वॉशिंग्टन – चीन के झिंजियांग प्रांत में उइगरवंशी इस्लामधर्मियों पर अत्याचार करने में शामिल अर्धसैनिकी संगठन के साथ कम्युनिस्ट पार्टी के दो नेताओं पर अमरीका ने कड़े प्रतिबंध लगाए हैं। अमरीका ने बीते महीने से उइगरवंशियों के मुद्दे पर चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत के विरोध में की गई यह दूसरी कार्रवाई है। जुलाई महीने में अमरीका के ट्रम्प प्रशासन ने चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत के वरिष्ठ नेता ‘शेन क्वांगुओ’ समेत अन्य प्रमुख अधिकारियों एवं 11 कंपनियों पर प्रतिबंध लगाने का ऐलान किया था।
चीन ने पिछले कई वर्षों से झिंजियांग प्रांत के इस्लामधर्मी उइगरवंशियों का लगातार उत्पीड़न किया है और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी चीन की इस हरकत का संज्ञान लिया गया है। वर्ष 2018 में संयुक्त राष्ट्रसंघ की एक रपट में चीन ने 11 लाख उइगरवंशियों को उत्पीड़न केंद्रों में कैद रखने की चौकानेवाली बात की पोल खोली थी। इस रपट के बाद पश्चिमी देश उइगरों के मुद्दे पर चीन को लक्ष्य करने लगे हैं और इसके लिए अमरीका ने पहल की है। उइगरवंशियों पर हो रहे अत्याचारों के विरोध में भी ट्रम्प प्रशासन ने बीते कुछ महीनों में कई अहम निर्णय लिए हैं और यह नया निर्णय भी इसी कड़ी का हिस्सा समझा जा रहा है।
शुक्रवार के दिन अमरिकी कोषागार विभाग ने ‘झिंजियांग प्रॉडक्शन ऐण्ड कन्स्ट्रक्शन कोर’ (एक्सपीसीसी) इस चीन की शासक कम्युनिस्ट पार्टी से संबंधित अर्धसैनिकी संगठन पर प्रतिबंध लगाने का ऐलान किया। इस संगठन में 25 लाख से अधिक सदस्य हैं और ‘एक्सपीसीसी’ के माध्यम से चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत ने झिंजियांग की अर्थव्यवस्था पर मज़बूत पकड़ बनाने की बात कही जा रही है। इस अर्धसैनिकी संगठन के साथ इसका नेतृत्व कर रहे सुन जिनलाँग एवं पेंग जिआरुई इन नेताओं को भी लक्ष्य किया गया है। इन दो नेताओं के साथ एक्सपीसीसी द्वारा झिंजियांग प्रांत में उइगरवंशियों का बड़ा उत्पीड़न करके मानव अधिकारों का उल्लंघन किए जाने का आरोप लगाया गया है। अमरीका अपने सभी संसाधन और विकल्पों का इस्तेमाल करके प्रतिबंध लगाने पर अमल करेगी, यह जानकारी अमरिकी अर्थमंत्री स्टिव्ह एम्नुकिन ने प्रदान की।
अमरिकी राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प ने जून महीने में ‘उइगर ह्युमन राईटस् ऐक्ट’ पर हस्ताक्षर किए थे। उइगरवशियों से संबंधित इस कानून में चीनी अधिकारियों पर प्रतिबंध लगाने का प्रावधान है। उइगरवंशियों पर हुई कार्रवाई में शामिल चीनी नेताओं को एवं अधिकारियों को इस कानून की सहायता से लक्ष्य किया गया है। इस वर्ष मई में एवं पिछले वर्ष अक्तूबर में अमरीका ने उइगरवंशियों पर हुए अत्याचारों में शामिल चीनी कंपनियों एवं सरकारी यंत्रणा के विरोध में कार्रवाई की थी।
ऐसे में, पिछले महीने उइगरवंशियों से गुलामों की तरह इस्तेमाल करनेवाली चीन की 11 कंपनियों को अमरीका ने ‘ब्लैकलिस्ट’ किया। इन कंपनियों में अमरीका की ‘ऐपल’, ‘ऐमेज़ॉन’, ‘मायक्रोसॉफ्ट’, ‘टॉमी हिलफिगर’ जैसी बड़ी कंपनियों को कच्चे सामान एवं उत्पादनों की आपूर्ति करनेवाली चीनी कंपनियों का समावेश है। चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत उइगरवंशियों का वह गुलामों की तरह इस्तेमाल कर रही है और चीन से अपने उत्पादनों का निर्माण करा रही अमरीकी कंपनियां चीन की कंपनियां एवं हुकूमत से बने संबंधों पर पुनर्विचार करें, यह इशारा भी अमरिकी विदेश विभाग ने दिया था।
इसी बीच, अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प ने चीन के टिकटॉक ऐ पर पाबंदी लगाने का ऐलान किया है। इससे संबंधित आदेश ज़ल्द ही जारी किए जाएंगे, यह बात ट्रम्प ने कही। अमरिकी जनता की सुरक्षा के मुद्दे पर यह निर्णय किया जा रहा है, यह बयान भी राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प ने दिया है। इससे पहले भारत ने ‘टिकटॉक’ समेत चीन के 100 से अधिक ‘ऐप्स’ पर पाबंदी लगाई है। भारत द्वारा की गई इस कार्रवाई पर अमरीका ने सराहना की थी।
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