मास्को – नाटो के साथ जारी तनाव कम करने के लिए रशिया का प्रस्ताव ठुकराया गया तो अन्य विकल्पों के ज़रिये इसका जवाब दिया जाएगा, ऐसी कड़ी चेतावनी रशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन ने दी है। तो, फिनलैण्ड और स्वीडन को नाटो में शामिल करने के लिए चल रही कोशिशों पर रशिया की कड़ी नज़र है। इसका प्रत्युत्तर दिया जाएगा, यह इशारा रशियन विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया ज़कारोवा ने दिया है।
यूक्रैन की सीमा पर रशिया ने एक लाख से अधिक सैनिक तैनाती किए हैं। रशिया नए वर्ष में यूक्रैन पर हमला करेगी, ऐसे इशारे अमरीका दे रही है। रशिया ने यह हमला किया तो इसके परिणाम काफी भयंकर होंगे, ऐसी धमकी अमरिका ने दी थी। इस वजह से अमरीका-नाटो मिलकर रशिया के साथ घनघोर युद्ध करेंगे यह संभावना बढ़ने के इशारे यूरोपिय देश दे रहे हैं। इस पृष्ठभूमि पर रशियन राष्ट्राध्यक्ष ने यह तनाव कम करने के लिए प्रस्ताव पेश किया था। यूक्रैन एवं रशिया के प्रभावक्षेत्र के देशों को नाटो में शामिल करने का विचार छोड़ दें और इन देशों में अमरीका-नाटो के सैन्य अड्डे स्थापित करने की कोशिश रोक दें, यह माँग रशिया के प्रस्ताव में है।
लेकिन, अमरीका-नाटो ने इस प्रस्ताव पर अधिक ध्यान नहीं दिया है। पर, रशिया के साथ चर्चा करने के लिए नाटो तैयार होने का वृत्त है। १२ जनवरी को यह चर्चा होगी, ऐसी जानकारी माध्यमों से सामने आयी है। लेकिन, रशिया का प्रस्ताव हमें मंजूर ना होने के संकेत अमरीका और नाटो ने दिए हैं। इस पृष्ठभूमि पर रशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन ने हमारा प्रस्ताव ठुकराने पर भयंकर स्थिति निर्माण हो सकती है, इसका अहसास सूचक शब्दों में कराया है। रविवार के दिन रशिया के राष्ट्रीय समाचार चैनल को दिए गए साक्षात्कार में राष्ट्राध्यक्ष पुतिन बोल रहे थे।
रशिया का प्रस्ताव ठुकराया गया तो इस पर अन्य विकल्प के माध्यम से जवाब दिया जाएगा। यह जवाब हमारे ‘मिलिटरी एक्सपर्टस्’ से प्राप्त हुए प्रस्ताव पर निर्भर करेगा, ऐसा राष्ट्राध्यक्ष पुतिन ने कहा। उनसे यह इशारा दिया जा रहा है तब रशिया के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया ज़कारोवा ने नाटो को और एक इशारा दिया। फिनलैण्ड और स्वीडन को नाटो की सदस्यता बहाल करने के लिए चल रही गतिविधियों पर रशिया की कड़ी नज़र है। यह दोनों देश नाटो का हिस्सा बने तो इसके सैन्य एवं राजनीतिक परिणाम काफी बड़े हो सकते हैं। इस पर रशिया की प्रतिक्रिया प्राप्त हुए बिना नहीं रहेगी’, ऐसा कहकर ज़कारोवा ने नाटो को चेतावनी दी है।
इसी बीच, रशिया के इशारों को नजरअंदाज करके नाटो ‘ओपन डोर पॉलिसी’ पर काम कर रही है। निकषों की पूर्तता करनेवाले देशों को नाटो में शामिल करने मुमकिन होगा, ऐसा नाटो के सेक्रेटरी जनरल जॉन स्टोल्टनबर्ग ने घोषित किया है। नाटो में शामिल होना है या नहीं, इसका निर्णय उसी देश ने करना है। अन्य देश इस पर जबरदस्ती नहीं कर सकते, ऐसा नाटो एवं अमरीका का कहना है। लेकिन, रशिया के प्रभाव क्षेत्र के देशों को नाटो की सदस्यता देकर इन देशों में नाटो और अमरीका के सैन्य अड्डे स्थापित करना सीधे रशिया को युद्ध की चुनौती देना है, ऐसा रशिया का कहना है। यह ‘रेड लाईन’ है और इसका उल्लंघन करने के परिणाम भुगतने की तैयारी रखें, ऐसी सख्त चेतावनी रशिया ने दी है।
इस पृष्ठभूमि पर यूरोप फिर एक बार घनघोर युद्ध की दहलीज पर खड़ा है और किसी भी क्षण युद्ध छिड़ेगा, ऐसी स्थिति निर्माण हुई है। यूरोपिय देशों ने इस पर चिंता व्यक्त की है, फिर भी रशिया को यूक्रैन पर हमला करने की छूट नहीं दी जाएगी, ऐसा नाटो के सदस्य यूरोपिय देशों का कहना है।
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