बीजिंग – सारी दुनिया कोरोनावायरस की महामारी का मुकाबला करने में उलझी हुई है; ऐसे में चीन तैवान पर आक्रमण करके तैवान पर कब्ज़ा करें, ऐसी माँग चीन के लष्कर से संबंधित विश्लेषक तथा विशेषज्ञों से हो रही है। लेकिन कुछ लोगों ने यह सलाह दी है कि ‘जल्दबाज़ी करने की कोई ज़रूरत नहीं है, राष्ट्राध्यक्ष जिनपिंग उचित समय पर फ़ैसला करेंगे’। एक तरफ़ तैवान ‘डब्ल्यूएचओ’ (वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनायझेशन) में कोरोना के संक्रमण के बारे में अपना पक्ष रखने की कोशिश कर रहा है; वहीं, चीन से इस संदर्भ में आनेवालीं ख़बरें इस देश के ईरादें स्पष्ट करतीं दिखायीं दे रहीं हैं।
कोरोना के संक्रमण की चपेट से विभिन्न देशों के रक्षादल भी नहीं छूटे हैं। अमरीका से दुनिया के विभिन्न भागों में तैनात होनेवाले सैनिकों में भी कोरोनावायरस का संक्रमण हुआ होकर, उसके शिकंजे से एशिया-प्रशांत क्षेत्र में तैनात होनेवाले अमरिकी विमानवाहक युद्धपोत भी नहीं छूटे हैं। इस क्षेत्र में तैनात होनेवाले चारों विमानवाहक युद्धपोतों पर के सैनिकों में भी कोरोनावायरस का संक्रमण हुआ है। इस कारण, तैवान की रक्षा के लिए वचनबद्ध होनेवाली अमरीका, युद्धपोतों का इस्तेमाल नहीं कर सकेगी और इसका फ़ायदा चीन ने उठाना चाहिए, ऐसी माँग चीन के पूर्व लष्करी अधिकारी ने की है।
तियान फेइलॉंग नामक विश्लेषक ने ठेंठ सन २००५ के एक क़ानून का आधार लेकर, चीन बेझिझक लष्करी बल पर तैवान पर कब्ज़ा करें, ऐसी सलाह दी है। तैवान में हाल में घटित हो रहीं राजकीय और सामाजिक घटनाओं को मद्देनज़र रखते हुए, शांतिपूर्ण मार्ग से चर्चा करके तैवान का मुद्दा हल नहीं होगा, ऐसा भी फेइलॉंग ने कहा है।
लेकिन चीन के पूर्व लष्करी अधिकारी और विश्लेषकों ने, तैवान पर आक्रमण करने के बारे में की हुई माँग का, किओ लिआंग नामक एक पूर्व अधिकारी ने ही विरोध किया है। किओ लिआंग ने कहा है कि अब तैवान पर हमला करना जोख़मभरा और खर्चीला साबित होगा। चीन के पास अमरीका को चुनौती देने जितना आर्थिक एवं लष्करी सामर्थ्य आने के बाद ही तैवान पर हमला किया जायें, ऐसी सूचना लिआंग ने की है।
चीन के पूर्व लष्करी अधिकारी और विश्लेषकों द्वारा सामने आनेवाली माँग, उस देश की सत्ताधारी कम्युनिस्ट हुक़ूमत के ईरादें स्पष्ट कर रही है। चीन द्वारा ‘साऊथ चायना सी’ और नज़दीकी क्षेत्र में आक्रमक सामरिक गतिविधियाँ जारी हैं, यह पिछले कुछ हफ़्तों की घटनाओं से सामने आया था। अमरीका के साथ मित्रदेशों ने चीन की इन गतिविधियों पर तीव्र ऐतराज़ भी जताया था। लेकिन चीन ने उसे नज़रअन्दाज़ किया होकर, अपनी महत्त्वाकांक्षा और उसे पूरी करने के ईरादें ज़ाहिर करने की शुरुआत की हुई दिखायी दे रही है।
चीन में तैवान पर आक्रमण करने का सूर तीव्र हो रहा है कि तभी ‘डब्ल्यूएचओ’ की बैठक में तैवान के समावेश के बारे में भी चीन ने दबाव की भूमिका अपनायी है। किसी भी हालत में, तैवान १८ मई को होनेवाली बैठक में सहभागी ना हों, इसलिए चीन ने सदस्य देशों पर आर्थिक और राजनैतिक दबाव लाने की शुरुआत की होने की ख़बर कुछ माध्यमों ने दी है।
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