शत्रु के हमले से पहले ही हवाई हमले करना जापान की रक्षा नीति है

जापान की रक्षा नीति

टोकियो/बीजिंग – शत्रुदेश का हमला होने से पहले उस देश की भूमि पर हवाई हमले करना जापान की रक्षा नीति का हिस्सा होने की पुष्टी जापान के रक्षामंत्री नोबुओ किशी ने की| बुधवार को संसद में हुई सुनवाई को दौरान रक्षामंत्री किशी ने यह जानकारी साझा की| पिछले कुछ वर्षों से चीन और उत्तर कोरिया के बढ़ते खतरों की पृष्ठभूमि पर जापान ने अपनी रक्षा नीति में बड़े बदलाव करने के संकेत दिए हैं| रक्षामंत्री किशी ने संसद में की हुई पुष्टी इसी का हिस्सा है|

जापान की रक्षा नीति

जापान पर मिसाइल हमला होने की संभावना होने पर शत्रु की हवाई सीमा में लड़ाकू विमानों द्वारा नियोजित लक्ष्य पर हमले किए जा सकते हैं| यह बात जापान के आत्मरक्षा का हिस्सा है और यह देश की रक्षानीति का ही हिस्सा है’, ऐसा जापान के रक्षामंत्री किशी ने संसद में स्पष्ट किया| इसके अलावा, दूसरे देश पर हमला करने की क्षमता रखनेवाले अंतरमहाद्विपीय बैलेस्टिक मिसाईल्स जापान अपने रक्षाबलों के बेड़े में शामिल नहीं करेगा, यह भी जापान के रक्षामंत्री ने कहा| जापान के कैबिनेट सचिव हिरोकाज़ु मात्सुनो ने भी किशी के बयान का समर्थन किया| ‘संविधान ने दिए हुए अधिकारों के दायरे में रहकर एवं अंतरराष्ट्रीय कानून के मद्देनजर जापान उपलब्ध सभी विकल्पों का इस्तेमाल करेगा’, यह मात्सुनो ने स्पष्ट किया| जापान के प्रधानमंत्री फुमिओ किशिदा ने पहले ही ऐलान किया था कि, जापान शत्रुराष्ट्र के खिलाफ हर विकल्प का इस्तेमाल कर सकता है| इसमें शत्रु के अड्डे पर हमला करने के लिए आवश्यक उचित क्षमता पाने का भी समावेश है, यह भी प्रधानमंत्री किशिदा ने कहा था|

जापान की रक्षा नीति

जापान के संविधान के नुसार देश के रक्षाबलों को सिर्फ सुरक्षा के लिए हमले करने का अधिकार प्रदान किया गया है लेकिन, इस नीति में पिछले दशक से बदलाव हो रहा है| जापान के पूर्व प्रधानमंत्री ऐबे ने देश की रक्षानीति में आक्रामक बदलाव करने की नसीहत दी थी| इसके अनुसार कदम उठाए जा रहे हैं और पिछले कुछ सालों से जापान लगातार अपने रक्षाखर्च में बढ़ोतरी कर रहा है| पिछले महीने जापान ने रक्षा नीति का हिस्सा होनेवाले ‘नैशनल डिफेन्स प्रोग्राम गाईडलाईन्स’ एवं ‘मिडियम टर्म डिफेन्स प्रोग्राम’ में भी बदलाव करने की दिशा में गतिविधियॉं शुरू की हैं|

पिछले कुछ सालों में चीन एवं उत्तर कोरिया की आक्रामक गतिविधियॉं जारी हैं| चीन अब जापान के करीब समुद्री सीमा में लगातार युद्धपोत एवं गश्तीपोत भेज रहा है और पिछले वर्ष एक पनडुब्बी की मौजूदगी भी इस क्षेत्र में देखी गई थी| चीन ने रशियन युद्धपोतों की सहायता से जापान के समुद्री सीमा के करीब गश्त अभियान चलाया था| दूसरी ओर उत्तर कोरिया परमाणु क्षमता बढ़ाने की गतिविधियॉं कर रहा है और पिछले कुछ महीनों में नए परीक्षण भी किए गए है| इसलिए जापान की सुरक्षा के लिए खतरा बहुत बढता जा रहा है और जापान अधिक आक्रामक एवं ड़टकर भूमिका अपनाता जा रहा है| इसलिए रक्षामंत्री किशी द्वारा संसद में की गई पुष्टी की बडी अहमियत नजर आती है|

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