लंडन/कॅराकस – छह साल पहले मतलब सन २०१२ में वेनेझुएला के तत्कालिन राष्ट्राध्यक्ष ह्युगो चावेझ ने परदेश में स्थित करीब १६० टन सोने का भंडार मातृभूमी में वापस लाते हुए इतिहास रचा था। वेनेझुएला के इस अभियान के बाद जर्मनी और नेदरलैंड सहित कई यूरोपीय देशों द्वारा परदेश में रहा सोना वापिस मातृभूमी में लाने में सफलता मिली थी। पर चावेझ के मौत के बाद वेनेझुएला की जिम्मेदारी संभालने वाले राष्ट्राध्यक्ष निकोलस मदुरो को चावेझ ने किए प्रदर्शन को दोहराने में असफलता मिली है। ब्रिटन के ‘बैंक ऑफ इंग्लंड’ने वेनेझुएला का १४ टन सोना वापिस देने को ना कहने की खलबली मचानेवाली जानकारी सामने आयी है।
वेनेझुएला की अर्थव्यवस्था गिर चुकी है और महंगाई तथा चलनवृद्धी का दर करीब आठ लाख प्रतिशत से उपर जा पहुँचा है। राष्ट्राध्यक्ष मदुरो के तानाशाही और एकतरफा हुकूमत पर नाराज होते लाखो लोगों ने वेनेझुएला छोडकर दूसरे देश में आश्रय लिया है। विदेशी निवेश के साथ सारे महत्त्वपूर्ण आर्थिक व्यवहार ठप्प हो चुके है। कुछ महीने पहले राष्ट्राध्यक्ष मदुरो द्वारा देश की अर्थव्यवस्था संभलने के लिए आक्रामक उपायों का ऐलान किया गया था।
उस में वेनेझुएला की मुद्रा ‘बोलिवर’ का ९५ प्रतिशत अवमूल्यन किया गया था। साथ ही देश में स्थित इंधन भंडार के बल पर ‘पेट्रो’ नामक क्रिप्टोकरन्सी की शुरुवात करते हुए उसे मुद्रा का स्थान दिया गया था। पर इन उपायों के बाद भी वेनेझुएला की अर्थव्यवस्था संभलने के बजाय और ही गिरती हुई सामने आ रही है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रास्फिती ने इस साल के अंत तक वेनेझुएला की अर्थव्यवस्था करीब १८ प्रतिशत तक गिरेगी, ऐसी गंभीर चेतावनी भी दी है।
इस पृष्ठभूमी पर अर्थव्यवस्था संभलने के लिए राष्ट्राध्यक्ष मदुरो द्वारा परदेश स्थित सोने का भंडार वापिस लाने के प्रयास शुरु किये गये है। ब्रिटन की मध्यवर्ती बैंक रहे ‘बैंक ऑफ इंग्लंड’ के पास रहे सोने में से १४ टन सोना वापिस लाने के लिए गतिविधियां शुरु है, ऐसा कहा जा रहा है। वेनेझुएला सरकार के सूत्रों इसकी पुष्टी की है। पर मदुरो हुकूमत की इन कोशिशों को ‘बैंक ऑफ इंग्लंड’ ने झटका देते हुए सोना वापिस देने की मॉंग ठुकराई है।
‘बैंक ऑफ इंग्लंड’ के इस ना के पिछे सुरक्षा और सोने का भविष्य ऐसी दो वजह दी गयी है। सूत्रों द्वारा दिए गये जानकारी के अनुसार, ‘बैंक ऑफ इंग्लंड’ द्वारा वेनेझुएला में वापिस भेजे जानेवाले सोने के इस्तेमाल के बारे में गंभीर सवाल किये गये है। वेनेझुएला के राष्ट्राध्यक्ष निकोलस मदुरो के इरादों पर सवाल पैदा करते हुए वह सोने के भंडार का इस्तेमाल खुद के लाभ के लिए करेंगे, ऐसा दावा ‘बैंक ऑफ इंग्लंड’ द्वारा किया गया है। साथ ही १४ टन सोने का भंडार वापिस भेजने के लिए अत्यावश्यक रही सुरक्षा वेनेझुएला नही दे सकता ऐसा मुद्दा भी खडा किया गया है।
पिछले चार सालों में वेनेझुएला के सत्ताधारी हुकूमत ने बडी मात्रा में सोने की बिक्री की है। सन २०१४ में वेनेझुएला के पास ३६० टन सोना था। पिछले चार सालों में करीब २०० टन सोना बेचा गया है। इस वजह से वेनेझुएला का सोने का भंडार १६० टन तक गिर चुका है। इस साल में पहले १० महीनों में ही वेनेझुएला करीब २४ टन सोना बेचा है। ९० करोड डॉलर्स मूल्य का यह सोना सिर्फ तुर्की को बेचा गया है।
पिछले कई सालों में अलग अलग देशों ने अमरिका और ब्रिटन के मध्यवर्ती बैंको में रखा सोने का भंडार वापिस लाने में सफलता पाई थी। कुछ देशों द्वारा अब भी प्रयास शुरु है। इस पृष्ठभूमी पर वेनेझुएला का करीब ५५ करोड डॉलर्स मूल्य का १४ टन सोना वापिस करने की मॉंग ठुकराने का ‘बैंक ऑफ इंग्लंड’ का फैसला ध्यान खींचनेवाला साबित होता है।
इस समाचार के प्रति अपने विचार एवं अभिप्राय व्यक्त करने के लिए नीचे क्लिक करें:
https://twitter.com/WW3Info | |
https://www.facebook.com/WW3Info |