वैश्विक अर्थव्यवस्था पर ‘लॉस्ट डिकेड’ का संकट

- वर्ल्ड बैंक की नई रपट की चेतावनी

वॉशिंग्टन/लंदन – आर्थिक मंदी का साया और बैंकिंग क्षेत्र के संकट की पृष्ठभूमि पर वैश्विक अर्थव्यवस्था पर ‘लॉस्ट डिकेड’ का संकट टूट सकता है, ऐसी चेतावनी ‘वर्ल्ड बैंक’ की नई रपट दे रही है। साल २०३० तक वैश्विक अर्थव्यवस्था का औसतन विकास दर २.२ प्रतिशत होगा, ऐसा इशारा ‘वर्ल्ड बैंक’ ने दिया है। इससे पहले साल १९९१ से २००१ के दस सालों में जापानी अर्थव्यवस्था का विकास धीमा हो गया था। यह समय अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ‘लॉस्ट डिकेड’ के नाम से जाना जाता है।

‘लॉस्ट डिकेड’

‘वर्ल्ड बैंक’ ने ‘फॉलिंग लाँग टर्म ग्रोथ प्रॉस्पेक्टस्‌’ नामक रपट सोमवार को जारी की। इस रपट में वैश्विक अर्थव्यवस्था की गति धीमी होने का अनुमान लगाया गया है। ‘पिछले तीन दशकों में वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए समृद्धि और प्रगति का कारण बनीं अधिकांश गतिविधियां धीरे-धीरे खत्म होती जा रही हैं। इस सदि के पहले दशक में वैश्विक अर्थव्यवस्था का औसतन विकास दर छह प्रतिशत रहा। लेकिन, साल २०२२ से २०३० के दौरान औसतन विकास दर इसका एक तिहाई ही होगा। इस दौरान वैश्विक अर्थव्यवस्था का औसतन विकास दर २.२ प्रतिशत रहने के आसार दिख रहे हैं’, इन शब्दों में वर्ल्ड बैंक ने ‘लॉस्ट डिकेड’ के संकट पर ध्यान आकर्षित किया है।

विकासशील अर्थव्यवस्थाओं को इससे सबसे बड़ा नुकसान पहुंचेगा, यह अनुमान भी इस रपट में लगाया गया है। नया आर्थिक संकट या मंदी जैसी स्थिति होने से स्थिति अधिक गंभीर बनेगी, यह चिंता भी ‘वर्ल्ड बैंक’ ने जताई है। वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए लॉस्ट डिकेड का संकट निर्माण हो रहा है, ऐसा बयान ‘वर्ल्ड बैंक’ के प्रमुख आर्थिक विशेषज्ञ इंदरमित गिल ने किया। इस गिरावट की वजह से वैश्विक अर्थव्यवस्था को विभिन्न चुनौतियों का सामना करने की क्षमता पर असर पड सकता है, यह इशारा भी गिल ने दिया। इसमें गरीबी, असंतुलित आय और मौसम के बदलाव जैसे मुद्दों का समावेश होने की बात गिल ने कही।

आर्थिक मंदी की वजह से विकासदर पर हमेशा से असर होता दिखाई दिया है। लेकिन, बैंकिंग क्षेत्र के संकट के कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था को हो रहा नुकसान मंदी से अधिक होगा’, इस पर वर्ल्ड बैंक की आर्थिक विशेषज्ञ फ्रान्ज़िस्का ऑन्सोर्ज ने ध्यान आकर्षित किया। मंदी और नया आर्थिक संकट एक साथ यदि उभरेंगे तो वैश्विक अर्थव्यवस्था पर होने वाले असर लंबे समय तक रहेंगे, यह दावा ‘वर्ल्ड बैंक’ के वरिष्ठ संचालक अयहान कोस ने किया।

कोरोना की महामारी और रशिया-यूक्रेन युद्ध जैसे लगातार संकट की वजह से वैश्विक अर्थव्यवस्था का लंबे समय से जारी आर्थिक विकास का दौर खत्म हो गया, इसका अहसास वर्ल्ड बैंक की रपट करा रही है। ‘लॉस्ट डिकेड’ के संभावित खतरे से बचने के लिए वैश्विक स्तर के रणनीति कारों को कुछ बड़े और साहसी निर्णय लेने पडेंगे, ऐसी सलाह इस रपट में दी गई है।

विश्वभर के देशों ने शाश्वत विकास पर ध्यान केंद्रित करते हुए नीति बनानी पडेगी। आवश्यक वर्क फोर्स उपलब्ध कराने के लिए महत्वाकांक्षी उपक्रम चलाना पडेगा। उत्पाद क्षमता और निवेश अधिक बढ़ाने की ज़रूरत है, ऐसी सलाह वर्ल्ड बैंक की इस रपट में दी गई है।

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