन के हवाले करते समय चीन की उस समय की हुकूमत ने ‘वन कंट्री टू सिस्टिम्स’ यह तत्व स्वीकारने की तैयारी दिखाई थी। साथ ही हॉंगकॉंग का कब्जा करने के बाद अघले ५० वर्षों तक हॉंगकॉंग की सामाजिक, कानूनी और राजनयिक व्यवस्था बरकरार रहेगी, यह गारंटी दी थी। लेकिन, चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत ने पिछले कुछ वर्षों से उस समय दी गारंटी से दूर रहकर ‘वन कंट्री, वन सिस्टिम’ नीति पर अमल करने के लिए दबाव बनाना शुरू किया।

हॉंगकॉंग की जनता को यह दबाव मंजूर नही है और इसी खातर यह जनता रास्तेपर उतरकर चीन की हुकूमत को सबक सिखाने की हिम्मत रखती है, यह संदेशा रविवार दिन आयोजित ‘मिलियन मार्च’ के दौरान प्रदर्शनकारियों ने किया है। पिछले कुछ वर्षं में चीन ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपना प्रभाव स्थापित करने की कोशिश में सफलता प्राप्त की है, फिर भी जनतंत्र और मानवाधिकार के मुद्दे पर चीन पर हो रही आलोचना अभी भी कायम है। चीन ने हॉंगकॉंग में अपनी दबाव नीति कायम रखी तो जागतिक स्तर पर चीन को किमत चुकानी होगी, इस संभावना से भी इन्कार नही किया जा सकता। इस वजह से पिछले कुछ दिनों में चीन की हुकूमत हॉंगकॉंग संबंधी कौन सी भूमिका अपनाते है, यह बात ध्यान आकर्षित करनेवाली साबित हो सकती है।

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