चीन की राक्षसी महत्त्वाकांक्षा और लष्करीकरण दुसरे विश्‍वयुद्ध के ‘नाझी जर्मनी’ जैसी – ऑस्ट्रेलियन सांसद की चेतावनी

चीन की राक्षसी महत्त्वाकांक्षा और लष्करीकरण दुसरे विश्‍वयुद्ध के ‘नाझी जर्मनी’ जैसी – ऑस्ट्रेलियन सांसद की चेतावनी

कैनबेरा – ‘आर्थिक उदारता से चीन में जनतंत्र स्थापित होगा और ऐसा चीन अपने लिए सुरक्षित होगा, यह समज कुछ पश्‍चिमी रखते है| वर्ष १९४० के दौरान पोलाद और कांक्रिट की दिवार खडी करनेवाला फ्रान्स भी इसी तरह खुद को जर्मनी के विरोध में सुरक्षित महसूस कर रहा था| लेकिन, उन्हें इस गलत विचारधारा की भयंकर किमत चुकानी पडी| गति के बल पर लडे जानेवाले युद्ध का एहसास फ्रान्स को उस समय हुआ ही नही और आज के दौर में भी ऑस्ट्रेलिया अपने तानाशाही प्रवृत्ति के पडोसी के इरादे पहचानने में नाकामयाब साबित हुआ है’, ऐसे कडे शब्दों में ऑस्ट्रेलिया के सांसद अँड्य्रू हॅस्टि ने चीन की राक्षसी महत्त्वाकांक्षा को लेकर इशारा देकर खलबली मचाई है|

चीन की राक्षसी महत्त्वाकांक्षा, लष्करीकरण, अँड्य्रू हॅस्टि, नाझी जर्मनी, ऑस्ट्रेलियन सांसद, घुसपैठ, चीन, ऑस्ट्रेलिया, सॅम फॅरल लीपिछले कुछ वर्षों में ऑस्ट्रेलिया ने चीन की महत्त्वाकांक्षा के विरोध में खुलेआम भूमिका अपनाना शुरू किया है| ऑस्ट्रेलिया के भूतपूर्व प्रधानमंत्री माल्कम टर्नबूल और उनके बाद वर्तमान के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने चीन का दबाव ठुकराकर कम्युमिस्क हुकूमत की निती को चुनौती देना शुरू किया हुआ दिखाई दे रहा है| इस वजह से चीन नाराज है और ऑस्ट्रेलिया को व्यापारी एवं आर्थिक मुद्दों पर मुश्किलों में फंसाने की कोशिश कर रहा है| चीन ने ऑस्ट्रेलिया के कई क्षेत्रों में घुसपैठ करने की बात सामने आ रही है और इसके विरोध में देश के कई अभ्यासगुट, विश्‍लेषक, विशेषज्ञ एवं सांसद भी आवाज उठाने लगे है|

सत्तापक्ष के सांसद अँड्य्रू हॅस्टि संसद की ‘इंटेलिजन्स ऍण्ड सिक्युरिटी कमिटी’ के प्रमुख है| उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के शीर्ष समाचार पत्र के लिए लिखे लेख में चीन की राक्षसी महत्त्वाकांक्षा और ‘इंडो-पैसिफिक’ क्षेत्र में शुरू लष्करीकरण की ओर ध्यान आकर्षित किया है| ऑस्ट्रेलिया का बुद्धिवादी एवं विचारी वर्ग नाकाम साबित हुआ है और इस वजह से देश की संस्था और यंत्रणा कमजोर होने का दावा हॅस्टि ने किया| चीन की महत्त्वाकांक्षा के आगे ऑस्ट्रेलिया डटकर खडा नही हुआ तो ऑस्ट्रेलिया को आजादी और सार्वभूमता खोनी होगी, यह चेतावनी भी उन्होंने दी|

चीन की राक्षसी महत्त्वाकांक्षा और दुसरे विश्‍वयुद्ध के समय की जर्मनी की तुलना करते समय ऑस्ट्रेलिया के सांसद ने चीन की हरकतों के पिछे ‘विचारधारा’ यह अहम घटक होने का एहसास भी कराया है| चीन की निती के पिछे होनेवाली विचारधारा की ओर पश्‍चिमी देश अनदेखा कर रहे है, यह दावा भी हॅस्टि ने किया| साथ ही वर्तमान का दौर ऑस्ट्रेलिया के इतिहास में निर्णायक स्तर है और अगले दशक में अपनी जनतांत्रिक मुल्य, अर्थव्यवस्था और सुरक्षा की कसौटी लगेगी, इस ओर भी उन्होंने ध्यान आकर्षित किया| ऑस्ट्रेलियन सांसद ने की इस कडी आलोचना पर चीन ने भारी प्रतिक्रिया दर्ज की है|

ऑस्ट्रेलियन सांसद अँड्य्रू हॅस्टि ने ‘चीन का खतरा’ यह मुद्दा आगे रखकर शुरू की हुई हरकतें शीतयुद्ध की मानसिकता का प्रतीक है, इन शब्दों में चीन के दूतावास ने फटकार लगाई है| दुनिया शांति, सहयोग और विकास की ओर झुकाव दिखा रही है और ऐसे में हॅस्टि ने रखे विचार विरोधी है और इससे चीन-ऑस्ट्रेलिया संबंधों पर असर हो सकता है, यह इशारा चीन के दूतावास ने जारी किए निवेदन में दिया गया है| चीन का विकास दुनिया के लिए खतरा नही है और यह एक अवसर होने की बात आनेवाला दौर दिखा देगा, यह भी चीन ने कहा है|

पिछले महीने में ऑस्ट्रेलिया के वरिष्ठ विश्‍लेषक सॅम फॅरल ली ने यह चेतावनी दी थी की, ‘चीन जैसे विस्तारवादी तानाशाही की उदारता पर निर्भर रहने की नीति अपनाने की गलती की तो ऑस्ट्रेलिया को बने खतरें में बढोतरी होगी|’

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