नई दिल्ली – अमरिका, रशिया और चीन ने अंतरिक्ष युद्ध की काफी तैयारी करने की बात सामने आ रही है और ऐसे में अब भारत ने भी इसी तैयारी की शुरूआत करने की दिशा में अहम कदम बढाया है| केंद्रीय मंत्रिमंडल की सुरक्षा संबंधी बैठक में अंतरिक्ष युद्ध के लिए जरूरी हथियार और तकनीक विकसित करने के लिए स्वतंत्र यंत्रणा का गठन करने का निर्णय किया गया है| इसके तहेत ‘डिफेन्स स्पेस रिसर्च एजन्सी’ (डीएसआरए) का गठन होने की जानकारी वृत्तसंस्था ने सूत्रों के दाखिल से दी है|
अमरिका के राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प ने फरवरी महीने में अमरिका ‘स्पेस फोर्स’ का निर्माण करेगी, यह ऐलान किया था| रशिया और चीन इन प्रमुख देशों ने भी अंतरिक्ष क्षेत्र में दौड लगाई है और अंतरिक्ष में अपने हितसंबंधों की सुरक्षा के लिए अमरिका को यह निर्णय करना अनिवार्य है, यह दावा राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प ने किया था|
इस पर रशिया और चीन से कडी प्रतिक्रिया भी दर्ज हुई थी| इन दोनों देशों ने अमरिका पर अंतरिक्ष का लष्करी करण करने का आरोप किया था| साथ ही अमरिका की ‘स्पेस फोर्स’ का मुकाबला करने के लिए हम भी जरूरी निर्णय करेंगे, यह भी रशिया और चीन ने स्पष्ट किया था|
अगले दौर में अतंरिक्ष क्षेत्र भी प्रमुख युद्धभूमी रहेगी, यह दावा विश्लेषकों से किया जा रहा है| गौरतलब है की अंतरिक्ष युद्ध की तैयारी काफी पहले से शुरू होने की चेतावनी भी विश्लेषकों ने दी थी| इस पृष्ठभूमि पर भारत के केंद्रीय मंत्रिमंडल की सुरक्षा संबंधी बैठक में ‘डिफेन्स स्पेस रिसर्च एजन्सी’ (डीएसआरए) का गठन करने का निर्णय किया गया है| यह एजन्सी अंतरिक्ष युद्ध के लिए जरूरी हथियार और तकनीक विकसित करेगी| इस संशोधन के जरिए डिफेन्स स्पेस एजन्सी को सहायता करने का काम ‘डीएसआरए’ द्वारा होगा|
फिलहाल वायुसेना के एअर व्हाईस मार्शल पद का अधिकारी ‘डीएसआरए’ का नेतृत्व करेगा, यह बताया गया है| साथ ही ‘डीएसआरए’ धीरे धीरे देश के अंतरिक्ष क्षेत्र का नियंत्रण संभालेगी| ‘डीएसआरए’ तिनों रक्षादलों के साथ समन्वय रखकर अपना कार्य करेगी, यह जानकारी सूत्रों ने दी है|
लगभग दो महीने पहले भारत ने ‘मिशन शक्ति’ को अंजाम देकर अंतरिक्ष में छोडा गया सैटलाइट नष्ट करने की अपनी क्षमता का परिक्षण किया था| इस परिक्षण के दौरान भारत ने अपना ही एक उपग्रह नष्ट किया और अपनी क्षमता पूरी दुनिया को दिखाई थी| भारत ने किए इस परिक्षण पर चीन से चिंता व्यक्त की गई थी| इससे पहले चीन ने भी सैटलाइट विरोधी मिसाइल का परिक्षण किया था| चीन के इस परिक्षण के बाद पुरी दुनिया में खलबली मची?थी| साथ ही यह परिक्षण करने पर सभी प्रमुख देशों ने चीन पर कडी आलोचना भी की थी|
लेकिन, भारत ने सैटलाइट विरोधी मिसाइल का परिक्षण करने पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय पक्षपात कर रहा है और भारत पर किसी भी तरह से आलोचना नही कर रहे है, इन शब्दों में चीन के माध्यमों ने अपनी आपत्ति दर्ज की थी|
भारत ने किए इस परिक्षण के बाद चीन ने लेजर और इलेक्ट्रोमॅग्नेटिक हथियारों के परिक्षण का सिलसीला शुरू किया| अमरिका और ऑस्ट्रेलिया के विमानचालकों पर चीन ने लेजर हमलें भी किए है, यह आरोप हुए थे| इस पृष्ठभूमि पर अंतरिक्ष युद्ध की तैयारी के लिए भारत ने उठाया यह कदम काफी अहम है| अंतरिक्ष क्षेत्र में देश के हितसंबंध सुरक्षित रखने के लिए भारत को यह क्षमता प्राप्त करना जरूरी है और रक्षादलों के प्रमुखों ने एवं सामरिक विश्लेषकों ने भारत के नेतृत्व को समय समय पर यह अहसास भी दिलाया था|
इस दौरान, जुलै महीने के आखरी सप्ताह में भारत ‘स्पेस वॉर’ यानी अंतरिक्ष युद्ध की तैयारी के लिए युद्धाभ्यास करेगा, यह जानकारी सामने आ रही है| भारत के इस युद्धाभ्यास के लिए ‘इंडस्पेसएक्स’ नाम दिया गया है और यह एक ‘टेबलटॉप’ युद्धाभ्यास रहेगा, ऐसा कहा जा रहा है| इस युद्धाभ्यास में लष्करी और विज्ञान क्षेत्र के अधिकारी एवं विशेषज्ञ शामिल होंगे, यह जानकारी दी जा रही है| इस प्रकार के युद्धाभ्यास का भारत पहली बार आयोजन कर रहा है|
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