आर्मेनिया-अज़रबैजान युद्ध दुबारा भड़कने से तीसरा युद्धविराम भी नाकाम

आर्मेनिया-अज़रबैजान युद्ध दुबारा भड़कने से तीसरा युद्धविराम भी नाकाम

येरेवान/बाकु – बीते एक महीने से भी अधिक समय से जारी आर्मेनिया-अज़रबैजान युद्ध रोकोने की कोशिश दुबारा नाकाम हुई है। बीते सप्ताह में अमरिकी विदेशमंत्री माईक पोम्पिओ की पहल से दोनों देशों ने युद्धविराम की तैयारी दिखाने की बात कही गई थी। लेकिन, बीते दो दिनों से यहां पर दुबारा जोरदार हमले होने लगे हैं और दोनों देशों ने एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप किए हैं। इस पृष्ठभूमि पर रशिया ने आर्मेनिया के करीब तुर्की के कुछ ड्रोन्स गिराने का वृत्त कुछ माध्यमों से सामने आया है।

 

मध्य एशिया के आर्मेनिया और अज़रबैजान के बीच २७ सितंबर से युद्ध शुरू हुआ है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय के आवाहन के बाद भी दोनों देशों के नेताओं ने पीछे हटने से इन्कार किया है। इससे पहले हुई युद्धविराम की दो बार कोशिश होने के बावजूद यह युद्ध अधिक भड़कने की बात सामने आयी है। अज़रबैजान का साथ दे रहे तुर्की ने अपनाई आक्रामक भूमिका इसके लिए ज़िम्मेदार होने की बात समझी जा रही है। इस पृष्ठभूमि पर अमरीका ने युद्धविराम के लिए की हुई पहल ध्यान आकर्षित करनेवाली साबित हुई थी। अमरीका के प्रस्ताव के अनुसार रविवार से युद्धविराम शुरू होना था।

लेकिन, यह युद्धविराम भी नाकाम होने की बात नए हमलों से सामने आयी है। आर्मेनिया ने अज़रबैजान के तीन इलाकों में मिसाइल हमले किए हैं, यह आरोप अज़रबैजान के सूत्रों ने किया। तभी आर्मेनिया के नए शहरों में हमले शुरू होने की जानकारी आर्मेनियन के प्रवक्ता ने साझा की। दोनों ओर से तोप, रॉकेटस्‌, मिसाइल और ड्रोन्स का बड़ी मात्रा में इस्तेमाल हो रहा है और इन हमलों में हज़ारों लोगों की मौत हुई है। रशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन ने एक बयान में आर्मेनिया-अज़रबैजान युद्ध में करीबन पांच हज़ार लोगों की मौत होने का ज़िक्र किया है, यह जानकारी रशियन माध्यमों ने साझा की थी। लेकिन, दोनों देशों की यंत्रणाओं ने अभी इस बात की पुष्टी नहीं की है।

इसी बीच, आर्मेनिया में स्थित रशियन अड्डे से की गई कार्रवाई में तुर्की के कुछ ड्रोन्स गिराए जाने के दावे सामने आए हैं। रशिया के कुछ माध्यमों ने लष्करी सूत्रों के दाखिले से इससे संबंधित वृत्त दिया है और तुर्की एवं अज़रबैजान ने इस पर कुछ भी प्रतिक्रिया दर्ज़ नहीं की है। रशिया ने इस कार्रवाई के लिए प्रगत ‘इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेअर’ प्रणाली का इस्तेमाल करने की बात कही जा रही है।

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