जापान से रक्षा खर्च के लिए विक्रमी २४२ अरब डॉलर्स का प्रावधान

जापान से रक्षा खर्च के लिए विक्रमी २४२ अरब डॉलर्स का प्रावधान

टोकिओ – ‘ईस्ट चाइना सी’ में जापान के विरोध में शुरू चीन की गतिविधियां और ‘साऊथ चाइना सी’ एवं पैसिफिक क्षेत्र में चीन की बढती लष्करी हरकतों को प्रत्युत्तर देने के लिए जापान ने अपनी रक्षा नीति और आक्रामक की है। प्रधानमंत्री शिंजो एबे इन्होंने २४२ अरब डॉलर्स के विक्रमी रक्षा खर्च को मंजूरी दी है और इसके तहत जापान दोन विमान वाहक युद्धपोत का निर्माण करेगा। जापान के इस निर्णय पर चीन के साथ दोनों कोरियाई देशोंने आपत्ति जताई है। यह निर्णय जापान पीछे ले, यह चेतावनी भी चीन ने दी है।

दो हफ्ते पहले जापान ने अमरिका से १०० लडाकू ‘एफ-३५’ विमान खरिदी करने के लिए कदम बढाए थे। अमरिकी नौसेना से सबसे अधिक इस्तेमाल हो रहे ‘एफ-३५’ इन लडाकू विमानों के साथ जापानी वायु सेना को तैयार करने के एबे ने लिए निर्णय की ओर आश्‍चर्य से देखा जा रहा था। लेकिन अगले कुछ ही दिनों में एबे सरकार ने अमरिका से अत्याधुनिक और प्रगत लडाकू विमानों की जापानी नौसेना के ‘इझूमो’ वर्ग की युद्धपोत पर तैनाती करने के संकेत दिए थे।

इसके लिए ‘इझूमो’ वर्ग की हेलिकॉप्टर वाहक युद्धपोत का रुपांतर विमान वाहक युद्धपोत में करने की योजना जापान के रक्षा मंत्रालय ने रखी थी। जापान के लष्करी अधिकारियों नी और विश्‍लेषकों ने इस प्रस्ताव का जोरदार समर्थन किया था, ऐसा वृत्त प्रसिद्ध हुआ है। एबे सरकार ने अधिकारिक तौर पर इसका ऐलान किया नही था। लेकिन मंगलवार के दिन प्रधानमंत्री एबे ने २४२ अरब डॉलर्स के रक्षा खर्च का ऐलान किया और इस में दो विमान वाहक युद्धपोत निर्माण करने के लिए बडी रकम बचाई है, यह कहा जा रहा है।

विमान वाहक युद्धपोत स्टेल्थ लडाकू विमानों के साथ प्रगत राडार यंत्रणा खरिदी के लिए भी एबे सरकार ने विशेष प्रावधान किया है, यह जानकारी सामने आ रही है। एबे सरकार की यह आक्रामक रक्षा नीति चीन के विरोधी है, यह दावा हो रहा है। ‘ईस्ट चाइना सी’ और पैसिफिक क्षेत्र में चीन के नौसेना की गतिविधियां बढ रही है, इसे प्रत्युत्तर देने के लिए जापान रक्षा सामर्थ्य में बढोतरी कर रहा है।

इस दौरान, दुसरे विश्‍व युद्ध के बाद बचावात्मक नीति का स्वीकार करनेवाले जापान ने पिछले कुछ सालों से इस नीति में बदलाव करना शुरू किया है। जापान की इस आक्रामक लष्करी नीति को अमरिका और युरोपीय देशों का समर्थन है। वही, जापान की यह नीति चीन को मान्य नही। जापान के प्रधानमंत्री अपने देश को दुसरे विश्‍व युद्ध के समय के जैसे आक्रामक कर रहे है, यह आलोचना चीन कर रहा है।

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