वॉशिंग्टन – चीन द्वारा तैवान की सीमा में घुसपैठ और धमकियों की तीव्रता बढ़ रही है और तभी अमरीका ने बड़ा निर्णय करने के संकेत दिए हैं। अमरिकी वरिष्ठ सांसद टेड योहो ने तैवान पर होनेवाले हमले के विरोध में अमरीका को लष्करी कार्रवाई करने की अनुमति देनेवाला कानून बनाने के संकेत दिए हैं। ‘तैवान इन्व्हेजन प्रिवेंशन एक्ट’ नाम से नया विधेयक अमरिकी संसद में पेश होगा और इसके अनुसार अमरिकी राष्ट्राध्यक्ष को तैवान के मुद्दे पर लष्करी ताकत का इस्तेमाल करने की अनुमति प्रदान की जाएगी। अमरीका ने इससे पहले जापान और दक्षिण कोरिया पर होनेवाले संभावित हमले के विरोध में लष्करी ताकत का इस्तेमाल करने के मुद्दे पर कानून एवं समझौता किया है।
अमरिकी राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प ने तैवान के साथ सहयोग के मुद्दे पर अधिक सक्रिय भूमिका अपनाई हैं। अमरीका ने तैवान में शुरू किया हुआ राजनीतिक दफ़्तर, अमरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने तैवान के नेताओं से की हुई भेंट एवं बढ़ रहा रक्षा सहयोग, यह सबकुछ राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प ने अपनाई भूमिका का हिस्सा होने की बात समझी जा रही है। राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प ने, तीन दशकों की कालावधि के बाद तैवान को लड़ाकू विमानों की आपूर्ति करने का ऐतिहासिक निर्णय किया था। इसके साथ ही, तैवान को प्रगत मिसाइल, टोर्पेडो एवं प्रगत रक्षा यंत्रणाएँ भी प्रदान हो रही हैं। अमरीका ने तैवान के करीबी समुद्री क्षेत्र में अपनी तैनाती में भी बढ़ोतरी की है और अपने विमान वाहक युद्धपोतों के साथ विध्वंसक, ड्रोन्स, गश्ती विमान और लड़ाकू विमानों की मौजुदगी भी बढ़ाई है।
अमरीका और तैवान के बीच बढ़ रहे इस सहयोग से चीन काफ़ी परेशान होता दिख रहा है। पिछले कुछ महीनों में चीन ने तैवान पर हमला करने की धमकियों की तीव्रता भी बढ़ाई है। मई महीने में हुई कम्युनिस्ट पार्टी की बैठक में, पार्टी के तीसरें क्रमांक के नेता ली झान्शी ने, सीधे तैवान पर हमला करने का प्रस्ताव पेश किया था। तभी, पूरा विश्व कोरोना वायरस की महामारी का मुकाबला करने में जुटा होते समय, तैवान पर हमला करने के लिए हमें अच्छा अवसर प्राप्त हो रहा है, यह भी चीन के पूर्व लष्करी अधिकारियों ने डटकर कहा था।
चीन के सरकारी मुखपत्र ‘ग्लोबल टाईम्स’ ने भी पिछले महीने में ही, युद्ध शुरू हुआ तो चीन की सेना कुछ ही घंटों में तैवान पर कब्ज़ा करेगी, यह धमकी दी थी। इसके साथ ही, अब चीन के एक नामांकित विश्लेषक लि सू ने, हाँगकाँग कानून यह पूर्वतैयारी है और इसी धर्ती पर चीन किसी का भी लिहाज़ किए बिना तैवान पर हमला करेगा, यह चेतावनी दी है। अगले वर्ष की शुरुआत में चीन तैवान पर लष्करी कार्रवाई करेगा, ऐसे संकेत भी उन्होंने दिए। इस चेतावनी की पृष्ठभूमि पर, अमरिकी सांसदों ने तैवान से संबंधित कानून को लेकर किया बयान अहमियत रखता है।
‘तैवान की सुरक्षा के लिए ज़रूरी हथियारों की आपूर्ति करने के लिए अमरीका और तैवान के बीच समझौतें हुए हैं। लेकिन, ये समझौतें काफ़ी नहीं हैं। कुछ महीनें पहले चीन के राष्ट्राध्यक्ष शि जिनपिंग ने, तैवान को लेकर खून बहाने की धमकी देकर, चीन और तैवान एक होकर ही रहेंगे, ऐसी धमकी दी थी। लेकिन इसके लिए वे तैवान से अनुमति लेना भूल गए। तैवान कभी भी चीन का हिस्सा नहीं था और तैवान की जनता को भी चीन का हिस्सा होने की इच्छा नहीं है’, इन शब्दों में टेड योहो ने संसद में पेश हो रहें नए ‘तैवान इन्व्हेजन प्रिवेंशन एक्ट ‘का समर्थन किया। यह कानून तैवान के प्रति अमरीका की प्रतिज्ञाबद्धता दिखानेवाला साबित होगा, यह दावा भी उन्होंने किया।
अमरिकी संसद में पेश हो रहे इस संभावित विधेयक का तैवान ने स्वागत किया है। ‘पिछले कुछ वर्षों में अमरिकी संसद में तैवान से सहयोग करने के मुद्दे पर कई अच्छे निर्णय हुए हैं। इस बारे में हम लगातार अमरिकी संसद एवं नेताओं के संपर्क में रहेंगे’, यह बयान तैवान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने किया है। इसी बीच, तैवान के अंतर्गत रक्षामंत्री ने ‘वन चायना प्रिंसिपल’ ठुकराया है और संप्रभुता के मुद्दे पर तैवान की सरकार किसी भी तरह का समझौता नहीं करेगी, ऐसा डटकर कहा है।
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