चीन के झिनजियांग प्रांत में उपग्रह विरोधी लेजर यंत्रणा का अड्डा – लष्करी अभ्यासक ने किया दावा

चीन के झिनजियांग प्रांत में उपग्रह विरोधी लेजर यंत्रणा का अड्डा – लष्करी अभ्यासक ने किया दावा

वॉशिंगटन – शस्त्र स्पर्धा में अमरिका को चुनौती देने की तैयारी में रहनेवाले चीन ने अंतरिक्ष युद्ध की बडी तैयारी करने की जानकारी सामने आ रही है। अल्पसंख्यांकों का दमन करके झिनजियांग प्रांत पर लष्करी कब्जा करनेवाले चीन ने उसी क्षेत्र में उपग्रह विरोधी लेजर यंत्रणा का खुफिया अड्डा बनाने का दावा एक लष्करी अभ्यासक ने किया है। चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत ने झिनजियांग की तरह देशभर में ऐसे पांच लेजर अड्डे विकसित किए होने की जानकारी इस अभ्यासक ने दी है।

चीन के वायव्य दिशा में ‘झिनजियांग’ प्रांत की राजधानी ‘उरूम्की’ से १४५ मील दूरी पर चीन ने यह लेजर अड्डा विकसित किया है। चीन एवं अन्य देशों के उपग्रहों पर नजर रखनेवाले केंद्र भी चीन ने अपने कई शहरों में शुरू किए है। इन उपग्रहों पर नजर रखकर सही समय पर इन उपग्रहों को लक्ष्य करने का प्लैन चीन ने तैयार किया है, यह दावा चीन की लष्करी गतिविधियों पर नजर रखनेवाले भारत के सेवानिवृत्त लष्करी अधिकारी ने अमरिकी संकेतस्थल पर किया है। किसी उपग्रह का मार्ग एवं अन्य जानकारी प्राप्त होने पर चीन में शुरू किए खुफिया ‘लेजर’ ठिकानों से दुश्मन का उपग्रह तबाह करना चीन को मुमकिन है, यह भी इस लष्करी विश्‍लेषक का कहना है।

झिनजियांग के निकट बनाए लेजर अड्डे के सैटलाईट फोटो इस विश्‍लेषक ने माध्यमों के सामने रखे है और ऐसे ही चार लेजर अड्डे चीन के अन्य हिस्सों में होने की संभावना जताई है। झिनजियांग के इस लेजर अड्डेपर ‘स्लाईडिंग’ छप्पर बनाकर चीन ने यह यंत्रणा अमरिका एवं मित्रदेशों की उपग्रहों से छिपाने की कोशिश की है। चार बिल्डिंग पर ऐसे छत देखे गए है और इसी में से एक बिल्डिंग का छत हटने की वजह से चीन के इस अड्डे की पोल खोल हुई है। इस अड्डे के उपग्रह से प्राप्त किए गए फोटो माध्यमों के सामने आ चुके है और इस पर दुनियाभर से प्रतिक्रिया सामने आ रही है।

चीन उपग्रहविरोधी लेजर की सहायता से अंतरिक्ष में मौजूद उपग्रहों के लिए खतरा निर्माण कर सकता है, यह इशारा फरवरी महीने में ही गुप्तचर यंत्रणाओं ने अपने अहवाल में दिया था। लेकिन, चीन के इन लेजर यंत्रणा में अंतरिक्ष के उच्चस्तरीय हिस्से में स्थिर प्रगत उपग्रहों के लिए खतरा बनाने की क्षमता नही है, यह दावा गुप्तचर यंत्रणाओं ने अपने अहवाल में किया था। पृथ्वी के नजदिकी स्तर पर स्थिर उपग्रह तबाह करने की यंत्रणा तैयार करने के लिए चीन को अगले वर्ष तक प्रतिक्षा करनी होगी, ऐसा इस अहवाल में कहा गया है।

लेकिन, इस दौरान चीन ‘एनर्जी वेपन्स’ का इस्तेमाल उपग्रह नाकाम करने से अंतरिक्ष में शत्रु के हितसंबंधों को तबाह करने की तकनीक प्राप्त करेगा, यह एहसास इस अहवाल से कराया गया था। फिलहाल चीन लेजर यंत्रणा के इस्तेमाल पर ध्यान केंद्रीत कर रहा है और मायक्रोवेव्हज् और रेडिओ तरंगों का इस्तेमाल शस्त्र की तरह करने के लिए कोशिश कर रहा है, यह इशारा गुप्तचर यंत्रणा ने दिया है। इस वजह से चीन की गतिविधियों की ओर गंभीरता से देखा जा रहा है।

इसके पहले वर्ष २००६ में चीन ने उपग्रह विरोधी मिसाइल प्रक्षेपित करके अंतरिक्ष में अपना नाकाम उपग्रह नष्ट करने का दावा किया था। चीन के इस मिसाइल परीक्षण पर दुनियाभर से आलोचना हुई थी। लेकिन, उस समय चीन ने लेजर का इस्तेमाल करके उपग्रह नष्ट करने का दावा अमरिका में कुछ विश्‍लेषकों ने किया था।

दौरान, अमरिका के राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प इन्होंने अंतरिक्ष की अहमियत रेखांकित करके ‘स्पेस फोर्स’ का गठन किया है। चीन के इन लेजर अड्डों की तैयारी पर ध्यान दिया जाए तो अमरिका की ‘स्पेस फोर्स’ की अहमियत भी बढती दिखाई दे रही है।

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