चीन यूरोपीय देशों को विभाजित करने की कोशिश कर रहा है – यूरोपियन विश्‍लेषकों का दावा

चीन यूरोपीय देशों को विभाजित करने की कोशिश कर रहा है – यूरोपियन विश्‍लेषकों का दावा

ब्रुसेल्स/रोम/बीजिंग – ‘यूरोपीय महासंघ के सदस्य देशों को अलग-थलग करके उनके साथ अच्छे संबंध स्थापित करने से महासंघ को एक एवं कडी धारणा का स्वीकार करने से रोक सकते है, यह विश्‍वास चीन रख रहा है’, इन शब्दों में यूरोपीय कमिशन के विशेष सलाहकार रॉबर्ट कूपर इन्होंने चीन यूरोपीय देशों में दरार डालने की कोशिश कर रहा है, यह आरोप किया| चीन के राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग फिलहाल यूरोप की यात्रा कर रहे है और इस यात्रा के दौरान उन्होंने इटली के साथ ‘वन बेल्ट, वन रोड’ (ओबीओआर) परियोजना संबंधी समझौता करने में सफलता प्राप्त की है| यूरोपीय महासंघ ने ‘ओबीओआर’ पर कडी आपत्ति जताई है, ऐसे में चीन और इटली के इस समझौते से यूरोपीय युनियन के विश्‍लेषकों द्वारा हो रहे आरोपों को समर्थन प्राप्त हो रहा है|

शनिवार के दिन चीन के राष्ट्राध्यक्ष जिनपिंग एवं इटली के प्रधानमंत्री गिसेप कॉन्टे इन्होंने वन बेल्ट, वन रोड परियोजना से जुडे समझौते पर हस्ताक्षर किए| इटली दुनिया के प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के ‘जी७’ गुट का सदस्य देश है| इस ‘ओबीओआर’ समझौते की वजह से दुनिया के प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं की सुचि में शामिल इटली चीन की इस परियोजना में शामिल होने वाला पहला देश साबित हुआ हैै| अमरिका, ब्रिटेन, जापान और भारत जैसे प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं से चीन की इस परियोजना को विरोध हो रहा है, तभी इटली ने ‘ओबीओआर’ को दी मान्यता राष्ट्राध्यक्ष जिनपिंग के लिए काफी अहम साबित होती है|

चीन की योजना में शामिल होते समय इटली ने अपने प्रमुख बंदरगाह चीन के लिए उपलब्ध कराए है और इनमें ‘ट्रीअस्ट’ और ‘जिनोआ’ का समावेश है| साथ ही इटली की प्रमुख कंपनीयों के लिए चीन का बाजार खुला किया गया है| इसके अलावा ऊर्जा, ईंधन, पोलाद इन क्षेत्र के लगभग ढाई अरब युरो के व्यवहारों पर भी हस्ताक्षर होने की जानकारी इटली के सूत्रों ने दी है| पिछले वर्ष के आखिरी समय में इटली की अर्थव्यवस्था को मंदीचा झटका लगा है और इससे उभरने की कोशिश शुरू है| ऐसी स्थिति में चीन के साथ हुए समझौते अर्थव्यवस्था को चालना देनेवाले साबित होंगे, यह दावा इटली से किया जा रहा है|

इटली ने चीन के साथ ‘ओबीओआर’ समझौते पर हस्ताक्षर करके अपनी अर्थव्यवस्था संवरने की कोशिश शुरू की है, फिर भी इस निर्णय पर यूरोपीय देशों के साथ अमरिका ने तीव्र नाराजगी जताई है| ‘ओबीओआर’ में शामिल होने से इटली की जनता को किसी भी प्रकार का लाभ नही होगा, बल्कि उलटा जागतिक स्तर पर इटली की प्रतिमा मलिन हो सकती है, ऐसा इशारा अमरिका ने दिया था| वही, यूरोपियन कमिशन ने इटली को चीन के कर्ज से बनते फांस की याद दिलाई थी| फ्रान्स के राष्ट्राध्यक्ष इमैन्युएल मैक्रॉन ने भी चीन यूरोपीय महासंघ में बने मतभेदों का लाभ उठा रहा है, यह कहकर इटली को इशारा दिया था|

यूरोपीय विश्‍लेषकों ने भी चीन यूरोपीय देशों को एक दुसरे से लडाने की कोशिश कर रहा है, यह दावा किया है| ‘यूरोपीय महासंघ की एक नीति रहने से २७ सदस्य देशों की अलग अलग नीति होना चीन के लाभ में रहेगा| इस वजह से चीन को अपने हितसंबंध सुरक्षित रखने के लिए गतिविधियां करना आसान होगा| चीन अपने स्वार्थ के लिए यूरोपीय देशों को एक दुसरे के साथ संघर्ष करने के लिए विवश कर रहा है| यूरोप में दरार डालने से जो भी कुछ लाभ होगा, वह चीन प्राप्त करना चाहता है’, इन शब्दों में ‘यूरोपियन कौंसिल ऑन फॉरेन रिलेशन्स’ की वरिष्ठ अभ्यासक तेरेसा कोराटेला इन्होंने चीन को लक्ष्य किया|

इसके पहले भी चीन ने पूर्व एवं मध्य यूरोपीय देशों के साथ बाल्कन देशों का स्वतंत्र गुट तैयार करके संबंध विकसित करने के लिए पहल की थी| चीन की इन गतिविधियों पर यूरोपीय महासंघ ने नाराजगी भी व्यक्त की थी| लेकिन, फिर भी चीन ने अपनी नीति बरकरार रखी है और अगले महीने में चीन के प्रधानमंत्री ली केकिआंग इनकी युरोप यात्रा के दौरान इन गुटों के साथ स्वतंत्र रूप से चर्चा करेंगे, यह जानकारी स्पष्ट हुई है|

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