मास्को – पश्चिमी देशों की बर्बर महत्वाकांक्षा और अहंकार यूक्रेन संघर्ष की वजह हैं और उन्होंने रशियन मातृभूमि के विरोध में युद्ध छेड़ दिया है, ऐसी कड़ी आलोचना रशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन ने की। राजधानी मास्को में मंगलवार को आयोजित ‘व्हिक्टरी डे’ समारोह में र शियन राष्ट्राध्यक्ष ने पश्चिमी देशों की कड़ी आलोचना की। पश्चिमी देश अभी भी वर्चस्ववादी मानसिकता से बाहर नहीं निकले हैं और अपने हितसंबंधों के लिए लोगों में संघर्ष करावाना, समाज में दरार बनाना, रक्तरंजित संघर्ष के लिए उकसाना और पारिवारिक एवं परंपरागत मूल्य नष्ट करने जैसीं हरकतें कर रहे हैं, इसका अहसास पुतिन ने इस दौरान कराया।
दूसरे विश्व युद्ध में नाज़ी जर्मनी के विरोध में प्राप्त जीत के प्रतिक के तौर पर ९ मई को रशिया में ‘व्हिक्टरी डे’ मनाया जाता है। इसी दिन रशिया में विदेशी नेताओं की मौजुदगी में विशाल सैन्य परेड का आयोजन किया जाता है। रशिया-यूक्रेन युद्ध की बढ़ती तीव्रता के कारण इस साल ‘व्हिक्टरी डे’ कार्यक्रम काफी सीमित रखा गया था। साथ ही विदेशी नेताओं में भी रशिया प्रायोजित ‘सीआईएस’ गुट के सदस्य देशों के राष्ट्रप्रमुख की मौजुदगी देखी गई।
राजधानी मास्को में आयोजित सैन्य परेड की पृष्ठभूमि पर राष्ट्राध्यक्ष पुतिन ने पश्चिमी देशों की कड़ी आलोचना की। यूक्रेन संघर्ष के लिए पश्चिमी देशों की नीति की ज़िम्मेदार होने का बयान करके उन्होंने यूक्रेनी जनता को बंधक बनाया हैं, यह आरोप पुतिन ने लगाया। पिछली सदि में नाज़ी हुकूमत ने विश्व पर वर्चस्व पाने के लिए किए दावे और इससे हुए परिणामों को पश्चिमी देश भूल गए हैं, इसका अहसास रशियन राष्ट्राध्यक्ष ने कराया।
बर्बर मनोवृत्ती की खतरनाक नाज़ी हुकूमत का पराभव किस ने किया और यूरपिय जनता की आज़ादी के लिए कौन दिवार बनकर खड़े रहे, इसे अनदेखा किया जा रहा हैं, ऐसा आरोप पुतिन ने इस दौरान लगाया। पश्चिमी देशों की वर्चस्ववादी विचारधारा घातक और अपराधिक प्रवृत्ति की होने का दावा भी रशियन राष्ट्राध्यक्ष ने किया। इसी विचार धारा से रशिया पर संघर्ष थोंपा गया और रशिया की सेना देश की सुरक्षा का ध्यान रखेगी, यह इशारा राष्ट्राध्यक्ष पुतिन ने इस दौरान दिया।
विश्व फिलहाल फिर से निर्णायक मोड़ पर खड़ा होने की ओर उन्होंने ध्यान आकर्षित किया मंगलवार को रशिया में आयोजित ‘व्हिक्टरी डे’ के समारोह में हर साल की तरह रशिया का सामर्थ्य और ताकत का प्रदर्शन नहीं हुआ, यह दावा पश्चिमी माध्यमों ने किया है। इस समारोह में लड़ाकू विमान और नए हथियारों का प्रदर्शन नहीं किया गया, इसपर विश्लेषकों ने ध्यान आकर्षित किया। ‘व्हिक्टरी डे’ समारोह में हमेशा का आकर्षन ना होना रशिया की क्षीण क्षमता के संकेत है, यह दावा भी किया गया है।
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