‘साउथ चायना सी’ में बढ रही चीन की गतिविधियों की पृष्ठभूमि पर अमरिका ने किया सिंगापूर को ‘एफ-३५’ प्रदान करने का निर्णय

‘साउथ चायना सी’ में बढ रही चीन की गतिविधियों की पृष्ठभूमि पर अमरिका ने किया सिंगापूर को ‘एफ-३५’ प्रदान करने का निर्णय

वॉशिंग्टन – आग्नेय एशिया के सबसे अहम सिंगापूर को दुनिया के सबसे अधिक प्रगत लडाकू ‘एफ-३५’ विमान प्रदान करने का निर्णय किया है| अमरिकी विदेश मंत्रालय ने सिंगापूर के साथ ही रक्षा सहयोग करने का ऐलान किया है| इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन की बढती गतिविधियों के विरोध में अमरिका ने सिंगापूर को अतिप्रगत लडाकू विमान प्रदान करने का निर्णय करके काफी बडी सामरिक गतिविधियों की शुरूआत की है|

पिछले वर्ष सितंबर महीने में अमरिकी राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प ने सिंगापूर के प्रधानमंत्री ‘ली हिएन लूंग’ से बातचीत करके दोनों देशों का सहयोग को नई उंचाई प्रदान करने की बात स्पष्ट की थी| ‘साउथ चायना सी’ में बढ रही चीन की महत्वाकांक्षा की पृष्ठभूमि पर सिंगापूर के प्रधानमंत्री ने अमरिका के सामने लष्करी सहयोग प्रदान करने की मांग रखी थी| राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प ने भी सिंगापूर के साथ लष्करी सहयोग करने का वादा किया?था|

दोनों देशों के नेताओं में हुई बातचीत के बाद अमरिका ने सिंगापूर को नौसेना के लिए निर्माण किए १२ अतिप्रगत ‘एफ-३५बी’ विमान प्रदान करने का ऐलान किया है| दुनिया के एक मात्र ‘फिफ्थ जनरेशन’ लडाकू विमानों की खरिद के लिए सिंगापूर ने २.७५ अरब डॉलर्स खर्च कर रहा है| अमरिकी विदेश मंत्रालय ने सिंगापूर के साथ हो रहे इस सहयोग का ऐलान किया| सिंगापूर की नौसेना के बेडे में पुराने हुए ‘एफ-१६’ लडाकू विमानों को हटाकर उनकी जगह नए ‘एफ-३५बी’ विमानों की तैनाती होगी|

‘व्हर्टिकल टेक-ऑफ और लैंडिंग’ की विशेषता के लिए जाने जा रहे इन विमानों की खरीद की वजह से सिंगापूर की नौसेना की क्षमता में बढोतरी होगी, यह कहा जा रहा है| अमरिकी विदेश मंत्रालय से मंजुरी प्राप्त होने के बाद अब इस प्रस्ताव पर अमरिकी कांग्रेस की मुहर लगनी शेष है| अगले तीन महीनों में अमरिकी कांग्रेस इस प्रस्ताव पर निर्णय करने की उम्मीद है| सिंगापूर को ‘एफ-३५बी’ विमान प्रदान करने की अमरिकी विदेश मंत्रालय की नीति राष्ट्रीय सुरक्षा के हीत में है, यह बात अमरिका के रक्षा मंत्रालय ने कही है|

आग्नेय एशिया में सबसे प्रमुख वायुसेना के तौर पर सिंगापूर का जिक्र होता है| पर, मलक्का की खाडी और साउथ चायना सी इन अहम समुद्री क्षेत्रों के बीचोबीच होनेवाले सिंगापूर की नौसेना उतनी ताकतवर नही है| पर्शियन खाडी से जुडनेवाली मलाक्का की खाडी से चीन के ईंधन टैंकर्स और व्यापारी जहजों की बडी मात्रा में आवाजाही होती है|

ऐसी स्थिति में अमरिका ने सिंगापूर को नौसेना के लिए बनाए ‘एफ-३५’ के विमान प्रदान करने का निर्णय करके चीन को बडी चुनौती दी है, यह दावा अंतरराष्ट्रीय विश्‍लेषक कर रहे है| इससे पहले अमरिका ने आग्नेय एशिया के फिलिपाईन्स और वियतनाम को लडाकू विमान एवं विध्वंसक प्रदान करके सहायता की है| इसके अलावा इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के ऑस्ट्रेलिया, जापान और दक्षिण कोरिया को भी अमरिका ने ‘एफ-३५बी’ प्रदान किया है| इस क्षेत्र में यह विमान पानेवाले देशों में अब सिंगापूर का समावेश हो रहा है|

अमरिका ने किए इस निर्णय पर चीन से कडी प्रतिक्रिया दर्ज होने की उम्मीद है| इस क्षेत्र के बाहरी देश से अपनी रक्षा होगी, इस भ्रम में आग्नेय एशियाई देश ना रहें, यह इशारा चीन ने पहले ही दिया था|

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