यूक्रेन के लुहान्स्क, डोनेत्स्क, खेर्सन और ज़ौपोरेज़िया चारों क्षेत्र रशियन संघराज्य का हिस्सा बने

- रशियन राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन का ऐलान

मास्को – रशियन सेना ने कब्ज़ा पाए लुहान्स्क, डोनेत्स्क, खेर्सन और ज़ौपोरे़ज़िया यूक्रेन के चार प्रांत अब रशियन संघराज्य का हिस्सा बने हैं, ऐसा ऐलान रशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन ने किया। साल २०१४ के युद्ध में रशिया ने यूक्रेन के क्रिमिया प्रांत पर कब्ज़ा करके इस क्षेत्र को रशिया से जोड़ दिया था। रशिया से क्रिमिया वापस पाने का ऐलान यूक्रेन के राष्ट्राध्यक्ष ज़ेलेन्स्की ने किया था। लेकिन, यूक्रेन से और चार प्रांत तोड़कर रशिया ने पूरे विश्व में सनसनी निर्माण की है। इन चारों प्रांतों में जनमत किया गया और यहां की जनता ने ही रशिया का हिस्सा बनने का निर्णय किया। इस वजह से अब यह रशिया का हिस्सा बने हैं और रशिया इसकी सुरक्षा के लिए किसी भी हद तक जाकर निर्णय करेगी, ऐसा इशारा राष्ट्राध्यक्ष पुतिन ने दिया हैं।

रशिया

लुहान्स्क, डोनेत्स्का, खेर्सन और ज़ौपोरे़ज़िया में रशिया ने जनमत का ऐलान किया इसके बाद इन प्रांतों को यूक्रेन से तोड़ने की तैयारी इस देश ने शुरू की, ऐसी चर्चा हो रही थी। अमरीका और यूरोपिय देशों ने रशिया की इन गतिविधियों का तीव्र विरोध किया था। इसकी परवाह किए बिना रशियन राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन ने शुक्रवार को यह चारों प्रांत रशियन संघराज्य का हिस्सा बनने का ऐलान किया। साथ ही अपने क्षेत्र की रक्षा करने के लिए रशिया किसी भी तरह का तीव्र निर्णय कर सकेगी, ऐसा कहकर फिर एक बार रशियन राष्ट्राध्यक्ष ने इस प्रांत पर हमला होने से परमाणु युद्ध छिडेगा, ऐसे संकेत दिए। इसके आगे यूक्रेन तुरंत युद्ध बंद करे और रशिया के साथ चर्चा शुरू करे, यह इशारा भी रशियन राष्ट्राध्यक्ष ने दिया। साथ ही इस दौरान किए गए भाषण में राष्ट्राध्यक्ष पुतिन ने अमरीका के साथ पश्चिमी देशों की तीव्र आलोचना की और यह देश अपना वर्चस्व विश्व पर थोंप रहें हैं, यह आरोप भी लगाया।

परमाणु हमला करनेवाला एकमात्र देश, ऐसी अमरीका की निर्भत्सना करके रशियन राष्ट्राध्यक्ष ने अमरीका ने आजतक किए गुनाहों का पठन भी इस दौरान किया। अमरीका और पश्चिमी देशों को किसी भी देश की संप्रभुता मंजूर नहीं। अपना वर्चस्व विश्वपर थोपने के लिए पश्चिमी वसाहतवादी किसी भी स्तर पर जा सकते हैं। जो देश अमरीका का विरोध करते हैं उन्हें धमकाकर उन्हें नीति बदलने के लिए मज़बूर करना या ऐसें देशों को तबाह किया जाता हैं। चीन की जनता को अफू की लथ लगाकर उससे अपना लाभ उठानेवाले पश्चिमी वसाहतवादी अपने गुनाह मंजूर करने के लिए तैयार नहीं हैं। इन्होंने भारत जैसें देश की लूट की। लेकिन, रशिया कभी भी इन देशों की वसाहत नहीं बना। लेकिन, आनेवाले दौर में इस सुचि में रशिया का नाम हो सकता हैं, यह दावा पुतिन ने किया।

लेकिन, कुछ भी हो अपनी संप्रभूता और स्वाभिमान से समझौता करने के लिए रशिया तैयार नहीं है। रशिया अपनी विरासत, मूल्य और संस्कृति से प्रतारणा नहीं करेगी। हमारी रशिया आत्मशक्ति पर पूरा विश्वास रखती है, यह कहकर रशिया पूरी ताकत के साथ अमरीका और पश्चिमी देशों के खिलाफ जंग करती रहेगी, यह दहाड़ भी राष्ट्राध्यक्ष पुतिन ने लगाई। अमरीका और पश्चिमी देश विकृती का पुरस्कार कर रहे हैं औड़ सुसंस्कृत रशियन जनता यह कभी भी बर्दाश्त नहीं करेगी।

पश्चिमीयों की यह नीति सीर्फ रशिया के खिलाफ नहीं हैं, बल्कि इससे पश्चिमी देशों की जनता का भी नुकसान हो रहा हैं। इसका विरोध कर रहीं रशिया को अन्य देशों से प्राप्त हो रहा समर्थन बढ़ रहा हैं। अमरीका में भी रशिया को अच्छा रिस्पान्स प्राप्त हो रहा हैं, इसका अहसास हमें हुआ हैं, यह व्लादिमीर पुतिन ने कहा है। उनके इस भाषण की बड़ी गूंज सुनाई पड़ी हैं और पुतिन का यह भाषण सीर्फ रशियन जनता को ही नहीं, बल्कि विश्व में अमरीका और पश्चिमी देशों के विरोधियों को उकसा रहा हैं, ऐसा दावा यूरोपिय देशों के विश्लेषक कर रहे हैं।

लैटिन अमरिकी, खाड़ी देशों के साथ ही चीन और भारत को भी राष्ट्राध्यक्ष पुतिन संदेश दे रहे हैं, यह दावा यूरोपियन विश्लेषकों ने किया। साथ ही इसका प्रभाव अगले दौर में दिखाई देगा, ऐसा इन विश्लेषकों का कहना हैं। इसी बीच, यूक्रेन युद्ध का पल्ड़ा फिर गया हैं और फिलहाल यूक्रेन की सेना ने रशिया के विरोध में बढ़त बनाई दिख रही हैं। ऐसी स्थिति में अपनी सेना की जारी पिछेहाट छुपाने के लिए रशियन राष्ट्राध्यक्ष ने यूक्रेन के चार प्रांत तोड़कर अपनी जीत होने की बात दिखाने की कोशिश की, ऐसी चर्चा पश्चिमी माध्यमों ने शुरू की हैं। लेकिन, रशिया ने तय किए उद्देश्य प्राप्त हुए बिना यूक्रेन से पीछे नहीं हटेंगे, यह ऐलान रशिया ने पहले ही किया था। यूक्रेन के चार प्रांतों की जनता रशिया समर्थक है और उस पर यूक्रेन की सरकार लगातार अन्याय कर रही है, इस पर भी रशिया ने समय-समय पर आगाह किया था। इस वजह से यूक्रेन के लुहान्स्क, डोनेत्स्क, खेर्सन और ज़ौपोरे़ज़िया प्रांतों पर कब्ज़ा करना ही रशिया का प्रमुख उद्देश्य था, इसका अहसास कुछ सामरिक विश्लेषकों ने कराया था।

इसके अनुसार रशिया ने लुहान्स्क, डोनेत्स्क, खेर्सन और ज़ौपोरे़ज़िया यूक्रेन से तोड़ने की तैयारी काफी पहले से करने की बात स्पष्ट हो रही है। यह प्रांत रशिया का हिस्सा होने के बाद इस पर हमला रशिया पर हुआ हमला माना जाएगा, ऐसा इशारा रशिया के पूर्व राष्ट्राध्यक्ष दिमित्री मेदवेदेव ने दिया था। इस क्षेत्र की रक्षा के लिए रशिया परमाणु हमला करने में हिचकिचाएगी नहीं, इसका अहसास भी मेदवेदेव ने कराया था। इस वजह से इस युद्ध में यूक्रेन के पीछे खड़े रहनेवाले अमरीका और नाटो आनेवाले दिनों में क्या करेंगे, इसी ओर पूरे विश्व की नज़रें लगी हैं।

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