दोहा – कतार की राजधानी दोहा में अमरिका और तालिबान के बीच शांति समझौता हुआ है| इस समझौते के अनुसार अमरिका ने अफगानिस्तान में तैनात अपनी सेना पीछे हटाने की तालिबान ने रखी मांग मंजूर की है| तभी, तालिबान ने भी हिंसा बंद करने की शर्त स्वीकारी है और अगले दिनों में अफगानिस्तान की सर्वदलीय बातचीत में तालिबान भी शामिल होने के लिए तैयार हुई है| इस बातचीत में ही वर्णित शांति समझौते का भविष्य तय होगा| इस कारण अभी से इस समझौते के साथ ही अफगानिस्तान में शांति स्थापित होगी, यह निष्कर्ष निकालना मुमकिन नही होगा, यह बात निरिक्षक कह रहे है|
अमरिका ने अफगानिस्तान के लिए नियुक्त किए हुए विशेषदूत झल्मे खलिलजाद और तालिबान के प्रतिनिधि मोहम्मद नईम के बीच यह शांति समझौता हुआ है| इस कार्यक्रम के लिए अमरिका के विदेशमंत्री माईक पोम्पिओ भी उपस्थित थे| साथ ही भारत, पाकिस्तान, उझबेकिस्तान, ताजिकिस्तान और इंडोनेशिया के प्रतिनिधि भी इस दौरान मौजूद रहे| समझौते के अनुसार अब अमरिका ने अफगानिस्तान में तैनात अपनी सेना पीछे हटाने की तैयारी दिखाई है| तालिबान ने भी अफगानिस्तान की सरकार समेत सभी संबंधितों से बातचीत करने की तैयारी दिखाकर हिंसा बंद करने की शर्त स्वीकारी है| अमरिका, तालिबान और अफगानिस्तान की सरकार ने समझौता करने की तैयारी दिखाने से ही यह शांति समझौता हो सका है| पर, इस समझौते पर अमल करना सबसे कठिन बात होगी, यह बात निरिक्षक कह रहे है|
अफगानिस्तान में फिलहाल १३ हजार अमरिकी सैनिक तैनात है| यह संख्या ८६०० तक कम करने की तैयारी अमरिका ने की है| पर, पुरी सेना हटाने के लिए अमरिका पर किसी का भी दबाव नही बन सकता, यह दावा अमरिकी लष्करी अफसर कर रहे है| तभी दुसरी ओर तालिबान के नेता यह समझौता होना यानी अपनी जीत होने का दावा कर रहे है|
अमरिका ने अपनी सेना पीछे हटाने के लिए तैयारी दिखाई, इसी में अपनी जीत होने की बात तालिबान कह रही है और तभी तालिबान समर्थक इस युद्ध में अमरिका की हार हुई है, यह दावा करने लगे है|
पर, असलियत में यह अमरिका की हार साबित नही होती, यह बात कुछ निरिक्षक डटकर रख रहे है| अमरिका ने अभी पूरी सेना हटाने की तालिबान ने रखी मांग स्वीकार नही की है| साथ ही अफगानिस्तान में अमरिका ने विशाल लष्करी अड्डे स्थापित किए है और यह अडड्डे छोडने के लिए अमरिका तैयार नही है, यही बात सबसे अहम है, इस ओर यह निरिक्षक ध्यान आकर्षित कर रहे है| वर्तमान में अफगानिस्तान में बनी सरकार पश्चिमी देशों के ताल पर नांचनेवाली सरकार है और इसे किसी भी प्रकार की वैधता नही दे सकते, यही भूमिका तालिबान की रही है| यह भूमिका छोडकर अब तालिबान को अफगान सरकार से बातचीत करनी होगी|
कुछ दिन पहले अमरिका के एक समाचार पत्र ने तालिबान का प्रमुख नेता सिराजुद्दीन हक्कानी का लेख प्रसिद्ध किया था| अफगानिस्तान में हो रहे युद्ध से सभी लोग थक चुके है, यह बात हक्कानी ने इस लेख के जरिए स्वीकारी थी| अमरिका के राष्ट्राध्यक्ष ने भी इस युद्ध में अपने देश का बडा नुकसान हुआ है, इस और ध्यान आकर्षित करके यह युद्ध बंद करने के लिए पहल करेंगे, यह बात समय समय पर स्पष्ट की थी| पर, इस युद्ध में अपनी हार हुई या हम पुरी तरह से पीछे हटने के लिए तैयार हुए है, यह बात अमरिका या तालिबान इनमें से कोई भी स्वीकार ने के लिए तैयार नही है|
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