मास्को – विदेशी हुकूमतों पर प्रतिबंध लगाने के लिए हथियार की तरह इस्तेमाल करके अमरीका ही डॉलर की आरक्षित मुद्रा की इसकी अहमियत खत्म कर रही है, ऐसा दावा रशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन ने किया। अमरीका अतिरिक्त डॉलर्स छापकर कर्ज़ का भार बढ़ा रही है और देश में महंगाई को बढ़ावा दे रही है, ऐसा आरोप भी पुतिन ने लगाया। बीते महीने में ‘बैंक ऑफ रशिया’ की गवर्नर एल्विरा नबिउलिना ने रशिया समेत अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में अमरिकी डॉलर के इस्तेमाल का झुकाव कम होने की ओर ध्यान आकर्षित किया था।
‘प्रतिबंध लगाने के लिए डॉलर का हथियार की तरह इस्तेमाल करके अमरीका काफी बड़ी भूल कर रही है। इस भूल की वजह से प्रतिबंध लगाए गए उत्पादों के कारोबार में डॉलर का इस्तेमाल संभव नहीं हो पाता। इससे अमरीका के प्रतिबंधों का सम्मान करनेवाले रशिया जैसे देशों के सामने अन्य विकल्प रहता ही नहीं। हमें अन्य मुद्रा का इस्तेमाल करके व्यवहार पूरे करने पड़ते हैं। रशिया अभी भी कुछ मात्रा में र्इंधन व्यापार के लिए डॉलर का इस्तेमाल कर रही है। लेकिन, अमरिकी यंत्रणाओं की नीति कायम रही तो संभवत: रशिया को कुछ भी करना नहीं पड़ेगा। अमरीका स्वयं ही डॉलर की अहमियत खत्म कर देगी’, यह इशारा राष्ट्राध्यक्ष पुतिन ने दिया है।
अमरीका के कई सहयोगी देश भी डॉलर का भंड़ारण और इससे होनेवाले कारोबार की मात्रा घटा रहे हैं, इस ओर भी रशियन राष्ट्राध्यक्ष ने ध्यान आकर्षित किया। इसके पीछे मात्र प्रतिबंध ही कारण नहीं है, बल्कि अमरीका द्वारा हो रही डॉलर की बेशुमार छपाई, कर्ज़ का बढ़ता भार और डॉलर का मूल्य करने की गतिविधियों जैसे मुद्दे भी इसके लिए ज़िम्मेदार होने का बयान पुतिन ने किया। अमरिकी यंत्रणाओं की नीति की वजह से अमरीका में महंगाई अभूतपूर्व मात्रा में बढ़ रही है, ऐसा भी रशियन राष्ट्राध्यक्ष ने कहा है।
अमरीका पर बढ़ रहे कर्ज़ के भार का मुद्दा उठाते समय कई लोग इसके आगे अमरीका इस प्रचंड़ कर्ज़ का क्या करेगी, यह सवाल कर रहे है, यह दावा भी पुतिन ने किया। अमरिकी यंत्रणा डॉलर का मूल्य कम करने के लिए कुछ अलग गतिविधियाँ कर सकती है, ऐसे संकेत भी उन्होंने इस दौरान दिए। ‘स्थानीय स्तर पर राजनीतिक लाभ उठाने के लिए अमरिकी नेतृत्व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आरक्षित मुद्रा के तौर पर डॉलर का प्रभाव कम करती जा रही है। इससे अमरीका के ही रणनीतिक और आर्थिक हितसंबंधों का नुकसान हो रहा है। यह ऐसा है कि, जिस ड़ाल पर आप बैठे हैं, उसे ही काटने की कोशिश हैं’, ऐसी फटकार पुतिन ने इस दौरान लगाई।
रशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन ने कुछ वर्ष पहले ‘डिडॉलराइज़ेशन’ की प्रक्रिया शुरू की थी। अमरिकी डॉलर का इस्तेमाल कम करने के लिए उन्होंने आक्रामक कदम उठाए हैं। रशिया की र्इंधन कंपनियाँ अपने प्रमुख भागीदार देशों के साथ रुबल एवं अन्य मुद्राओं के ज़रिये कारोबार कर रही हैं। इनमें चीन, यूरोपिय देश एवं ईरान जैसें देशों का भी समावेश है। साथ ही रशियन सरकार के आरक्षित मुद्रा भंड़ार से स्थापित किए गए ‘नैशनल वेल्थ फंड’ में अमरिकी डॉलर का हिस्सा शून्य किया गया है।
रशिया का विदेशी मुद्रा और सोने का भंड़ार रिकार्ड स्तर पर
मास्को – रशिया का विदेशी मुद्रा भंड़ार बढ़कर ६१८ अरब डॉलर्स तक जा पहुँचा है और यह ऐतिहासिक घटना होने की जानकारी रशिया की संसद ने साझा की है। बीते साडे छह वर्षों के दौरान रशिया के विदेशी मुद्रा भंड़ार में कुल २३५ अरब डॉलर्स का इज़ाफा होने की बात रशियन संसद की रपट में दर्ज़ की गई है। सबसे अधिक विदेशी मुद्रा भंड़ार रखनेवाले देशों की सूचि में रशिया ने पांचवें स्थान पर छलांग लगाई है, ऐसा संसद ने स्पष्ट किया। रशिया ने अपने विदेशी मुद्रा भंड़ार में सोने का हिस्सा भी बढ़ाया है और इसकी मात्रा २३ प्रतिशत से अधिक होने की जानकारी इस रपट में है। इसी बीच रशिया की सेंट्रल बैंक के आँकड़ों के अनुसार इस देश में फिलहाल २,२९५ टन सोने का आरक्षित भंड़ार मौजूद है।
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