वॉशिंग्टन – झिंजियांग में उइगरवंशियों पर चीनी हुकूमत के भयंकर अत्याचार हो रहे हैं और यह हरकतें नरसंहार के करीबी हैं, ऐसा तीखां आरोप अमरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार रॉबर्ट ओब्रायन ने किया। इससे पहले अमरिकी विदेशंमत्री माईक पोम्पिओ ने बीते महीने में चीन ने झिंजियांग में शुरू किए उत्पीड़न केंद्र और मानवता के विरोध में हो रहे अत्याचारों का ज़िक्र नरसंहार के तौर पर करना संभव है, यह संकेत दिए थे। हाल ही में हुई संयुक्त राष्ट्रसंघ की आम सभा में भी यूरोपिय देशों ने उइगरों पर हो रहे अत्याचारों का मुद्दा उपस्थित किया था।
अमरीका की ‘ऐस्पेन इन्स्टिट्यूट’ नामक अभ्यासगुट के कार्यक्रम में राष्ट्रीय सलाहकार रॉबर्ट ओब्रायन ने चीन की हुकूमत कर रहा मानव अधिकारों के उल्लंघन पर जोरदार आलोचना की थी। हाँगकाँग में चीन ने जारी रखी दमन की नीति, तिब्बत में शुरू गतिविधियां एवं झिंजियांग में इस्लामधर्मी उइगरवंशियों पर हो रहे अत्याचारों की ओर ओब्रायन ने ध्यान आकर्षित किया। उइगरों पर हो रहे अत्याचारों पर बोलते समय उन्होंने चीन की यंत्रणा उइगरवंशी महिलाओं के सिर से बाल जबरन ही निकाल रही है और उसकी अमरीका के साथ अन्य देशों में बड़ी मात्रा में बिक्री हो रही है, यह आरोप भी किया। झिंजियांग में उइगरों पर अत्याचार करके तैयार किए जा रहे उत्पादनों पर अमरिकी यंत्रणा ने बीते कुछ महीनों में बड़ी मात्रा में कार्रवाई की है यह जानकारी भी उन्होंने प्रदान की।
बीते कुछ वर्षों में चीन की हुकूमत ने अपने ही नागरिकों पर जारी रखे अत्याचारों की जानकारी लगातार सामने आ रही है और इसके विरोध में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर असंतोष भी बढ़ रहा है। वर्ष २०१८ में संयुक्त राष्ट्रसंघ ने जारी की एक रपट में यह दावा किया गया था कि, चीन ने उत्पीड़न केंद्रों में ११ लाख उइगरवंशियों को कैद किया है। संयुक्त राष्ट्रसंघ की इस चौकानेवाली रपट के बाद पश्चिमी देशों ने उइगरों के मुद्दे पर चीन को लक्ष्य करना शुरू किया है और इसमें अमरीका और यूरोपिय देश सबसे आगे हैं।
उइगरवंशियों पर हो रहे अत्याचारों के विरोध में ट्रम्प प्रशासन ने कई अहम निर्णय किए हैं। जून महीने में अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प ने ‘उइगर ह्युमन राईट्स ऐक्ट’ पर हस्ताक्षर किए थे। उइगरवंशियों से संबंधित इस कानून में चीनी अधिकारियों पर प्रतिबंध लगाने का प्रावधान है। इसके बाद जुलाई महीने में उइगरवंशियों को गुलाम कामगारों की इस्तेमाल कर रही ११ चीनी कंपनियों को अमरीका ने ‘ब्लैक लिस्ट’ किया। इन कंपनियों में अमरीका की ‘ऐपल’, ‘एमेज़ॉन’, ‘मायक्रोसॉफ्ट’ जैसी बड़ी कंपनियों को कच्चा सामान एवं उत्पादनों की आपूर्ति कर रहीं चीनी कंपनियों का समावेश है। अगस्त महीने में अमरीका ने ‘झिंजियांग प्रॉडक्शन ऐण्ड कन्स्ट्रक्शन कोअर’ (एक्सपीसीसी) नामक चीनी शासक कम्युनिस्ट पार्टी से संबंधित अर्धसैनिकी संगठन पर प्रतिबंध लगाने का ऐलान किया था।
बीते महीने में ब्रिटेन के १३० से अधिक सासंदों ने चीन के राजदूत को खुला पत्र देकर मानव अधिकारों के मुद्दे पर सवाल किया था। इस पत्र में चीन की हुकूमत उइगरवंशियों का नरसंहार कर रही है, ऐसा तीखा आरोप भी किया गया था। अमरिकी विदेशमंत्री ने भी चीन की हरकतों पर आलोचना करते समय नरसंहार का ज़िक्र किया था। इसके साथ ही अब अमरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने उइगरवंशियों पर हो रहे अत्याचारों के मुद्दे पर चीन को लक्ष्य करते समय इन अत्याचारों की तुलना नरसंहार से की है। नज़दिकी दौर में अमरीका और यूरोपिय देशों ने चीन के अत्याचारों को नरसंहार का दर्जा देने पर चीन की हुकूमत बड़ी मुश्किलों में घिर सकती है।
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