ब्रुसेल्स/अंकारा – भूमध्य समुद्री क्षेत्र के ईंधन भंड़ारों को लेकर युरोपीय देशों को धमका रहें तुर्की पर युरोपीय महासंघ ने प्रतिबंध लगाए हैं। भूमध्य समुद्री क्षेत्र में तुर्की अवैध तरीके से ईंधन का खनन कर रहा है, ऐसी स्पष्ट भूमिका अपनाकर महासंघ ने अगले वर्ष तक ये प्रतिबंध जारी रहेंगे, यह ऐलान किया। तुर्की की ईंधन कंपनी को इस दौरान निशाना किया गया है् और उसका दायरा बढ़ाने के संकेत भी दिए गए हैं। इस पृष्ठभूमि पर, तुर्की के खिलाफ अधिक आक्रामक नीति अपनाने की आवश्यक है, यह माँग फ्रान्स ने रखी है। युरोपीय महासंघ ने लगाए प्रतिबंध एवं फ्रान्स की माँग की वजह से युरोप और तुर्की के बीच बना तनाव अधिक बिगड़ने के संकेत प्राप्त हो रहे हैं।
पिछले दो वर्षों में तुर्की ने भूमध्य समुद्री क्षेत्र में ईंधन के लिए तेज़ गतिविधियाँ शुरू की हैं। ग्रीस एवं सायप्रस के नज़दिकी समुद्री क्षेत्र पर भी तुर्की ने हक जताया है और इस क्षेत्र में घुसपैठ करने की कोशिश जारी रखी है। तुर्की की इस हरकत पर युरोपीय देशों की तीखी प्रतिक्रिया प्राप्त हुई है और इसी कारण युरोपीय महासंघ ने पिछले वर्ष तुर्की के खिलाफ प्रतिबंध लगाए थे। तुर्की की सायप्रस के करीब हो रहीं हरकतों की वजह से ये प्रतिबंध लगाए गए थे। बीते सप्ताह में हुई बैठक में इस प्रतिबंधों की अवधि बढ़ाने का निर्णय किया था। यह निर्णय करने के साथ ही इन प्रतिबंधों का दायरा बढ़ाया जा सकता हैं, यह चेतावनी भी दी गयी है।
अगस्त महीने में तुर्की ने ‘नैव्हटेक्स अलर्ट’ जारी करके, अपना ‘ओरूक रेईस’ नामक ‘रिसर्च शिप’ दो जहाज़ों के साथ भूमध्य समुद्री क्षेत्र में खोज़कार्य के लिए रवाना किया था। इस पर अमरीका के साथ युरोपीय महासंघ एवं नाटो ने भी नाराज़गी व्यक्त की थी। अमरीका और युरोप ने ग्रीस का समर्थन करके तुर्की पर दबाव बनाना शुरू किया था। इसी कारण सितंबर महीने में तुर्की ने अपने जहाज़ भूमध्य समुद्री क्षेत्र से पीछे लेकर ग्रीस के साथ चर्चा शुरू की थी। लेकिन, पिछले महीने में तुर्की की नौसेना ने ‘नैव्हटेक्स अलर्ट’ जारी करके ‘ओरूक रेईस’ को ‘अतामान’ और ‘सेंगीज हान’ नामक दो जहाज़ों के साथ ग्रीस के ‘कैस्टेलोरिझो’ द्विप के करीबी इलाके में भेजा था। शुरू में ये जहाज़ २२ अक्तूबर तक इस इलाके में कार्यरत रहेंगे, यह कह रहें तुर्की ने इस मुहीम की अवधि तीन बार बढ़ाई है और अब १४ नवंबर तक इन जहाज़ों का ड़ेरा इसी इलाके में जमा रहेगा, यह चेतावनी भी दी है।
तुर्की की इस हरकत पर ग्रीस के साथ युरोपीय महासंघ और नाटो से तीव्र प्रतिक्रिया प्राप्त हुई है। ग्रीस तुर्की पर सख्त प्रतिबंध लगाने की माँग पर ज़ोर दे रहा है। इससे पहले सायप्रस के मुद्दे पर लगाए प्रतिबंधों की अवधि बढ़ानेवाले महासंघ ने, ग्रीस की माँग पूरी करने के संकेत दिए हैं, ऐसा इस नये निर्णय से दिख रहा है। फ्रान्स जैसें प्रमुख देश ने इस मुद्दे पर आक्रामक भूमिका अपनाने के कारण, आनेवाले दिनों में तुर्की को युरोप के नये प्रतिबंधों का झटका लगने की संभावना भी बढ़ी है। इससे पहले अमरीका ने लगाए प्रतिबंधों की वजह से तुर्की की अर्थव्यवस्था को बड़ा नुकसान पहुँचा है। इसी में युरोप के सख्त प्रतिबंधों का झटका लगने पर तुर्की बड़ी मुश्किलों में फँस सकता है।
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