इम्रान खान का ‘नया पाकिस्तान’ भारतद्वेषी धारणाओं को नहीं छोड़ेगा – विजय के बाद पहले ही भाषण में कश्मीर का उल्लेख

इम्रान खान का ‘नया पाकिस्तान’ भारतद्वेषी धारणाओं को नहीं छोड़ेगा – विजय के बाद पहले ही भाषण में कश्मीर का उल्लेख

इस्लामाबाद – इम्रान खान के इस नया पाकिस्तान में भारत के लिए कुछ भी नया नहीं होगा, यह बात चुनाव में विजय के बाद उनके पहले ही भाषण में स्पष्ट हुई है। भारत के साथ संबंध सुधारने के लिए पहल करने का दावा करने वाले इम्रान खान ने कश्मीर यह दोनों देशों के बीच प्रमुख समस्या होने की बात सूचित की है। तथा जम्मू कश्मीर में भारत के मानव अधिकार का हनन करने का आरोप इम्रान खान ने किया है। पर आतंकवाद के मुद्दे पर इम्रान खान ने एक शब्द भी नहीं कहा है। उस समय भारतीय माध्यमों ने हमें खलनायक ठहराने की बात कहकर इम्रान खान ने उस पर नाराजगी व्यक्त की है।

पाकिस्तान में एवं पाकिस्तान के बाहर विश्लेषकों द्वारा किए गए दावे के अनुसार पीटीआई को इस चुनाव में अग्रणी स्थान मिला है। बहुमत नहीं मिला है, फिर भी पाकिस्तान की आने वाली सरकार पीटीआय की ही होगी, ऐसा स्पष्ट हो रहा है। १२० जगहों पर पीटीआई के उम्मीदवारों के विजयी होने की बात कही जा रही है। बहुमत के लिए १३७ उम्मीदवारों की आवश्यकता होकर पीटीआई सहज रुप से बहुमत सिद्ध कर सकता है, ऐसा चित्र दिखाई दे रहा है। मुख्य तौर पर इस चुनाव में पाकिस्तान के प्रभावशाली लष्कर और कुख्यात गुप्तचर संघटना आईएसआई द्वारा पीटीआई के लिए किया गया काम सबसे महत्वपूर्ण माना जा रहा है। पाकिस्तानी फौज राजनीति एवं चुनाव में हस्तक्षेप करने की गलती लगातार करती चली आ रही है, ऐसी आलोचना करनेवाले विश्लेषक इस बार होने वाली गलती सबसे अधिक खतरनाक होगी, ऐसी चेतावनी दे रहे हैं।

नया पाकिस्तान, विजय, इम्रान खान, पीटीआई, कश्मीर, आतंकवाद, पाकिस्तान, अफगानिस्तानइस चुनाव में बहुत बड़े गड़बड़ घोटाले हुए हैं और नवाज शरीफ पंजाब के प्रभाव क्षेत्र में पीटीआई के उम्मीदवार चुनकर आए हैं, यह एक खतरनाक बात है। तथा पीटीआय एवं इम्रान खान को उनके प्रभाव में न होनेवाले कराची जैसे शहर में भी पीटीआई को मिली सफलता संशयास्पद होने का दावा किया जा रहा है। इसीलिए पाकिस्तान के प्रमुख राजनीतिक पक्ष ने इस चुनाव के निर्णय स्वीकारने से इनकार किया है। परन्तु इस चुनाव के प्रति लगाए जाने वाले आक्षेप की जांच होगी ऐसी गवाही दे कर इम्रान खान ने अपने आलोचकों को शांत करने का प्रयास किया है।

अपनी विजय जनतंत्रशाही मजबूत करनेवाली होगी और हम देश को स्वच्छ और पारदर्शी सरकार देंगे, ऐसा आश्वासन इम्रान खान ने पाकिस्तान की जनता को दिया है। पाकिस्तान में शांति एवं स्थिरता कायम रखने के लिए पड़ोसी देशों की सहायता अपेक्षित होने की बात कहकर सबसे पहले इम्रान खान ने चीन के साथ पाकिस्तान के संबंध का उल्लेख किया है।

सीपीईसी प्रकल्प द्वारा पाकिस्तान की वित्त व्यवस्था का बदलाव करने का ख्वाब इम्रान खान ने अपनी जनता को दिखाया है। इसी वजह से पाकिस्तान के नए प्रधानमंत्री द्वारा भी चीन समर्थक धारणा कार्यान्वित करने की बात उजागर हुई है। चीन सीपीईसी प्रकल्प का उपयोग करके पाकिस्तान को बड़े ब्याजदर से कर्ज़ दे रहा है, इसी वजह से पाकिस्तान का सार्वभौमत्व खतरे में आया गया है, ऐसी चिंता कई प्रगल्भ विश्लेषकों ने व्यक्त की थी।

भारत के बारे में बोलते हुए इम्रान खान ने कश्मीर का उल्लेख किया है। कश्मीर समस्या बल का उपयोग करके नहीं सुलझेगी। वह चर्चा से ही सुलझेगी, इसलिए चर्चा के लिए अपनी सरकार तैयार होगी। भारतीय नेतृत्व एक कदम आगे आये और हम दो कदम आगे आएंगे, ऐसा दावा खान ने किया है। पर वास्तव में कश्मीर में भारत अत्याचार कर रहा है, ऐसी बात कहकर एवं आतंकवाद का उल्लेख टालते हुए इम्रान खान ने अपने कदम पीछे हटा लिए हैं ऐसा दिखाई दे रहा है। भारतीय माध्यमों ने अपनी खलनायक जैसी प्रतिमा बनाई है, ऐसी आलोचना करके इम्रान खान ने उस पर नाराजगी व्यक्त की है। बल्कि वास्तव का ज्ञान न होनेवाले एवं झूठे आदर्शवादी विचार प्रस्तुत करनेवाले इम्रान खान के नेतृत्व में पाकिस्तान की अधिक दुर्दशा होने की गहरी आशंका होने का दावा एक भारतीय विश्लेषक ने किया है।

वास्तव में पाकिस्तान की सत्ता अपने नहीं बल्कि लष्कर के अधिकार में है, इस बात अहसास जल्द ही इम्रान खान को होगा। इसकी वजह से जनता को दिए जानेवाले आश्वासन वे पूर्ण नहीं कर सकेंगे। यह भी उनके ध्यान में आएगा। उसके बाद ही उनका अपना और पाकिस्तानी जनता का भ्रम टूटेगा ऐसा कई विश्लेषकों का कहना है। पाकिस्तान में स्थिरता प्रस्थापित करने के लिए अफगानिस्तान में शांति एवं स्थिरता रखना आवश्यक है। इसके लिए पाकिस्तान सहायता करेगा, ऐसी भूमिका इम्रान खान ने प्रस्तुत की है। परन्तु अफगानिस्तान पर अपना वर्चस्व स्थापित करके इस देश का भारत के विरोध में उपयोग करने के लिए पाकिस्तान की लष्करी योजना, धूल में मिल सकती है। इसीलिए पाकिस्तान की लष्कर ऐसा कभी भी होने नहीं देगी। इस ओर भी विश्लेषक ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। तथा अफगानिस्तान में आतंकवाद विरोधी युद्ध में अमरीका को सहायता करने की गलती इम्रान खान ने की तो उसके भयंकर परिणाम पाकिस्तान को सहने होंगे, इसका अहसास भी इम्रान खान को आलोचकों द्वारा करवाया जा रहा है।

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