दक्षिण अफ्रीका की अर्थव्यवस्था को मंदी का झटका – वैश्विक स्तर की उभरती अर्थव्यवस्थाएँ संकट की छाया में

दक्षिण अफ्रीका की अर्थव्यवस्था को मंदी का झटका – वैश्विक स्तर की उभरती अर्थव्यवस्थाएँ संकट की छाया में

जोहान्सबर्ग/वॉशिंग्टन – अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उभरती अर्थव्यवस्था में से एक दक्षिण अफ्रीका को मंदी का झटका लगा है। खेती, परिवहन, रिटेल, दूरसंचार इन क्षेत्रों की गिरावट की वजह से लगातार दूसरी तिमाही में दक्षिण अफ्रीका के विकास दर में कटौती हुई है और सरकार ने अर्थव्यवस्था पर मंदी छाने की बात को कबूल किया है। दौरान, यूरोप और आशिया के शेअर बाजार में भी जोरदार गिरावट शुरू हुई है और चीन, रशिया, भारत, ब्राझिल, तुर्की, अर्जेंटिना, इंडोनेशिया जैसे उभरती अर्थव्यवस्थाएं नए आर्थिक संकट की छाया में आने का डर जताया जा रहा है।

दक्षिण अफ्रीका, मंदी, राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प, रैंड, मुद्रा, अर्थव्यवस्था, गिरावट, ww3, वॉशिंग्टन, चीनमंगलवार को दक्षिण अफ्रीका सरकार ने अर्थव्यवस्था के सन्दर्भ में आंकड़ें घोषित किए हैं। उसमें सन २०१८ की लगातार दूसरी तिमाही में अर्थव्यवस्था में गिरावट होने की जानकारी दी गई है और अर्थव्यवस्था में ०.७ प्रतिशत की कटौती होने की बात कही जा रही है। पहली तिमाही में दक्षिण अफ्रीका की अर्थव्यवस्था २.६ प्रतिशत से गिर गई थी। लगातार दूसरी तिमाही में अर्थव्यवस्था में गिरावट होने की सन २००९ की मंदी के बाद की पहली बारी है। सन २०१४ से लेकर सन २०१७ तक दक्षिण अफ्रीका की अर्थव्यवस्था में, हर साल एक तिमाही में विकास दर में गिरावट दिखाई दी थी। लेकिन इस साल लगातार दूसरी तिमाही में हुई गिरावट से दक्षिण अफ्रीका की सरकार को बड़ा झटका लगा है, ऐसा कहा जा रहा है।

दक्षिण अफ्रीका में मंदी की घोषणा के बाद ‘रैंड’ की मुद्रा में सिर्फ २४ घंटों में डेढ़ प्रतिशत से अधिक गिरावट हुई है। पिछले कुछ महीनों में रैंड के मूल्य में लगातार गिरावट हो रही है और आठ महीनों में अमरिकी डॉलर की तुलना में रैंड २० प्रतिशत से अधिक गिर गया है। इसके पीछे अमरिकी डॉलर की मजबूती के साथ साथ अन्य प्रमुख मुद्राओं में होनेवाली गिरावट और दक्षिण अफ्रीका सरकार ने जमीन सुधार के बारे में लिया हुआ निर्णय इन चीजों का कारण बताया जा रहा है।

दक्षिण अफ्रीका को मंदी का झटका लग रहा है और ऐसे में विश्व की अन्य उभरती अर्थव्यवस्थाएं भी संकट की छाया में आने के संकेत मिल आ रहे हैं। अमरिकी डॉलर अधिकाधिक मजबूत होने के संकेत हैं, ऐसा अमरिकी प्रशासन ने घोषित किए आंकड़ों से मिल रहा है। उसी समय अमरिकी राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प ने चीन और यूरोप के खिलाफ शुरू किए व्यापार युद्ध के झटके अन्य देशों को लगने लगे हैं। उसीके साथ ही रशिया और तुर्की जैसे देशों पर लगाए प्रतिबंधों के भी परिणाम दिखाई दे रहे हैं।

पिछले कुछ दिनों में रशिया, भारत, ब्राझिल, तुर्की, अर्जेंटिना, इंडोनेशिया इन देशों की मुद्रा में अमरिकी डॉलर की तुलना में लगातार गिरावट हो रही है। इन देशों के साथ साथ विश्व की उभरती अर्थव्यवस्थाओं में शामिल दक्षिण-पूर्व आशियाई देशों के पास लगभग साढ़े तीन लाख करोड़ डॉलर्स से अधिक अमरिकी बॉंड हैं। इन देशों की मुद्रा में होने वाली गिरावट और अमरिकी डॉलर की मजबूती की वजह से इन देशों की अर्थव्यवस्थाओं को लगने वाली झटके की तीव्रता बढती जा रही है।

मंगलवार और बुधवार को यूरोप और एशियाई देशों के शेअर बाजारों में बड़ी गिरावट दिखाई दी है। इंडोनेशिया का शेअर बाजार चार प्रतिशत से और चीन का शेअर निर्देशांक दो प्रतिशत से गिरा है। मंगलवार को लंडन और यूरोप के शेअर बाजारों के निर्देशांक गिरने की जानकारी सामने आई है। मुद्रा में गिरावट, दक्षिण अफ्रीका की मंदी और शेअर बाजार में गिरावट इन सबका बड़ा झटका वैश्विक अर्थव्यवस्था को लग सकता है, ऐसा डर विश्लेषक जता रहे हैं।

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