अंकारा/त्रिपोली – लीबिया में जारी संघर्ष में रशिया ने तटस्थता की भूमिका अपनाए बिना हफ्तार बागियों को समर्थन प्रदान किया है। इस कारण लीबिया के संघर्ष में इजिप्ट की सेना के शामिल होने से अधिक रशिया की दखलअंदाज़ी हमारे लिए अधिक चिंता का विषय बना होने का बयान तुर्की ने किया है। सीरिया की तरह लीबिया में भी रशिया के साथ समझौता करने में नाकामी प्राप्त होने से ही तुर्की का यह बयान सामने आया है। इसी बीच लीबिया में जारी संघर्ष रोकने के लिए बर्लिन समझौते का पूरी तरह से पालन हो और इस देश में हो रही हथियारों की तश्करी बंद करने की माँग रशिया कर रही है।
लीबिया के मसले का समझौते से हल निकालने के लिए तुर्की की कोशिशें जारी होने की जानकारी तुर्की के राष्ट्राध्यक्ष रेसेप एर्दोगन के दफ्तर के प्रवक्ता इब्राहिम कालिन ने साझा की है। ‘लीबिया से संबंधित इस मोर्चे में रशिया को शामिल करने के लिए भी तुर्की की कोशिश हो रही थी। सीरिया की तरह लीबिया में भी रशिया के साथ सहयोग स्थापित हुआ होता तो स्थिति में बदलाव आया होता। लेकिन, रशिया अब तक लीबिया में तटस्थ भूमिका अपनाने के लिए तैयार नहीं हुई है। रशिया ने अधिकृत स्तर पर कितना भी इन्कार किया हो लेकिन, लीबिया के हफ्तार बागियों को रशिया का समर्थन प्राप्त हो रहा है’, यह आलोचना भी कालिन ने की है। साथ ही लीबिया के संघर्ष में रशिया के समर्थन पर कार्यरत ‘वैग्नर’ नामक कंपनी के कान्ट्रैक्ट सैनिक इस संघर्ष के दौरान हफ्तार बागियों की सहायता कर रहे हैं, यह चिंता तुर्की को सता ने की बात कालिन ने कही।
‘संयुक्त अरब अमीरात’ (यूएई) ने लीबिया में सुदान, नायजर और चाड़ इन अफ्रिकी देशों के कान्ट्रैक्ट सैनिक हफ्तार बागियों की सहायता के लिए भेजे हैं। इजिप्ट ने भी हफ्तार बागियों की सहायता के लिए लीबिया में टैंक, बख़्तरबंद गाड़ियां उतारी हैं। लेकिन, इजिप्ट की इस लष्करी सहायता से भी अधिक हफ्तार बागियों को रशिया से प्राप्त हो रहा समर्थन और रशिया समर्थक वैग्नर के कान्ट्रैक्ट सैनिकों की लीबिया की सराज हुकूमत के खिलाफ जारी कार्रवाई तुर्की के लिए अधिक चिंता बढा रही हैं, यह बात कालिन ने स्पष्ट की। रशिया के ‘वैग्नर’ कान्ट्रैक्ट सैनिकों की लीबिया में तैनाती होने की ख़बरें सबसे पहले तुर्की के माध्यमों ने प्रसिद्ध की थी। साथ ही रशियन राष्ट्राध्यक्ष के दफ़्तर में जनरल हफ्तार और वैग्नर कंपनी के प्रमुख की भेंट होने के फोटो भी जारी किए गए थे। लेकिन, पहली बार तुर्की ने अधिकृत स्तर पर लीबिया के मामले में रशिया और वैग्नर के संबंध रेखांकित करके रशिया को लक्ष्य किया हुआ दिखाई दे रहा है।
इसी बीच, लीबिया की सराज हुकूमत और हफ्तार बागियों के बीच बीते दो वर्षों से जोरदार संघर्ष जारी है। सराज की हुकूमत को संयुक्त राष्ट्रसंघ की मंजूरी है और जनरल खलिफा हफ्तार के नेतृत्व में लीबियन सेना के एक गुट ने इस हुकूमत के विरोध में बगावत की है। लीबिया का यह संघर्ष अब सियासी नही रहा है बल्कि इस देश के इंधन भंड़ारों के लिए अन्य देश भी इस संघर्ष में उतरे हैं। इस संघर्ष में तुर्की, ईरान और कतार सराज हुकूमत को लष्करी सहायता प्रदान कर रहे हैं। तभी, सराज की हुकूमत आतंकवाद की समर्थक होने का आरोप रखकर सौदी अरब, इजिप्ट, यूएई, फ्रान्स एवं रशिया ने हफ्तार बागियों को अपना समर्थन प्रदान किया है। इस संघर्ष में अमरीका अब तक किसी के भी पक्ष में नहीं है। लेकिन, अमरीका भी हफ्तार बागियों के पक्ष में होने का दावा किया जा रहा है।
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