कोरोना की पृष्ठभूमि पर चीन के बँकों के बॅड लोन्स् रेकॉर्ड स्तर पर

कोरोना की पृष्ठभूमि पर चीन के बँकों के बॅड लोन्स् रेकॉर्ड स्तर पर

बीजिंग – कोरोना की महामारी के कारण चीन की अर्थव्यवस्था को भी ज़बरदस्त झटका लगा होने की बात सामने आ रही होकर, चीन के बँकों के बॅड लोन्स् रेकॉर्ड स्तर पर पहुँचे हैं। मार्च महीने में ख़त्म हुई तिमाही में चीन के व्यवसायिक बँकों पर होनेवाले बॅड लोन्स् पूरे ३६७ अरब डॉलर्स तक जा पहुँचे होने की जानकारी सरकारी यंत्रणा ने दी। कोरोनावायरस के संक्रमण के दौर में, चन्द तीन महीनों में चिनी बँकों पर के बॅड लोन्स् का बोझ पूरे २८ अरब डॉलर्स से बढ़ा है, ऐसा सरकारी जानकारी से स्पष्ट हुआ।

जागतिक अर्थव्यवस्था पर कोरोना महामारी के तीव्र परिणाम महसूस होने की शुरुआत हुई होकर अधिकांश देश आर्थिक मंदी के साये में हैं। जापान और जर्मनी इन देशों ने कुछ ही दिन पहले मंदी की घोषणा की होकर, जल्द ही युरोप और अमरीका भी मंदी घोषित करेंगे, ऐसे संकेत दिये जा रहे हैं। लेकिन ऐसे में, दुनिया की दूसरे नंबर की अर्थव्यवस्था होनेवाला चीन अपनी अर्थव्यवस्था का वास्तव दुनिया के सामने लाना टाल रहा था।

पिछले हफ़्ते चीन के संसद अधिवेशन में प्रधानमंत्री ली केकियांग ने, इस साल आर्थिक विकास दर का उद्दिष्ट निश्चित नहीं किया गया है, ऐसा कहा था। प्रधानमंत्री केकियांग का यह बयान यानी चीन की अर्थव्यवस्था में कुछ गड़बड़ होने की क़बुली है, ऐसा माना जा रहा है। इस क़बुली के बाद चीन की सरकारी यंत्रणा द्वारा, बॅड लोन्स् का बोझ रेकॉर्ड स्तर पर पहुँचा होने की जानकारी दी जाना, ग़ौरतलब साबित होता है।

चीन के ‘बँकिंग अँड इन्शुरन्स रेग्युलेटरी कमिशन’ ने हाल ही में तिमाही ब्योरा जारी किया। उसके अनुसार, पिछले वर्ष के अन्त तक चीन के व्यवसायिक बँकिंग क्षेत्र पर का बॅड लोन्स् का बोझ ३४० अरब डॉलर्स इतना था। मार्च २०२० के अन्त तक यही बोझ ३६७.७ अरब डॉलर्स पर जा पहुँचा है। चीन में लगभग १३४ प्रमुख व्यवसायिक बँक होकर, बॅड लोन्स् का प्रमाण तक़रीबन ढ़ाई प्रतिशत दर्ज़ किया गया है। उसी समय, देश के ग्रामीण बँकों का बॅड लोन्स् का प्रमाण पूरे पाच प्रतिशत तक जा पहुँचा है।

चीन के कुल बँकिंग क्षेत्र का विचार किया, तो बॅड लोन्स् की औसत दो प्रतिशत है। लेकिन व्यवसायिक और ग्रामीण बँकों ने इस औसत को कब का पार किया दिख रहा है। अर्थविशेषज्ञ और विश्लेषकों की राय से, चीन के बँकों ने दिखाया यह प्रमाण भी सिर्फ़ पेपर पर दिखायी संख्या होकर, असल में कर्ज़े का बोझ इससे कई गुना अधिक हो सकता है।

महज़ तीन महिनों में बॅड लोन्स् के प्रमाण में हुई प्रचंड बढ़ोतरी, यह कोरोना महामारी का परिणाम होने का दावा चीन की सरकारी यंत्रणा कर रहीं हैं। जागतिक स्तर पर की वित्तसंस्थाएँ तथा विश्लेषकों ने, चीन की अर्थव्यवस्था में होनेवाला कर्ज़े का बोझ और बॅड लोन्स् का प्रमाण यह कोई नयी बात नहीं है, इसकी ओर लगातार ग़ौर फ़रमाया है।

पिछले दशक में आयी आर्थिक मंदी के बाद चीन ने अपनी अर्थव्यवस्था सुधारने के लिए, बँकों को प्रचंड प्रमाण में कर्ज़ों का वितरण करने की छूट दी थी। सत्ताधारी हुक़ूमत से आये आदेश के बाद चीन के बँकों ने बहुत ही ज़्यादा प्रमाणात में कर्ज़ों का वितरण किया था। इस कर्जवितरण में सरकारी कंपनियाँ तथा प्रशासकीय यंत्रणों का भारी मात्रा में समावेश था। यह कर्ज़ा चुकता करने में की गयी नज़रअन्दाज़ी चीन के बँकिंग क्षेत्र की दुरवस्था का कारण साबित हो रही है।

दो साल पहले अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प ने चीन के ख़िलाफ़ छेड़ा हुआ व्यापार युद्ध और उसके बाद आयी हुई कोरोना की महामारी इस पृष्ठभूमि पर चीन की अर्थव्यवस्था में लगातार गिरावट शुरू हुई है। चीन की सत्ताधारी कम्युनिस्ट हुक़ूमत इस जानकारी को छिपाने की लगातार जानतोड़ कोशिश कर रही थी। लेकिन कोरोना के मुद्दे पर चीन के ख़िलाफ़ जागतिक स्तर पर ग़ुस्सा बढ़ रहा होकर, आंतर्राष्ट्रीय दबाव भी आने लगा है।

उसी समय दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं ने, अब तक चीन पर होनेवाली निर्भरता कम करने के भी संकेत दिये हैं। इस बदलाव का बड़ा झटका चीन की अर्थव्यवस्था को लग सकता है। इस कारण चीन ने अपनी अर्थव्यवस्था में होनेवाले नकारात्मक घटक धीरे धीरे दुनिया के सामने लाने की शुरुआत की है, ऐसा दिख रहा है।

किसी भी देश की अर्थव्यवस्था की स्थिति, यह उस देश कीं बँकों की अवस्था पर भारी मात्रा में निर्भर होती है, ऐसा माना जाता है। बँकों के बॅड लोन्स् में होनेवाली बढ़ोतरी उस देश की अर्थव्यवस्था के लिए बहुत ही ख़तरनाक बात साबित होती है। आर्थिक उद्योगधंधे और व्यापार ठप पड़ने के बाद कर्ज़ का भुगतान किया नहीं जा सकता और ज़ाहिर है, फिर देश की अर्थव्यवस्था फिसलने लगती है। पिछले कुछ सालों से चीन में यह रुझान दिखायी देने लगा था। आंतर्राष्ट्रीय वित्तसंस्था तथा अर्थविशेषज्ञों ने, चीन के बँक़्स् डूब जायेंगे, ऐसी चिंता व्यक्त की थी।

कोरोना महामारी की पृष्ठभूमि पर यह प्रक्रिया अधिक ही गतिमान बनी होकर, चिनी बँकों के सामने होनेवाली चुनौती अधिक ही भयंकर बनी है। लेकिन दुनिया के दूसरे नंबर की अर्थव्यवस्था होनेवाले चीन के बँकिंग क्षेत्र तथा अर्थव्यवस्था के सामने का संकट केवल चीन तक ही सीमित नहीं रहेगा, बल्कि उसके जागतिक अर्थव्यवस्था पर दुष्परिणाम होंगे, ऐसी चेतावनी कुछ अर्थविशेषज्ञों ने पहले ही दी थी। इस कारण, चीन में होनेवाले ये घटनाक्रम दुनिया की चिंता को अधिक बढ़नेवाले साबित हो रहे हैं।

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