काबुल – पिछले चौबीस घंटों में अफगानी लष्कर और तालिबान में भड़के संघर्ष में ३६ लोगों की मृत्यु हुई है। इस संघर्ष के कुछ घंटे पहले तालिबान ने, अफगानिस्तान में किसी भी प्रकार की संघर्ष बंदी लागू नहीं की है, यह स्पष्ट किया। अमरीका ने यदि १ मई से पहले अफगानिस्तान से पूरी वापसी नहीं की, तो उसे यकीनन ही प्रत्युत्तर मिलेगा, ऐसी धमकी भी तालिबान के प्रवक्ता ने दी। ऐसी परिस्थिति में, अमरीका के रक्षामंत्री लॉईड ऑस्टिन ने भारत दौरे के बाद रविवार को अफगानिस्तान की भेंट की।
अफगाण नॅशनल डिफेन्स अँड सिक्युरिटी फोर्सेस ने अफगानिस्तान के चार प्रांतों में तालिबान के खिलाफ मुहिम छेड़ी है। अफगानी सुरक्षा यंत्रणाओं ने शनिवार को की कार्रवाई में ३५ तालिबानियों को मार गिराया। इसके अलावा अफगानी सुरक्षा यंत्रणा के जवान की भी इसमें मृत्यु हुई। इस संघर्ष में ३१ तालिबानी घायल होने की जानकारी भी सामने आ रही है। इससे पहले शुक्रवार को अफगानी लष्कर ने, पाकिस्तान से सटकर होनेवाले पाकतिया प्रांत में की कार्रवाई में सात तालिबानी आतंकियों को गिरफ्तार किया था।
अफगानिस्तान के राष्ट्राध्यक्ष अश्रफ गनी ने रविवार को अपने लष्कर की कार्रवाई का समर्थन किया। ‘ क्या अफगानी भाई-बहनों को मारने का अधिकार किसी ने तालिबान को दिया है?’ ऐसा तीखा सवाल अफगानिस्तान के राष्ट्राध्यक्ष अश्रफ गनी ने किया। ‘तालिबान पहले हिंसाचार रोकें और उसके बाद ही शांतिचर्चा में सहभागी हों’, ऐसा आवाहन अफगानिस्तान के राष्ट्राध्यक्ष ने किया। इससे पहले भी अफगानिस्तान के राष्ट्राध्यक्ष ने तालिबान को अमरीका के साथ किए संघर्षबंदी समझौते की याद दिलाई थी। लेकिन तालिबान ने संघर्षबंदी करना मान्य किया ही नहीं था, ऐसा तालिबान का कहना है।
‘अफगानिस्तान में संघर्ष में सहभागी होनेवाले सभी गुट हिंसाचार कम करें, यह तालिबान ने मान्य किया था। लेकिन संघर्षबंदी के बारे में कभी भी चर्चा नहीं हुई थी’, ऐसा तालिबान का प्रवक्ता मोहम्मद नईम ने शनिवार को पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा। साथ ही, यदि तालिबान सत्ता में आया, तो अफगानिस्तान में फिर से इस्लामी हुकूमत लागू की जाएगी, ऐसा भी नईम ने स्पष्ट किया।
अमरीका के साथ चर्चा में सहभागी होने वाला तालिबान का कमांडर सुहैल शाहिन ने पश्चिमी देशों को अफगानिस्तान छोड़ जाने की चेतावनी दी। ‘१ मई तक अमरीका और नाटो का लष्कर अफगानिस्तान से पूरी तरह वापसी करें। क्योंकि इस कालावधी के बाद यदि पश्चिमी देशों का जवान अफगानिस्तान में दिखाई दिया, तो वह समझौते का उल्लंघन साबित होगा और फिर उसे हमसे उचित प्रत्युत्तर मिलेगा’, ऐसा शाहिन ने धमकाया।
पिछले साल भर में तालिबान ने अफगानिस्तान में हमले करते समय अफगानी जवान, प्रशासकीय अधिकारी और अध्यापकों को लक्ष्य किया था। लेकिन इसके बाद यदि हमारी माँग पूरी नहीं की, तो अमरीका और नाटो के जवानों को लक्ष्य किया जाएगा, ऐसी धमकी ही तालिबान ने दी होने का दावा कतार की अग्रसर न्यूज़ चैनल ने किया।
ऐसे हालातों में, अमरीका के रक्षा मंत्री ऑस्टिन रविवार को अफगानिस्तान में दाखिल हुए। अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष ज्यो बायडेन ने, तालिबान द्वारा दी गई १ मई तक की मोहलत ठुकराई थी। तालिबान ने निर्धारित की कालावधी तक अमरीका का लष्कर अफगानिस्तान से वापसी नहीं करेगा, ऐसा बायडेन ने घोषित किया था। रशिया, पाकिस्तान, ईरान और भारत इन देशों से चर्चा करके अमरीका अफगानिस्तान की समस्या हल करने की कोशिश कर रही है, ऐसा सामने आया था।
रशिया, ईरान इन देशों ने माँग की है कि अमरीका अफगानिस्तान से तय किएनुसार वापसी करें। वहीं, अमेरिका की सेना वापसी के बाद अफ़गानिस्तान तालिबान के कब्जे में जाएगा, ऐसी चिंता भारत व्यक्त कर रहा है।
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