बीजिंग/तैपेई – तैवान आजादी की मांग छोड दे और एक देश दो ढांचे के आधार पर शांति से चीन में समा जाए। लेकिन तैवान आजादी की भूमिका पर कायम रहेगा तो चीन भी लष्करी कार्रवाई करने के विकल्प का विचार कर सकता है, यह कडी चेतावनी चीन के राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग इन्होंने दी। लेकिन अपनी यह चेतावनी तैवान के लिए नही है बल्कि तैवान का समर्थन कर रहे अमरिका के लिए है, यह भी जिनपिंग इन्होंने स्पष्ट किया।
तैवान, यह चीन का अविभाज्य भूभाग होने का दावा करके तैवान में हो रहे अमरिका के हस्तक्षेप को लेकर चीन के राष्ट्राध्यक्ष ने आपत्ति जताई। ‘तैवान यह चीन के नीजि सियासत का हिस्सा है। तैवान के मुद्दे पर अन्य किसी भी देश का हस्तक्षेप बर्दाश्त नही करेंगे, यह जिनपिंग इन्होंने घोषित किया। साथ ही हांग कांग की तरह तैवान भी ‘एक देश दो व्यवस्था’ का स्वीकार करके चीन में शामिल हो, यह सूचना भी चीन के राष्ट्राध्यक्ष ने की।
चीन अपनी ही जनता के विरोध में संघर्ष करता नही। लेकिन उसी समय चीन लष्करी कार्रवाई ना करने के बंधन में बंधेगा नही। लष्करी कार्रवाई के संबंधी सभी विकल्प चीन सुरक्षित रखेगा, यह चेतावनी भी जिनपिंग इन्होंने दी। जिनपिंग इनकी यह धमकी प्रसिद्ध होने से पहले तैवान की राष्ट्राध्यक्षा ‘त्साई ईंग-वेन’इन्होंने चीन पर आलोचना की थी। तैवान की उदारता का चीन अनुचित लाभ उठा रहा है, यह आरोप करके तैवान आजाद है, यह ऐलान राष्ट्राध्यक्षा ‘त्साई’ इन्होंने किया था।
इस पर चीन के राष्ट्राध्यक्ष ने यह प्रतिक्रिया दर्ज की है। तैवान की आजादी की मांग ‘डेड एन्ड’ है और तैवान कभी भी आजाद नही हो सकता, यह जिनपिंग इन्होंने घोषित किया है। चीन की इस चेतावनी के बाद भी तैवान शस्त्र सज्जता बढाने के लिए अमरिका की सहयता प्राप्त करता है तौ चीन उसे प्रत्युत्तर देगा, यह इशारा जिनपिंग इन्होंने दिया है।
इस दौरान, पिछले कुछ महीनों में अमरिका ने तैवान को दिए जानेवाली लष्करी सहायता में बढोतरी की है और तैवान की ‘त्साई’ सरकार के साथ राजनीतिक सहयोग और भी मजबूत किए है। अमरिका और तैवान के बीच बढते इन सहयोग की वजह से चीन और भी बेचैन हो रहा है, यह जिनपिंग इनके वक्तव्य से स्पष्ट हो रहा है।
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