वॉशिंग्टन/बीजिंग – चीन की सेना ने अंतरिक्ष में मौजूद उपग्रहों को लक्ष्य करने की क्षमता वाले हथियार और तकनीक विकसित करने पर बड़ी मात्रा में जोर दिया है, ऐसी चेतावनी अमरिकी रक्षा विभाग ने दी है। इसमें ‘कायनेटिक किल मिसाइल्स’, ‘डायरेक्टेड एनर्जी वेपन्स’, ‘ग्राउंड बेस्ड लेज़र्स’, ‘स्पेस रोबोट्स’ और ‘सैटेलाईट जैमर्स’ का समावेश है। चीन ने इससे पहले वर्ष 2007 में ही अपने बेड़े में उपग्रह को लक्ष्य करनेवाले मिसाइल होने की बात दिखाई थी। इसके बाद चीन ने विकसित किए हुए ‘स्पेस वेपन्स’ इस देश में अंतरिक्ष युद्ध के लिए जोरदार तैयारी करने में जुटा होने के संकेत दे रहे हैं।
अमरिकी रक्षा विभाग ने हाल ही में ‘मिलिटरी ऐण्ड सिक्युरिटी डेवलपमेंट इन्वॉल्विंग द पीपल्स रिपब्लिक ऑफ चायना 2020’ नाम की रपट जारी की थी। अमरिकी संसद के सामने रखे इस रपट में चीन ने रक्षा क्षेत्र के आधुनिकीकरण के लिए शुरू की हुई गतिविधियों की ओर ध्यान आकर्षित किया है। इसमें परमाणु एवं अतंरिक्ष क्षेत्र से संबंधित चीन की महत्वाकांक्षा को लेकर भी इशारे दिए गए हैं। चीन ने ‘पृथ्वी’ के करीबी कक्षा के उपग्रहों को धरती से ही लक्ष्य करनेवाली मिसाइल यंत्रणा पहले ही कार्यरत की है। इसके बाद चीन ने अपना ध्यान पृथ्वी के सबसे ऊपरी कक्षा में स्थित उपग्रहों को नष्ट करने के हथियार और यंत्रणा पर केंद्रीत किया और इसमें अधिक से अधिक बढ़ोतरी करने के लिए गतिविधियां जारी हैं, यह इशारा अमरिकी रक्षा विभाग ने दिया है।
शत्रु की अंतरिक्ष में स्थित क्षमता तहसनहस करके उसे अंधा और बहरा बनाना ही चीन ने विकसित किए ‘स्पेस वेपन्स’ का मुख्य उद्देश्य होने का एहसास इस रपट से कराया गया है। आधुनिक दौर के युद्ध के लिए अंतरिक्ष क्षेत्र में अपनी क्षमताओं का प्रभावी इस्तेमाल करना और साथ ही शत्रु को यह अवसर ना देना, इस पर चीन के लष्करी विशेषज्ञों ने जोर दिया है। अंतरिक्ष क्षेत्र के लष्करीकरण का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विरोध कर रहे चीन ने वास्तव में अंतरिक्ष में अपने रक्षाबलों की क्षमता बढ़ाने के लिए आक्रामक कदम उठाए हैं, इन शब्दों में अमरीक ने चीन पर दोगलेपन का आरोप किया है।
वर्ष 2007 में अतंरिक्ष में स्थित अपना उपग्रह नष्ट करने का परीक्षण करने के बाद चीन ने अपने ‘स्पेस वेपन्स’ से संबंधित कोई भी जानकारी सार्वजनिक नहीं की। लेकिन, अमरिकी रक्षा विभाग की रपट में चीन ने विकसित किए ‘स्पेस वेपन्स’ एवं तकनीक के विस्तार का ज़िक्र किया गया हैं। अंतरिक्ष में स्थित उपग्रह और अन्य घटकों पर नज़र रखने के लिए चीन ने ‘स्पेस सर्विलन्स सिस्टिम्स’ के साथ अंतरिक्ष में इस्तेमाल करना संभव होगा, ऐसी सायबर तकनीक भी विकसित की हैं। चीन के ‘स्पेस वेपन्स’ में ‘कायनेटिक किल मिसाइल्स’, ‘डायरेक्टेड एनर्जी वेपन्स’, ‘ग्राउंड बेस्ड लेज़र्स’, ‘स्पेस रोबोट्स’ और ‘सैटेलाईट जैमर्स’ का समावेश होने की बात अमरीका के इस रपट में कही गई है।
अमरीका ने अंतरिक्ष में जारी चीन की गतिविधियों की ओर ध्यान आकर्षित करना शुरू किया है, तभी ब्रिटेन ने इसी मुद्दे पर चिंता व्यक्त की है। चीन ने अंतरिक्ष क्षेत्र का इस्तेमाल लष्करी आक्रामकता के लिए किया है और इससे सभी देशों के अंतरिक्ष में मौजूद हितसंबंधों के लिए खतरा बना है, ऐसा इशारा ब्रिटेन के रक्षामंत्री बेन वॉलेस ने दिया है।
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