स्विडन एवं फिनलैंड को इसी वक्त नाटो में शामिल होना चाहिए

- नाटो के भूतपूर्व प्रमुख का आवाहन

स्विडन एवं फिनलैंड

ब्रुसेल्स – रशिया युक्रेन युद्ध में व्यस्त स्विडन एवं फिनलैंड को इसी वक्त नाटो में शामिल होने के लिए गतिविधियां करनी चाहिएं, ऐसा आवाहन नाटो के भूतपूर्व प्रमुख ऐंडर्स फॉग रासमुसेन ने किया है। अगर यह देश अभी नाटो का हिस्सा नहीं बने तो उन्हें आनेवाले समय में रशियन तनाव एवं धमकियों का सामना करना पडेगा, ऐसा रासमुसेन ने आगाय किया।

स्विडन एवं फिनलैंड

पिछले महीने ब्रुसेल्स में नाटो देशों के विदेशमंत्रियों की बैठक हुई। युक्रेन युद्ध एवं नाटो की भूमिका के मुद्दे पर उक्त बैठक में चर्चा हुई। रशिया का धोखा बढ रहा है ऐसा कहकर कुछ सदस्य देशों ने नाटो का विस्तार करने की मांग की थी। तो नाटो के प्रमुख जेन्स स्टॉल्टनबर्ग ने रशिया की आक्रामकता की वजह से पूर्व युरोप के कुछ देश नाटो में शामिल होने के लिए उत्सुक होने की बात कही। तत्पश्चात पश्चिमी प्रसार माध्यमों ने फिनलैंड एवं स्विडन नाटो में शामिल होना चाहते हैं ऐसी खबर छापी थी। बाद में इन दोनों देशों के नेताओं ने आघाडी के युरोपिय नेताओं समेत नाटो के प्रमुख स्टॉल्टनबर्ग से भी मुलाकात की थी।

स्विडन एवं फिनलैंड

इस पर रशिया से तीव्र प्रतिक्रिया उमडी थी। स्विडन एवं फिनलैंड नाटो में शामिल हुए तो रशिया बाल्टिक क्षेत्र में अतिरिक्त परमाणु बम तैनात करेगी, ऐसा इशारा रशिया के सिक्युरिटी कौन्सिल के उपाध्यक्ष दिमित्रि मेदवेदेव ने दिया था। बाल्टिक में परमाणु बम की तैनाती के साथ-साथ रशिया फिकलैंड के खाडी में संरक्षणतैनाती भी बढाएगी, ऐसा भी मेदवेदेव ने आगाह किया। रशिया द्वारा दिए गए इशारों के बावजूद स्विडन एवं फिनलैंड द्वारा नाटो में शामिल होने के लिए अगली गतिविधियां शुरु की गई हैं। अगले महीने होनेवाली नाटो की बैठक में दोनों देश नाटो की सदस्यता के लिए अर्ज़ी भी भरेंगे, ऐसा कहा जा रहा है।

इस पृष्ठभूमि पर नाटो के भूतपूर्व प्रमुख का वक्तव्य ध्यान आकर्षित करता है। ’रशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमिर पुतिन इन दिनों युक्रेन के संघर्ष में व्यस्त हैं। इसलिए फिनलैंड एवं स्विडन को नाटो का सदस्य बनने का मौका अभी है। फिलहाल पुतिन कुछ नहीं कर पाएंगे। पर यह मौका गंवाने पर दोनों देशों को रशिया के दबाव एवं धमकियों का सामना करना पडेगा। भविष्य मर नाटो का सदस्य बनने के लिए बहुत समय लग सकता है, ऐसा रासमुसेन ने कहा।

फिनलैंड और स्विडन दोनों ने अब तक नाटो में शामिल होना टाला था। दोनों देशों की जनता ने भी नाटो में शामिल होने से विरोध किया था। मगर युक्रेन के युद्ध के कारण इन दोनों देशों का जनमत बदलने लगा है, ऐसा माना जाता है।

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