बीजिंग/हॉंगकॉंग – हॉंगकॉंग में प्रदर्शनकारियों ने चीन के प्रतिनिधि दफ्तर पर किया हुआ हमला चीन की हुकूमत को दी हुई चुनौती है और यह इसे खतम करने के लिए सेना की तैनाती करने की चेतावनी चीन के रक्षा विभाग ने सरेआम दी है| हॉंगकॉंग में चीन का रक्षा अड्डा है और इसमें युद्धपोत, लडाकू विमान, टैंक और हथियारी गाडियां एवं छह हजार सैनिक तैनात है| इससे पहले चीन ने वर्ष १९८९ में राजधानी बीजिंग में जनतंत्र के लिए शुरू हुए प्रदर्शन खतम करने के लिए लष्करी बल का बडी अमानुषता के साथ प्रयोग किया था|
रविवार के दिन हॉंगकॉंग में हुए प्रदर्शनों में सैकडों क्रोधित प्रदर्शनकारियों ने चीन की हुकूमत के विरोध में तीव्र असंतोष व्यक्त करके चीन के प्रतिनिधि दफ्तर पर हमला किया था| इस दौरान कुछ प्रदर्शनकारियों ने सुरक्षा यंत्रणा का घिरा तोडकर दफ्तर के दरवाजे पर कालिख लगाई थी| हॉंगकॉंग में प्रदर्शनकारियों ने उठाए इस कदम पर हॉंगकॉंग का चीन समर्थक प्रशासन, चीन के अधिकारी और चीन के प्रसारमाध्यमों ने कडी प्रतिक्रिया दर्ज की थी| चीन के प्रतिनिधि दफ्तर पर किया हमला यानी चीन की हुकूमत को खुलेआम दी हुई चुनौती है और इसके विरोध में आक्रामक कार्रवाई हो, यह मांग चीन के प्रसारमाध्यमों में हो रही थी|
बुधवार के दिन चीन के रक्षा विभाग ने दी हुई चेतावनी से चीन सरकार ऐसी कार्रवाई की तैयारी कर रहा है, यह संकेत प्राप्त हो रहे है| ‘जुलाई २१ के दिन कुछ आक्रामक प्रदर्शनकारियों ने चीन के प्रतिनिधि दफ्तर पर हिंसक हमलें किए| इन प्रदर्शनकारियों की हरकत चीन की हुकूमत को दी हुई खुली चुनौत है| उन्होंने चीन की एक देश दो व्यवस्था, इस रचना को भी ठुकराया है| यह कभी भी बर्दाश्त नही होगा’, ऐसी कडी चेतावनी चीन के रक्षा विभाग के प्रवक्ता वु किआन ने दिया है|
हॉंगकॉंग की यह गतिविधियां रोकने के लिए चीन के रक्षादल ‘गॅरिसन लॉ’ के ‘आर्टिकल १४’ के तहेत कदम उठा सकता है, यह इशारा भी रक्षा विभाग के प्रवक्ता ने दिया है| ब्रिटेन से चीन के हाथ में हॉंगकॉंग का कब्जा देते समय ‘गॅरिसन लॉ’ को मंजुरी दी गई थी| इसके नुसार हॉंगकॉंग में स्थानिय प्रशासन जरूरत होने पर हॉंगकॉंग में स्थित चीन के लष्करी अड्डे से सहायता की मांग कर सकता है| कानून और व्यवस्था रखने के लिए एवं बडी नैसर्गिक आपत्ति की पृष्ठभूमि पर यह मांग करने का प्रावधान किया गया है|
लेकिन, इसी बीच हॉंगकॉंग के ‘बेसिक लॉ’ के नुसार चीन के लष्करी अड्डे को हॉंगकॉंग के अंतर्गत कारोबार में हस्तक्षेप करने का अधिकार नही है| इस वजह से पिछले २२ वर्षों में चीन के लष्करी अड्डे ने हॉंगकॉंग में उजागर तौर पर किसी भी प्रकार की कार्रवाई नही की थी| इसी पृष्ठभूमि पर विवादित प्रत्यर्पण विधेयक के मुद्दे पर शुरू हुए प्रदर्शन खतम करने के लिए हॉंगकॉंग के चीन समर्थक प्रशासन ने ‘गॅरिसन लॉ’ का इस्तेमाल किया तो उसकी कडी प्रतिक्रिया उमड सकती है|
इस दौरान हॉंगकॉंग में शुरू प्रदर्शनों के पीछे अमरिका का हाथ होने का आरोप चीन की हुकूमत खुलेआम कर रही है| हॉंगकॉंग के प्रदर्शनों को उकसाने के पीछे अमरिकी अधिकारियों का हाथ होने की बात हमें स्पष्ट तौर पर दिख रही है और अमरिका अपने यह ‘ब्लैक हैंडस्’ पीछे खिंचे, यह इशारा भी चीन के विदेश मंत्रालय ने दिया है|
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