वॉशिंग्टन/तैपेई – ज्यो बायडेन ने राष्ट्राध्यक्षपद की बाग़ड़ोर सँभालने पर अमरीका की चीनविरोधी भूमिका में बदलाव होगा, ऐसा दावा कुछ विश्लेषकों द्वारा किया जा रहा है। लेकिन बायडेन चीन को लेकर उदार नीति नहीं अपनायेंगे, ऐसे संकेत मिल रहे हैं। ज्यो बायडन के लष्करी सलाहकार होनेवाले अमरीका के पूर्व लष्करी अधिकारी जनरल स्टॅन्ले मॅक्क्रिस्टल ने चीन के बारे में किया हुआ बयान यही साबित कर रहा है। ‘तैवान को चीन से होनेवाले ख़तरे को अमरीका ने प्रत्युत्तर देने का समय आया है’, ऐसा मॅक्क्रिस्टल ने जताया है।
‘चीन ने पिछले कुछ सालों में अपना रक्षासामर्थ्य भारी मात्रा में बढ़ाया है। अमरीका के विमानवाहक युद्धपोत को डूबा सकते हैं, ऐसे हायपरसोनिक क्षेपणास्त्र विकसित किये होने के दावे चीन द्वारा किये जा रहे हैं। चीन की बढ़ती हुई लष्करी क्षमता के कारण उस क्षेत्र के समीकरण बदल चुके हैं। चीन का विचार करते समय बायडेन प्रशासन को आत्मसंतुष्ट भूमिका अपनाकर नहीं चलेगा। अन्यथा एक दिन सुबह आँख खुलने पर यह सुनने की नौबत आ सकती है कि चीन ने बड़े पैमाने पर क्षेपणास्त्रों की बौछार करके तैवान पर कब्ज़ा कर लिया है। ऐसा हमला टालने के लिए, चीन से तैवान को होनेवाले ख़तरे का अमरीका ने प्रत्युत्तर देने का समय आ चुका है’, इन शब्दों में जनरल स्टॅन्ले मॅक्क्रिस्टल ने संभाव्य संघर्ष का एहसास करा दिया।
यह प्रत्युत्तर देने के लिए अमरीका को चाहिए कि वह अपना रक्षासामर्थ्य बढ़ाने के साथ ही, उस क्षेत्र के सहयोगी तथा साझेदार देशों की भी सहायता करके मोरचा मज़बूत करें, ऐसा मशवरा भी बायडेन के सलाहकार ने दिया है। चीन का मुक़ाबला करना है, तो अमरीका को एक एशियाई सत्ता होने जैसा विचार करना होगा, ऐसा भी जनरल मॅक्क्रिस्टल ने कहा। उसी समय, ‘इंडो-पॅसिफिक’ क्षेत्र में चीन की लष्करी आक्रामकता को रोकने में काफ़ी देरी हुई होने का इशारा भी उन्होंने दिया। ‘चीन ने अपने जहाज़ में भाप भरकर उसे पूरी तरह सुसज्जित कर दिया है। इस कारण, वह हालाँकि अभी तक निकला नहीं है, फिर भी वह निकलने की तैयारी में ज़रूर हैं, इसे ध्यान में रखना होगा’, इन शब्दों में जनरल मॅक्क्रिस्टल ने, आनेवाले समय में ‘इंडो-पॅसिफिक’ क्षेत्र में संघर्ष की गहरी संभावना है, यह जताया।
फिलहाल राष्ट्राध्यक्ष-नियुक्त ज्यो बायडेन के सलाहकार के रूप में कार्यरत होनेवाले जनरल स्टॅन्ले मॅक्क्रिस्टल ने खाड़ी क्षेत्र तथा अफ़गानिस्तान के युद्ध में अहम भूमिका निभाई है। सन १९९०-९१ में हुई खाड़ीक्षेत्र के युद्ध से अपना कैरियर शुरू करनेवाले मॅक्क्रिस्टल ने सन २००३ में शुरू हुआ ‘इराक वॉर’ और उसके बाद अफगानिस्तान में तालिबान के विरोध में जारी संघर्ष में निर्णायक ज़िम्मेदारी सँभाली। सन २००९-१० में अफ़गानिस्तानस्थित ‘अमरीका-नाटो फोर्स’ के प्रमुख के रूप में काम किये जनरल मॅक्क्रिस्टल ने उसके बाद निवृत्ति घोषित की थी।
बायडेन के सलाहकार चीन-तैवान युद्ध के बारे में बयान कर रहे हैं कि तभी तैवान ने अमरीका से ३०० अतिरिक्त पॅट्रिऑट क्षेपणास्त्रों की ख़रीद करने के संकेत दिए हैं। तैवान के ‘एअरफोर्स कमांड’ ने इस संदर्भ में गतिविधियाँ शुरू कीं होने की जानकारी तैवान के ‘ऍपल डेली’ इस अख़बार ने दी है। अमरीका ने यदि इस ख़रीद को मान्यता दी, तो सन २०२७ तक तैवान के पास होनेवाले पॅट्रिऑट क्षेपणास्त्रों की संख्या ६५० पर पहुँचेगी, ऐसी जानकारी सूत्रों ने दी। कुछ महीनें पहले ही अमरीका ने तैवान के साथ ‘पॅट्रिऑट’ क्षेपणास्त्र यंत्रणा अद्यतन करने के लिए ६२ करोड़ डॉलर्स का समझौता किया था। उसके बाद, फिर से तैवान ने नये क्षेपणास्त्रों की ख़रीद के संकेत देना ग़ौरतलब साबित होता है।
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