टोकियो/कैनबेरा – चीन की बढ़ती आक्रामकता और वर्चस्ववादी गतिविधियों को रोकने के लिए जापान और ऑस्ट्रेलिया के बीच व्यापक रक्षा एवं सुरक्षा के सहयोग का समझौता होगा। गुरूवार को होनेवाली वर्चुअल बैठक के दौरान इस समझौते पर हस्ताक्षर किए जाएंगे, यह जानकारी दोनों देशों ने साझा की। पिछले सात महीनों में इन दोनों देशों के बीच यह दूसरा रक्षा समझौता है। इससे पहले जून में दोनों देशों के वायुसेनाओं ने ‘इंटरऑपरेबिलीटी डील’ पर हस्ताक्षर किए थे। जापान और ऑस्ट्रेलिया में बढ़ता सहयोग चीन को दिया जानेवाला संदेश होने का दावा ऑस्ट्रेलिया के रक्षा अधिकारी ने किया है।
गुरूवार को जापान के प्रधानमंत्री फुमिओ किशिदा और ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ‘रेसिप्रोकल ऐक्सेस एग्रीमेंट’ पर हस्ताक्षर करेंगे। इस समझौते के अनुसार जापान और ऑस्ट्रेलिया के रक्षा बल एक-दूसरे के रक्षा ठिकानों का इस्तेमाल कर सकेंगे। दोनों देशों का द्विपक्षीय युद्धाभ्यासों की संख्या और दायरा बढ़ाया जा रहा है। जापान के युद्धपोत एवं लड़ाकू विमान ऑस्ट्रेलिया के क्षेत्र में एवं ऑस्ट्रेलियन युद्धपोत और लड़ाकू विमान जापान के क्षेत्र में तैनात किए जा सकेंगे।
इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन की बढ़ती गतिविधियों की पृष्ठभूमि पर जापान और ऑस्ट्रेलिया का यह नया समझौता ध्यान आकर्षित कर रहा है। ‘दोनों देशों की सुरक्षा से संबंधित चुनौतियाँ एवं स्थिर इंडो-पैसिफिक के लिए उठाए जा रहे कदमों की पृष्ठभूमि पर हो रहा यह नया समझौता ऑस्ट्रेलिया और जपान का पुख्ता संदेश है’, इन शब्दों में ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने इस समझौते की अहमियत रेखांकित की।
जापान और ऑस्ट्रेलिया दोनों चीन के प्रमुख व्यापारी भागीदार देश के तौर पर जाने जाते थे। कुछ दिन पहले चीन की पहल से हुए ‘आरसीईपी’ नामक व्यापारी समझौते में जापान और ऑस्ट्रेलिया का समावेश रहा। इसके बावजूद पिछले कुछ वर्षों में चीन की हरकतों को लेकर दोनों देशों ने लगातार आवाज़ उठायी है और आक्रामक भूमिका भी अपनाई है। अमरीका की पहल से गठित किए गए ‘क्वाड’ में दोनों देशों का समावेश है और ‘टू प्लस टू डायलॉग’ भी शुरू हुआ है। कुछ दिनों में ऑस्ट्रेलिया के करीब किए गए व्यापक युद्धाभ्यास में जापान शामिल हुआ था।
पिछले शतक में दूसरे विश्वयुद्ध के बाद अमरीका ने जापान के साथ व्यापक रक्षा सहयोग के लिए समझौता किया था। इसके अनुसार अमरीका ने जापान की सुरक्षा का ज़िम्मा उठाया है। इसके बावजूद चीन को लेकर किसी भी तरह का खतरा उठाने के लिए जापान तैयार नहीं है और ऑस्ट्रेलिया के साथ हो रहा रक्षा समझौता इसी के स्पष्ट संकेत हैं।
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