वॉशिंग्टन/किव – ‘यूक्रेन ने यदि क्रिमिया दोबारा हासिल करने की कोशिश की तो यह रशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन के लिए रेड लाईन होगी। प्रत्युत्तर के तौर पर रशिया अधिक व्यापक और आक्रामक हमले कर सकती है’, ऐसी चेतावनी अमरीका के विदेश मंत्री एंथनी ब्लिंकन ने दी। बुधवार को एक नीजि बैठक में ब्लिंकन की यह बात सामने आयी है। ब्लिंकन यह चेतावनी दे रहे थे तभी विदेश विभाग के वरिष्ठ अधिकारी विक्टोरिया न्यूलैण्ड ने ऐसा बयान किया कि, क्रिमिया पर यूक्रेन के हमलों का अमरीका विरोध नहीं करेगी।
पिछले महीने यूरोप के डावोस में हुई बैठक में यूक्रेन ने राष्ट्राध्यक्ष वोलोदिमीर ज़ेलेन्स्की ने क्रिमिया पर फिर से कब्ज़ा करने का इरादा घोषित किया था। ‘क्रिमिया यूक्रेन का ही हिस्सा है। पश्चिमी देश हमें हथियारों की आपूर्ति करें और हम क्रिमिया दोबारा हासिल करके दिखाएंगे’, ऐसा यूक्रेन के राष्ट्राध्यक्ष ने कहा था। राष्ट्राध्यक्ष ज़ेलेन्स्की लगातार इशारा दे रहे हैं कि, क्रिमिया हमारा ही क्षेत्र है और इसे हासिल करने के बाद ही यूक्रेन के सैनिक अपनी मुहिम रोक देंगे।
यूक्रेनी राष्ट्राध्यक्ष ने दावोस में किए हुए इस बयान के बाद अमरीका के शीर्ष अखबार ‘द न्यूयॉर्क टाईम्स’ ने दावा किया था कि, क्रिमिया पर हमले करने से पहले अमरीका यूक्रेन को अतिरिक्त हथियार और अन्य सहायता प्रदान कर सकती है। बायडेन प्रशासन में क्रिमिया पर हमला करने के लिए यूक्रेन को सहायता मुहैया कराने को लेकर सकारात्मक भूमिका होने का बयान अमरिकी अखबार ने किया था। इसके लिए यूक्रेन को लंबी दूरी की मिसाइलें और रॉकेटस् की भी आपूर्ति की जाएगी, ऐसे संकेत भी अमरिकी सूत्र ने दिए थे। इस पृष्ठभूमि पर विदेश मंत्री ब्लिंकन और न्यूलैण्ड ने एक-दूसरे के खिलाफ किए हुए बयान ध्यान आकर्षित कर रहे हैं।
अमरीका का बायडेन प्रशासन यूक्रेन पर बयान करके इस देश का यूक्रेन संघर्ष में सीधा योगदान दर्शाता है, ऐसा आरोप अमरीका में स्थित रशियन दूतावास ने लगाया है। वहीं, क्रिमिया राष्ट्राध्यक्ष पुतिन के लिए संवेदनशील मुद्दा होने की बात पर रशियन विश्लेषकों ने ध्यान आकर्षित किया है। इसकी वजह से हमला हुआ तो रशिया पूरी ताकत से यूक्रेन पर टूट पड़ेगी, यह माना जा रहा है।
किसी समय रशियन युनियन का हिस्सा रहा क्रिमिया प्रांत साल १९५४ में यूक्रेन को सौंप दिया गया था। इसके बाद साल २०१४ में रशिया ने हमला करके क्रिमिया पर फिर से कब्ज़ा किया था। लेकिन, अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने रशिया के इस कब्जे को स्वीकृति प्रदान करने से इन्कार किया है। लेकिन, रशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन और अन्य प्रमुख नेताओं ने क्रिमिया तो अब मुद्दा ही नहीं रहा, यह कहकर यूक्रेन समेत पश्चिमी देशों के बयान ठुकराए हैं।
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