वॉशिंग्टन – पैसिफिक क्षेत्र में अमरीका ताकतवर देश है। चीन ने इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में गैरकानूनी और अनियंत्रित मछली पकड़ने के साथ ही कई गतिविधियां जारी रखी हैं। इस क्षेत्र के देशों की सीमा में घुसपैठ करके उन्हीं देशों के मछुआरों को परेशान किया जा रहा है। यह बात अमरीका के साथ इंडो-पैसिफिक में स्थित अपने सहयोगी देशों की संप्रभुता के लिए खतरा निर्माण करनेवाली है। चीन की इन गतिविधियों से क्षेत्रिय स्थिरता को भी झटके लग रहे हैं। अस्थिर और खतरा बढ़ानेवाली गतिविधियां रोकने के लिए अमरीका की जोरदार कोशिशें जारी हैं और इसमें आगे तटरक्षक बल भी शामिल होगा। इस क्षेत्र में तटरक्षक बल की तैनाती बड़ी अहम साबित होगी, इन शब्दों में अमरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार रॉबर्ट ओब्रायन ने चीन के वर्चस्ववादी इरादों को नया झटका दिया।
चीन की नौसेना ने बीते कुछ महीनों में पैसिफिक क्षेत्र में अपनी गतिविधियां बड़ी मात्रा में बढ़ाई हैं। चीन के युद्धपोतों के साथ ही तटरक्षक बल के जहाज़ और चीन की हथियारबंद मछुआरों के जहाज़ों के दल (नेवल मिलिशिया) की मौजुदगी बढ़ाई है। चीन के युद्धपोत एवं जहाज़ इस समुद्री क्षेत्र में सफर करनेवाली अन्य देशों के जहाज़ों को लगातार परेशान कर रहे हैं। अप्रैल में चीन के गश्तपोत वियतनाम के मछुआरे के जहाज़ से जा टकराए भी थे। मई में चीन के जहाज़ों ने मलेशिया के समुद्री क्षेत्र के करीब ड़ेरा जमाया था। इसके बाद चीन ने फिलिपाईन्स और इंडोनेशिया की सीमाओं में भी इसी तरह की घुसपैठ की गतिविधियां करने की बात सामने आयी थी। चीन के मछुआरों के करीबन ३०० जहाज़ सीधे लैटिन अमरिकी देशों के करीबी समुद्री क्षेत्र में दाखिल होने की बात अगस्त में स्पष्ट हुई थी। चीन की इन बढ़ती गतिविधियों की पृष्ठभूमि पर अमरीका भी इस क्षेत्र में अधिक सक्रिय हुई हैं।
अमरीका ने जुलाई में साउथ चायना सी को लेकर अपनी भूमिका स्पष्ट करके चीन के विरोध में खुलेआम संघर्ष का ऐलान किया था। अमरीका मुक्त एवं खुले ‘इंडो-पैसिफिक’ क्षेत्र का कड़ा पुरस्कर्ता है और इस क्षेत्र का हिस्सा होनेवाले साउथ चायना सी पर चीन ने किए सभी दावे पूरी तरह से गैरकानूनी हैं, ऐसे स्पष्ट एवं सख्त शब्दों में अमरीका ने साउथ चायना सी पर चीन ने जताया हक ठुकराया था। साथ ही इस क्षेत्र के अन्य देशों के क्षेत्र पर चीन ने कब्ज़ा करने का आरोप लगाकर ऐसे देशों की सुरक्षा के लिए अमरीका ड़टकर खड़ी रहेगी, यह इशारा भी अमरीका ने दिया था।
अमरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ओब्रायन ने तटरक्षक बल की तैनाती को लेकर किया बयान भी इसीका हिस्सा साबित होता है। अमरिकी तटरक्षक बल में ‘फास्ट रिस्पॉन्स कटर्स’ वर्ग के प्रगत जहाज़ शामिल किए जा रहे हैं और यह जहाज़ इंडो-पैसिफिक में तैनात किए जाएंगे, यह बयान ओब्रायन ने किया। दक्षिणी पैसिफिक क्षेत्र में अमरिकी समोआ द्विप पर फास्ट रिस्पॉन्स कटर्स का अड्डा स्थापित करने का प्रस्ताव होने की बात भी अमरीका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने स्पष्ट की। तटरक्षक बल के इन जहाज़ों पर समुद्री सुरक्षा, गश्त, निगरानी, स्थानीय साझेदार देशों को सहयोग करना एवं फ्रीडम ऑफ नेवीगेशन की मुहिमों की जिम्मेदारी रहेगी, यह संकेत भी उन्होंने दिए।
अमरीका ने बीते वर्ष से इंडो-पैसिफिक में नौसेना की गतिविधियों में बड़ी बढ़ोतरी की है। इसमें विमान वाहक युद्धपोतों की तैनाती के साथ विध्वंसकों की गश्त एवं नौसेना के युद्धाभ्यास का समावेश है। इस पर कड़ी नाराज़गी दिखाते समय अमरिकी नौसेना वर्चस्व बनाने की कोशिश करेगी, यह आरोप चीन ने लगाया था। लेकिन, चीन की नाराज़गी नज़रंदाज़ करके अमरीका ने तटरक्षक बल के माध्यम से इंडो-पैसिफिक में अपनी गतिविधियां बढ़ाने का निर्णय किया है। अमरीका का यह निर्णय चीन को दिया हुआ स्पष्ट संदेश होने की बात दिख रही है।
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