काबुल – ‘तालिबान ने पंजशीर पर कब्ज़ा किया है और अफ़गानिस्तान में जंग अब खत्म हुई है’, यह दावा तालिबान के प्रवक्ता ज़बिउल्ला मुजाहिद ने किया है। लेकिन, पंजशीर से ‘नॉर्दन अलायन्स’ संघर्ष अभी भी जारी होने का ऐलान अहमद मसूद ने किया है। साथ ही नॉर्दन अलायन्स सिर्फ तालिबान से नहीं बल्कि, पाकिस्तानी सेना से भी लड़ रही है, यह आरोप मसूद ने लगाया है। पाकिस्तानी वायु सेना के पंजशीर में नॉर्दन अलायन्स पर हमले जारी होने की बात सामने आयी है। अगले दिनों में इस हस्तक्षेप की बड़ी कीमत पाकिस्तान की चुकानी पड़ सकती है।
तालिबान के आतंकी बीते तीन हफ्तों से पंजशीर पर कब्ज़ा करने के लिए हमले कर रहे थे। इसे कामयाबी हासिल होने का ऐलान तालिबान के प्रवक्ता मुजाहिद ने सोमवार के दिन किया। इस जीत की वजह से अफ़गानिस्तान युद्ध के कीचड़ से बाहर निकला, यह दावा मुजाहिद ने किया। इसके बाद पंजशीर की राजधानी बज़राक के गवर्नर हाऊस पर कब्ज़ा करके अपना झंड़ा लहराने का वीडियो तालिबान ने प्रसिद्ध किया। साथ ही नॉर्दन अलायन्स के नेता और प्रवक्ता फहीम दश्ती तालिबान के हमले में मारे जाने का ऐलान भी किया।
नॉर्दन अलायन्स के नेता अहमद मसूद और अफ़गानिस्तान के पूर्व राष्ट्राध्यक्ष अमरुल्ला सालेह पंजशीर से भाग निकलने की खबरें नए से प्रसिद्ध हुई हैं। इस वजह से पंजशीर से तालिबान के खिलाफ अफ़गान जनता का संघर्ष खत्म होने की चर्चा शुरू हुई है। लेकिन, नॉर्दन अलायन्स के लष्करी गठबंधन के प्रमुख नेता अहमद मसूद ने तालिबान के इस दावे से इन्कार किया है। ‘मैं जीवित हूँ और पंजशीर में नॉर्दन अलायन्स का संघर्ष अभी भी जारी है’, यह ऐलान भी मसूद ने किया।
‘तालिबान की पंजशीर पर हमला करने की क्षमता नहीं है। पाकिस्तान ड्रोन्स, हेलिकॉप्टर्स के ज़रिये तालिबान की सहायता कर रहा है और नॉर्दन अलायन्स पाकिस्तान से भी टकरा रही है’, यह बयान मसूद ने किया है। पंजशीर पर हमला करने के लिए पाकिस्तान ने चीन के बने ‘सीएच-४’ ड्रोन्स से हमले किए, ऐसा कहा जा रहा है। साथ ही नॉर्दन अलायन्स के खिलाफ संघर्ष के लिए पाकिस्तान ने सेना की ‘स्पेशल फोर्सस’ को उतारने की खबरें भी प्राप्त हुई हैं। लेकिन, इन दावों की अभी पुष्टी नहीं हुई है।
दो दिन पहले पाकिस्तान की गुप्तचर यंत्रणा ‘आयएसआय’ के प्रमुख फैज़ हमीद काबुल पहुँचे थे। हक्कानी गुट तालिबान की सरकार का नेतृत्व करें, यह शर्त हमीद ने तालिबान के सामने रखी थी। इस पर गुस्सा हुए तालिबान के बरादर गुट ने पंजशीर से अपने समर्थकों को वापस बुलाया था। इससे हक्कानी गुट को सहायता करने के लिए पाकिस्तान अपने सैनिकों को तालिबान के जिहादी बनाकर तैनात करने के लिए मज़बूर हुआ, यह आरोप भी हुए थे। ऐसी स्थिति में अहमद मसूद के आरोपों की गंभीरता बढ़ी है।
इसी बीच, तालिबान की सहायता के लिए अफ़गानिस्तान में अपनी सेना तैनात करनेवाले पाकिस्तान को अगले दिनों में इसकी बड़ी कीमत चुकानी पड़ सकती है। क्योंकि, तालिबान के साथ पाकिस्तान की हरएक हरकत पर विश्वभर के प्रमुख देशों की नज़र है। ऐसी स्थिति में पाकिस्तान की इन हरकतों को नजरअंदाज करना अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए कठिन हो सकता है। सोशल मीडिया में पाकिस्तान पर प्रतिबंध लगाने की माँग उठ रही है। इसके साथ ही अफ़गानिस्तान की आम जनता अपनी इस दुर्दशा के लिए पाकिस्तान को ज़िम्मेदार ठहरा रही है।
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