अंकारा – इस्रायल के साथ ऐतिहासिक सहयोग के पहले चरण में ‘संयुक्त अरब अमीरात’ (यूएई) इस्रायल के साथ येमन के ‘सोकोट्रा’ द्विप पर खुफिया एजन्सी का संयुक्त अड्डा स्थापित करेंगे, ऐसा दावा अमरिकी और यूरोपिय माध्यम कर रहे हैं। इस्रायल या ‘यूएई’ ने अभी इस सहयोग पर कुछ भी बयान नहीं किया है। लेकिन, इस्रायल और ‘यूएई’ का ‘सोकोट्रा’ द्विप का यह अड्डा चीन, ईरान और पाकिस्तान की गतिविधियों पर नज़र रखने के लिए होगा, ऐसा हमारे सियासी एवं सामरिक विश्लेषकों का कहना होने का बयान तुर्की के मुखपत्र ने किया है। ईरान और तुर्की ने इससे पहले ही ‘इस्रायल-यूएई’ के सहयोग पर कड़ी आलोचना की थी।
दो सप्ताह पहले अमरिकी राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प ने ‘इस्रायल-यूएई’ के बीच ऐतिहासिक सहयोग स्थापित होने का ऐलान किया। यह सहयोग बढ़ाने के लिए अमरिकी राष्ट्राध्यक्ष के विशेष सलाहकार जैरेड कश्नर के साथ इस्रायल का शिष्टमंडल हाल ही में ‘यूएई’ पहुँचा था। इस दौरान इस्रायल और यूएई के कुछ अधिकारियों ने येमन के ‘सोकोट्रा’ द्विप की यात्रा करने का आरोर स्थानीय येमनी गिरोह प्रमुख ‘इसा सालेम बिन याकूत’ ने किया। फिलहाल यह अड्डा ‘यूएई’ के नियंत्रण में है। यूएई और सौदी अरब ने भयानक अंतरराष्ट्रीय मोर्चा बनाकर और सोकोट्रा द्विप पर कदम रखने के लिए इस्रायल को अनुमति देकर येमन की संप्रभुता का अपमान किया है, यह आरोप याकूत ने किया। अमरीका और फ्रान्स की वेबसाईटस् ने भी इस्रायल और यूएई के अधिकारियों के सोकोट्रा द्विप पर जाने की बात कही है।
हिंद महासागर में स्थित ‘सोकोट्रा’ द्विप सामरिक नज़रिए से बड़े अहम स्थान पर है। येमन के हौथी बागियों ने इस द्विप पर हमले करके येमनी सेना को भगाया था। लेकिन, वर्ष २०१८ में सौदी और यूएई की संयुक्त सेना ने इस द्विप पर कब्ज़ा किया था। पर्यटन के लिए प्रसिद्ध इस द्विप के पश्चिमी ओर इरिट्रिया का जिबौती शहर एवं एड़न की खाड़ी एवं रेड़ सी का समावेश होनेवाला अहम समुद्री बेल्ट है और पूर्वी ओर अरब सागर है। पर्शियन एवं होर्मु्ज़ की खाड़ी से बाहर निकलनेवाले जहाज़ और पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह में जारी गतिविधियों पर इस द्विप से नज़र रखना संभव है, इस ओर भी तुर्की के मुखपत्र ने ध्यान आकर्षित किया है।
इसके लिए तुर्की के मुखपत्र ने विदेशी राजनीतिक और सामरिक विश्लेषकों का दाखिला दिया है। कतार के ‘दोहा इन्स्टिट्युट फॉर ग्रैज्युएट स्टडीज्’ गुट के विश्लेषक इब्राहिम फ्राइहात ने ऐसा कहा है कि, सोकोट्रा द्विप पर स्थित इस्रायल-यूएई का खुफिया अड्डा एड़न की खाड़ी में जारी ईरान की गतिविधियों की जानकारी प्राप्त करने के लिए भी सहायक साबित होगा। इससे येमन के हौथी बागियों को ईरान से प्राप्त हो रही सहायता में बाधा निर्माण होगी, यह दावा भी इब्राहिम ने किया। सिर्फ ईरान ही नहीं बल्कि इस समुद्री क्षेत्र से यूरोप की दिशा में जानेवाले चीन के व्यापारी जहाज़ों पर भी सोकोट्रा के अड्डे से नज़र रखना संभव है। चीन के साथ व्यापार युद्ध शुरू करनेवाले अमरीका के ट्रम्प प्रशासन को इससे सबसे अधिक लाभ हो सकता है, यह बात इब्राहिम ने तुर्की के समाचार पत्रों से की बातचीत के दौरान कही। चीन ने जिबौती में लष्करी अड्डा विकसित किया गया है और यह जिबौती भौगोलिक नज़रिए से सोकोट्रा से काफी करीब होने की ओर ध्यान आकर्षित किया जा रहा है।
भारतीय विश्लेषक हैदर अब्बास ने इस्रायल-यूएई का यह अड्डा पाकिस्तान की गतिविधियों पर नज़र रखने के लिए होगा, यह दावा भी किया। ‘इसके आगे सोकोट्रा द्विप पर यूएई या येमन की सरकार या हौथी बागियों का वर्चस्व नहीं रहेगा। बल्कि इस्रायल यानी अमरीका का इस द्विप पर नियंत्रण रहेगा। तभी तेज़ गति से बदल रही वैश्विक गतिविधियों की पृष्ठभूमि पर पाकिस्तान यानी चीन की सभी गतिविधियां इस्रायली राड़ार से ज्ञात होंगी’, यह बयान हैदर ने किया है। अगले दौर में ग्वादर बंदरगाह में कोई हादसा हुआ तो पाकिस्तान-चीन इस हादसे के लिए इस्रायल और अरब देशों को ज़िम्मेदार ठहराएंगे। ऐसा हुआ तो पाकिस्तान और अरब देशों के संबंधों में तनाव अधिक बढ़ेगा, यह संभावना भी हैदर ने व्यक्त की।
तभी, पाकिस्तान के आज़म विश्वविद्यालय के प्राध्यापक सईद कंदील अब्बास के कहने के अनुसार इस्रायल-यूएई का सोकोट्रा स्थित अड्डा प्रमुखता से ईरान के विरोध में काम करेगा। रेड़ सी के क्षेत्र में ईरान की समुद्री और हवाई यातायात पर इसके आगे इस्रायल और यूएई की कड़ी नज़र रहेगी, यह दावा अब्बास ने किया। इस्रायल-यूएई के इस लष्करी मोर्चे में भारत का समावेश हुआ तो इससे सबसे बड़ा खतरा परमाणु हथियारों से सज्जित एक मात्र इस्लामी देश पाकिस्तान के लिए बनेगा, यह बयान भी अब्बास ने किया है।
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