हाँगकाँग में चीनविरोधी आंदोलन तीव्र होने के संकेत

हाँगकाँग में चीनविरोधी आंदोलन तीव्र होने के संकेत

हाँगकाँग – कोरोनावायरस का संक्रमण रोकने हेतु लागू किये निर्बंध शिथिल हो रहे हैं कि तभी हाँगकाँग में फिर एक बार चीनविरोधी प्रदर्शन शुरू हुए हैं। मंगलवार को हाँगकाँग के एक मॉल में प्रदर्शनकारियों ने एकत्रित आकर स्वतंत्र हॉंगकाँग के लिए नारे लगाये। हाँगकाँग की जनता में चीन के ख़िलाफ़ होनेवाला असंतोष क़ायम है, यह इन प्रदर्शनों से स्पष्ट हुआ है। इन प्रदर्शनों के कारण चीन के सत्ताधारियों ने फिर से होहल्ला मचाना शुरू किया होकर, ये प्रदर्शन यानी ‘राजकीय वायरस’ होने की आलोचना की है।

पिछले साल चीन की सत्ताधारी हुक़ूमत ने हाँगकाँग की जनता पर ज़बरदस्ती से क़ानून थोंपने की कोशिश की थी। उसके ख़िलाफ़ हाँगकाँग में चीनविरोधी जनतंत्रवादी व्यापक आंदोलन खड़ा हुआ था। छ: महीनों से अधिक समय तक जारी रहा यह आंदोलन, चीन की सत्ताधारी कम्युनिस्ट हुक़ूमत के सामने खड़ी सबसे बड़ी चुनौती साबित हुई थी। आंदोलन की तीव्रता और आंतर्राष्ट्रीय दबाव के चलते चीन को हाँगकाँग पर थोंपे हुए क़ानून पीछे लेने पड़े थे।

लेकिन चीन के इस तरह पीछे हटने के बाद भी हाँगकाँग में आंदोलन जारी ही रहा था। नया साल चालू होने के बाद चीन में शुरू हुए संक्रमण की पृष्ठभूमि पर हाँगकाँग में भी निर्बंध लादे गये थे। इन निर्बंधों के कारण हाँगकाँग में आंदोलन कुछ मात्रा में ठंड़ा पड़ गया था। लेकिन पिछले कुछ दिनों में संक्रमण की तीव्रता कम होने के कारण निर्बंध शिथिल किये गए थे।

इसके बाद आंदोलकों ने फिर एक बार एकत्रित होकर चीन के ख़िलाफ़ असंतोष ज़ाहिर करने की शुरुआत की है। पिछले हफ़्ते आंतर्राष्ट्रीय कामगार दिन के उपलक्ष्य में हाँगकाँग के जनतंत्रवादी गुट सड़कों पर उतरे थे। उस समय कुछ मात्रा में हिंसाचार की घटनाएँ भी घटित हुईं थीं। इस हिंसाचार की हो रही आलोचना को मद्देनज़र रखते हुए हॉंगकाँगस्थित गुटों ने फिर एक बार शांतिपूर्ण मार्ग से प्रदर्शन शुरू किये हैं।

मंगलवार रात को हाँगकाँग के आंदोलकों ने एक मॉल में एकत्रित होकर प्रदर्शन किये। इस समय हाँगकाँग की स्वतंत्रता का एवं आंदोलन का प्रतीक होनेवाला ‘ग्लोरी टू हाँगकाँग’ यह गीत गाया गया और नारें लगाये गए। इन आंदोलकों पर सुरक्षायंत्रणाओं ने कार्रवाई की, ऐसा भी सामने आया है।

कोरोना संक्रमण की पृष्ठभूमि पर ठंड़े पड़े हुए आंदोलन ने फिर एक बार ज़ोर पकड़ना शुरू किया होने के कारण, चीन से उसपर तीव्र प्रतिक्रिया उठी। हाँगकाँग के आंदोलक ये केवल हिंसा करानेवाला गुट होकर, वे ‘राजकीय वायरस’ हैं, ऐसा ज़हर चीन द्वारा उगला गया।

पिछले ही महीने हाँगकाँग के चीनपरस्त प्रशासन ने, महामारी की पृष्ठभूमि पर लागू किये गए लॉकडाउन के बहाने जनतंत्रवादी कार्यकर्ताओं पर कार्रवाई की थी। इस कार्रवाई को लेकर आंतर्राष्ट्रीय स्तर पर तीव्र प्रतिक्रिया भी उठी थी। कार्रवाई के बाद भी हाँगकाँग में प्रदर्शनकारी फिर एक बार आंदोलन के लिए सड़कों पर उतरे होने के कारण चीनविरोधी आंदोलन व्यापक होने के संकेत मिलने लगे हैं। फिलहाल चीन से दुनियाभर में फ़ैले कोरोनावायरस की महामारी के कारण आंतर्राष्ट्रीय स्तर पर चीन के विरोध में वातावरण गर्म हुआ है। दुनियाभर के प्रमुख देशों ने इसके लिए चीन पर आलोचना की झड़ी बरसाना शुरू किया है। सन १९८९ में चीन ने कराये तिआनमेन हत्याकांड के दौर में भी नहीं था, इतना ग़ुस्सा दुनियाभर में चीन के विरोध में जमने लगा है।

ऐसी परिस्थिति में, चीन से संपूर्ण राजकीय आज़ादी की माँग करनेवाले हाँगकाँग के प्रदर्शनकारियों को दुनियाभर से अधिक ही समर्थन मिल सकता है, इसका एहसास अब तक चीन को भी हो चुका है। इस कारण, इन प्रदर्शनों ने चीन अधिक ही बेचैन हुआ होने के संकेत मिलने लगे हैं।

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